गृह- पूजन : तो इसलिए घर की नींव में रखी जाती है सर्प और कलश की प्रतिमूर्ति ! जानिए इस खबर में
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार भूमि का शुद्ध पूजन ही एक पवित्र गृह का निर्माण कराती है, जिससे हर तरह की बाधाएं दूर रहें
अक्सर लोग घर का निर्माण करवाते समय तरह की सावधानी बरतते हैं। उसके ढांचे से लेकर उसमे उपयुक्त साजो सामान तक हर तरीके से अच्छे से अच्छा करने की कोशिश करते हैं। फिर जब बात घर के पूजन की आती हैं तो व्यक्ति को और भी सजग हो जाना चाहिए। क्योकि हिन्दू मान्यताओं के अनुसार भूमि का शुद्ध पूजन ही एक पवित्र गृह का निर्माण करती हैं। तो आईये जानते हैं आखिर भूमि पूजन में क्या क्या सावधानी करनी चाहिए जिससे हर तरह की बाधाओं से घर दूर रहे –
मकान की नींव में चाँदी के नाग नागिन
ऐसी मान्यता हैं की शेषनाग के फण (मस्तिष्क) पर पृथ्वी टिकी हुई है। और पुराणों के अनुसार सात तरह के पाताल बताए गए हैं- अतल, वितल, सतल, तलातल, महातल, रसातल और पाताल। पाताल के राजा वासुकि नाग है जो की शेष नाग के छोटे भाई है। नींव पूजन के दौरान प्रतिकात्मक रूप से शेषनाग की आकृति को कलश के साथ रखा जाता है। मन में यही कामना रहती है कि जिसप्रकार शेषनाग अपने फण पर संपूर्ण पृथ्वी को धारण व रक्षा किए हुए हैं ठीक उसी प्रकार मेरे इस भवन की भी रक्षा करें।
कलश का महत्व
भूमि की नींव पूजन में कलश के भीतर नाग नागिन के जोड़े के साथ दूध, जल व सिक्का रखा जाता है। ऐसी मान्यता है की दूध व जल का संगम छीर सागर की पवित्रता को दर्शाता है एवं उसमे डला हुआ सिक्का माँ लक्ष्मी के पवन प्रतिक की निशानी है। इन सभी देवताओं का विधिवत पूजन करने से भवन निर्माण की बाधा व दोष दूर होतें है।
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