सिद्धार्थनगर: हर साल बरसात का मौसम तबाही बनकर आता है, क्योंकि नेपाल बॉर्डर पर बसा है ?
सिद्धार्थनगर. बरसात का मौसम सिद्धार्थनगर जिले के लिये तबाही लेकर आता है क्योंकि ये जिला नेपाल बॉर्डर पर बसा है। इन दिनों भी लगातार रुक रुक बरसात हो रही है। जिससे जिले मे बहने वाली नदियों का जलस्तर बढ़ गया है अधिकांश नदियां खतरे के निशान के करीब बह रही है। नदियों के बढ़ते जलस्तर ने तो लोगो के नीद उड़ा दी है इसकी वजह है इन नदियों पर बने बड़े बड़े बांध जो बाढ़ रोकने के लिये बनायी गयी है। इन बन्धो की हालात काफी खराब है।
हर वर्ष इन्ही बन्धो के मरम्मत के लिये करोड़ो रुपया पानी की तरह बहाया जाता है लेकिन इन बन्धो की हालात ऐसे ही रह जाती है। क्योंकि जिम्मरदारो की लापरवाही इस कद्र देखने को मिलती है कि पूछिये ही मत जब नदियों मे पानी भर जाता है बाढ़ आने का समय होता है तो उसी समय बन्धो का सिर्फ दिखावे के लिये मरम्मत कराया जाता है और करोड़ो रुपया हर वर्ष बाढ़ में बह जाता है जिनके भी जिम्मे नदियों पर बने बन्धो की जिम्मेदारी है वो बाढ़ के समय इन करोड़ो रुपयों का बंदबाट कर लेते है और बाढ़ की समस्या जस की तस बनी रहती है।
जिले के बनजरहा, ककरही, खैरी शीतल आदि दर्जनों गाँव हर वर्ष बाढ़ की समस्या से दो चार होने को मजबूर रहते है। हर वर्ष जिले मे बहने वाली नदी और नालो मे पड़ोसी देश नेपाल से आने वाला पानी तबाही मचाता है और सैकड़ो घर व गांवों को अपने आगोश में निगल लेता हैं। नदियों मे बाढ़ जैसे हालात से कई नदियों पर बने तटबन्ध पर दवाब बढ़ गया है नदी की कटान से दर्जनों गांवो के ग्रामीण भयभीत हैं जिससे हजारो एकड़ फसल के नुकसान होने की आशंका बनी हुई है।कटान भी तेजी से रहा है ग्रामीण दिन रात पहरा करने को मजबूर दिख रहे हैं।
कई गांव तो ऐसे है जहां आने जाने का एक मात्र रास्ता है जिसे नदी बहुत तेजी से काट रही हैं नदियों मे हो रहे कटान से ग्रामीणों में आक्रोश भी देखने को मिल रहा है। यह जिला नेपाल से सटे होने से पहाड़ी नदियां भी उफान पर है।जिससे बाढ़ का खतरा बना हुआ है। ग्रामीण बता रहे है कि हम जनप्रतिनिधियों से लेकर आला अधिकारियों तक इसकी सूचना भी देते है लेकिन समय रहते कोई यहां देखने तक नही आता। जब नदियों का जलस्तर बढ़ जाता है और कटान होने लगती है तब ही नजर आते है जिम्मरदार लोग खाना पूर्ति करके करोड़ो रूपया डकार जाते है बन्धा मरम्मत के नाम पर।ऐसे में सवाल ये है कि आखिर क्यों समय से बन्धो का मरम्मत नही किया जाता जिससे बाढ़ की विभीषिका से यहाँ के लोगो बचाया जा सके।आखिर बाढ़ आने का इंतजार क्यो करते है जिम्मेदार क्या सिर्फ और सिर्फ करोड़ो रूपये डकारने के लिये बाढ़ आने का इंतजार जिम्मरदार अधिकारी करते है?
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