सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कही ये बात, बोले- अब सरकार…
एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि, मुझे उम्मीद है कि, अब केंद्र सरकार और किसानों के बीच ठोस बातचीत की शुरुआत होगी.
एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि, मुझे उम्मीद है कि, अब केंद्र सरकार और किसानों के बीच ठोस बातचीत की शुरुआत होगी. शरद पवार (Sharad Pawar) ने कोर्ट के आदेश पर गठित हुई कमेटी को लेकर ट्वीट किया है और लिखा है कि, तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगाए जाने और मुद्दे को हल करने के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित किए जाने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश स्वागत योग्य है.
A welcome decision taken by the Apex Court of India to put on hold the implementation of three farm bills and set up a four member committee to resolve the issues. #SupremeCourt #FarmLaws
— Sharad Pawar (@PawarSpeaks) January 12, 2021
शरद पवार (Sharad Pawar) ने अपने दूसरे ट्वीट में कहा कि, किसानों के लिए ये एक बड़ी राहत है और मुझे उम्मीद है कि, किसानों के फायदे और कल्याण का ख्याल रखते हुए केंद्र सरकार और किसानों के बीच अब ठोस बातचीत शुरू होगी. पवार (Sharad Pawar) ने ये बात ट्विटर के जरिए कही है.
It is a big relief for farmers and I hope that a concrete dialogue between Central government and farmers will be initiated now, keeping the famers interests and well being in mind.#FarmLaws #SupremeCourt
— Sharad Pawar (@PawarSpeaks) January 12, 2021
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित की गई कमेटी के सामने पेश होने को लेकर किसान संगठनों ने इंकार कर दिया है. किसान संगठनों का कहना है कि, कमेटी में उन्हीं लोगों को शामिल किया गया है जो पहले से ही कृषि कानूनों की वकालत करते रहे हैं. ऐसे में उनके सामने पेश होकर कोई भी चर्चा नहीं की जाएगी. किसान सगंठनों ने कहा है कि, उनका आंदोलन जारी रहेगा और आने वाली 26 जनवरी को शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किया जाएगा.
भारतीय किसान यूनियन (आर) बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, “हमने कल ही कहा था कि हम ऐसी किसी समिति के समक्ष उपस्थित नहीं होंगे. हमारा आंदोलन हमेशा की तरह आगे बढ़ेगा. इस समिति के सभी सदस्य सरकार समर्थक हैं और सरकार के कानूनों को सही ठहरा रहे हैं.”
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केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले कहा था कि, कृषि कानून का विरोध सिर्फ कुछ राज्यों के किसान कर रहे हैं. इस बात को लेकर अब दिल्ली कूच के लिए अलग-अलग राज्यों से किसान निकल पड़े हैं. आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के बाद अब केरल के किसान भी दिल्ली पहुंचने वाले हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि, सरकार सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को बदनाम करने और कुछ राज्यों तक सीमित बताकर आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश कर रही है.
कोर्ट के फैसले पर किसान संगठनों ने असहमति जताई है. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि देश के किसान कोर्ट के फैसले से निराश हैं. अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में कमेटी ने सिफारिश की थी. गुलाटी ने ही कृषि कानूनों की सिफारिश की थी. राकेश टिकैत ने ट्वीट किया, माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित कमेटी के सभी सदस्य खुली बाजार व्यवस्था या कानून के समर्थक रहे है. अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने ही इन कानून को लाये जाने की सिफारिश की थी. देश का किसान इस फैसले से निराश है. राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की मांग कानून को रद्द करने व न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाने की है. जब तक यह मांग पूरी नहीं होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा. माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का परीक्षण कर कल संयुक्त मोर्चा आगे की रणनीति की घोषणा करेगा.
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