बस्ती : सरकारी सेंटरों के मानकों को पूरा कर पाना किसानों के लिए बनी समस्या
अन्न दाता कहा जाने वाला किसान आज परेशान है, किसी तरह धान की फसल तो पैदा कर ली, अब औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर है।
अन्न दाता कहा जाने वाला किसान आज परेशान है, किसी तरह धान की फसल तो पैदा कर ली।अब औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर है। सरकारी सेंटरों के मानको को पूरा कर पाना किसानों के लिए समस्या है। हरदिया रोग की वजह से धान की गुणवत्ता ठीक नहीं है। जिससे सेंटर धान नहीं खरीद रहे।
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सरकार ने धान की कीमत 1868 रूपए कुंतल तय की है, बस्ती मण्डल में 2 लाख एमटी धान खरीद का लक्ष्य रखा गया, जिसमें से 85.19 प्रतिशत धान की खरीद हो चुकी है, लेकिन अब भी ज्यादातर किसान अपना धान नहीं बेच पाए हैं, हरदिया रोग की वजह से धान काले हो गए हैं, सरकारी सेंटरों पर काले धान की खरीद नहीं हो रही है, किसान सरकारी सेंटर पर आते हैं और धान न बिकने पर वापस ले जाते हैं, बाहर व्यापारियों को 1000 से 1300 रूपए कुंतल धान बेचने को मजबूर हैं, किसानों का आरोप है सेंटर वाले व्यापारियों का धान खरीद रहे हैं और उन के धान में कुछ न कुछ कमी बता कर वापस कर दे रहे हैं, धान न बिकने की वजह से गेहूं की फसल प्रभावित हो रही है, कर्ज लेकर गेहूं की खेती की जा रही है।
सरकारी धान खरीद सेंटर संचालकों का कहना है की जो धान मानक के अनुरूप हैं उस की खरीद की जा रही है, काला धान नहीं खरीदा जा रहा है, सबसे बड़ा सवाल है की कुदरत की मार से किसानों की फसल की गुणवत्ता खराब हो गई ऐसे में अगर सरकारी सेंटरों पर धान की खरीद नहीं होगी तो किसान को फसल का उचित दाम कहां मिलेगा।
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