किसानों का ऐलान, सरकार नहीं मानती बात तो कोई भी मंत्री नहीं पहुंचेगा कार्यालय, तैयार है गेम प्लान 

अब सरकार ने कुछ दबाव मानना शुरू किया है, अब कुछ सार्थक बात बन सकती है।

करीब 18 दिनों से अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की सड़कों पर आंदोलनरत किसान पीछे हटने का नाम नहीं ले रहे हैं। कई बार की वार्ता के बाद भी बात न बन पाने के चलते दोनों तरफ सरगर्मियां बढ़ती जा रही हैं। एक तरफ ठंड व बिगड़ते मौसम में सड़कों पर आन्दोलरत किसानों की पीड़ा देखते हुए हर दिन लोग उनके साथ जुड़ रहे हैं और सरकार से जल्द ही इसका निवारण करने की मांग कर रहे हैं। आम आदमी से लेकर अधिकारी, सेलेब्रिटी तक किसानों के समर्थन में उतर रहे हैं।

 

48 घंटे हैं काफी अहम

केंद्र सरकार के मंत्रीगण लगातार बैठके आहूत कर रहे हैं और मंथन कर कोई बीच का रास्ता निकालने का प्रयास कर रहे हैं। सरकार संशोधन को तो तैयार है लेकिन किसान बिल को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं। इसी कड़ी में गृह मंत्री अमित शाह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बीच एक नए प्रस्ताव पर चर्चा किए जाने की खबरें सामने आ रही हैं। किसान आंदोलन को लेकर अगले 48 घंटे काफी अहम माने जा रहे हैं। इस अवधि में किस सार्थक नतीजे के सामने आने की सूचना मिल सकती है।

बन सकती है बात

आंदोलन कर रहे किसानों की मानें तो सरकार ने हमारा आंदोलन तोड़ने के लिए क्या कुछ नहीं किया। अब भी साजिश रची जा रही है, लेकिन किसान भाइयों का हौसला कमजोर पड़ने की बजाय और अधिक रफ्तार पकड़ता जा रहा है। देश के युवा जो बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं, वो इस आंदोलन का हिस्सा बन रहे हैं। क्योंकि उनके सामने खेती-किसानी के अलावा कोई विकल्प नहीं दिख रहा है। उसमें भी सरकार ऐसे बिल लेकर उनकी किमर तोड़ने का प्रयास कर रही है। अब सरकार ने कुछ दबाव मानना शुरू किया है, अब कुछ सार्थक बात बन सकती है।

बैकफुट पर आने के आसार

किसान नेताओं का कहना है कि सरकार किसानों को एमएसपी के मायाजाल में उलझाना चाहती है। वह एमएसपी बनाम  तीन कानून की नीति पर चल रही है। दूसरी तरफ किसान संगठनों ने साफ कर दिया है कि तीनों कानून वापस लेने होंगे। पिछले 2-3 दिनों से जब हमारे साथ समाज का वर्ग जुड़ने लगा है, तब से सरकार के बैकफुट पर जाने के आसार दिख रहे हैं।

ये है गेम प्लान

किसानों का कहना है कि, हमारा गेम प्लान बड़ा साफ है कि, सरकार नहीं मानती तो आने वाले दिनों में सरकार को अपने कार्यालय तक पहुंचने में दिक्कत आ जाएगी। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र आदि राज्यों में किसानों की टोलियों का समय तय कर दिया गया है। एक टोली सात दिन तक दिल्ली में रहेगी उसके बाद दूसरी टोली आ जाएगी। इस प्रकार किसानों का कामकाज भी नहीं बंद होगा और आंदोलन भी चलता रहेगा।

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