सु्प्रीम कोर्ट का सभी राज्यों को निर्देश- प्रत्येक थानों में लगवाएं CCTV कैमरे; रखें डेढ़ साल की रिकार्डिंग

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई, एनआईए, ईडी, एनसीबी, डीआरआई और एसएफआईओ के कार्यालयों में ऑडियो रिकॉर्डिंग के साथ सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश दिये हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई, एनआईए, ईडी, एनसीबी, डीआरआई और एसएफआईओ के कार्यालयों में ऑडियो रिकॉर्डिंग के साथ सीसीटीवी कैमरे (CCTV Cameras) लगाने के निर्देश दिये हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को हर पुलिस थाने में सीसीटीवी कैमरे (CCTV Cameras) लाने के भी निर्देश जारी किये हैं। इतना ही नहीं, कोर्ट ने लगाए गए कैमरे की रिकार्डिंग को भी डेढ़ साल तक रखने का निर्देश दिया है। 

परमवीर सिंह की याचिका पर कोर्ट ने दिये निर्देश

बता दें कि परमवीर सिंह द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए कोर्ट ने यह निर्देश दिये, जिसमें यह मांग की गई थी कि पुलिस थानों में कैमरे लगाएं जाएं और बयानों की ऑडियो-वीडियो रिकार्डिंग की जाए। न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि इन निर्देशों को अक्षरश: जल्द से जल्द लागू किया जाए।

प्रत्येक पुलिस थाने में लगाए जाएं CCTV Cameras – सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक पुलिस थाने में सीसीटीवी कैमरा (CCTV Cameras) लगा हो। थाने के सभी एंट्री व एग्जिट प्वाइंट, मेन गेट, सभी लॉकअप, लॉबी और रिसेप्शन एरिया में सीसीटीवी होना चाहिए। यहां तक कि वॉशरूम और शौचालय के बाहर भी कैमरा होना चाहिए। पुलिस थाने का कोई हिस्सा कैमरे की जद से छूटना नहीं चाहिए। थाने के सामने और पिछले हिस्से में भी नाइट विजन वाले कैमरे लगे हों, जिनमें ऑडियो भी होना चाहिए।

हर थाने के प्रवेश और निकास द्वार पर लगावाएं CCTV Cameras

साथ ही कोर्ट ने कहा कि हर थाने के प्रवेश और निकास द्वार पर सीसीटीवी कैमरे (CCTV Cameras) लगाने के अलावा हवालात, बरामदों, इंस्पेक्टर और सब-इंस्पेक्टर के कक्षों में भी कैमरे लगाए जाएं।

18 महीनों तक स्टोर की जाए CCTV Cameras की रिकार्डिंग

इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि सीसीटीवी कैमरे (CCTV Cameras) की रिकार्डिंग को 18 महीनों तक स्टोर किया जाए। ऐसा सर्वर या स्टोरेज सिस्टम होना चाहिए, जिसमें 18 महीने की फुटेज स्टोर हो सके। साथ ही कैमरों की साफ और स्पष्ट तस्वीरें दिखाई देनी चाहिए। जिन क्षेत्रों में बिजली या इंटरनेट नहीं है, वहां राज्य सरकार सौर, पवन ऊर्जा सहित बिजली उपकरण प्रदान करे। हर थाने में कैमरा चालू रहने और उसके रख-रखाव की जिम्मेदारी एसएचओ की होगी।

केंद्र और राज्य सरकारों को फटकार

बता दें कि जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन, केएम जोसेफ और अनिरुद्ध बोस की बेंच ने सीसीटीवी कैमरे (CCTV Cameras) लगाने के 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अमल न करने पर केंद्र और राज्य सरकारों को फटकार लगाई।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ढाई साल पहले ही हर थाने में सीसीटीवी कैमरे (CCTV Cameras) लगाने के लिए कहा गया था, लेकिन सरकार ने आदेशों का पालन नहीं किया। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि छह सप्ताह में बताया जाए कि सरकार किस तरह कैमरे लगाएगी और फंड की क्या व्यवस्था की जाएगी।

हर जिले में एक कोर्ट का गठन

कोर्ट ने कहा कि पुलिस थानों में हिरासत में मौत या चोट की शिकायत मिलने पर फरियादी मानवाधिकार आयोग या मानवाधिकार अदालतों में सीसीटीवी फुटेज की मांग कर सकता है। मानवाधिकार अधिनियम के तहत हर जिले में एक कोर्ट का गठन होना है। राज्य मानवाधिकार आयोग या कोर्ट शिकायत मिलने पर तुरंत सीसीटीवी फुटेज तलब कर सकता है। जांच एजेंसी को यह फुटेज अदालत या आयोग को उपलब्ध करानी होगी। कोर्ट ने कहा कि पुलिस स्टेशनों के अलावा सीबीआई के देशभर में फैले दफ्तरों, एनआईए, ईडी, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी), डीआरआई, एसएफआईओ तथा ऐसी सभी एजेंसियों जिन्हें गिरफ्तारी और पूछताछ का अधिकार है, सीसीटीवी कैमरे लगाने होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह जांच एजेंसियां अधिकतर अपने कार्यालयों में पूछताछ करती हैं, वहां सीसीटीवी लगाना अनिवार्य है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 3 अप्रैल 2018 को शफी मोहम्मद और हिमाचल प्रदेश सरकार मामले में कोर्ट ने सीसीटीवी के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। सेंट्रल ओवरसाइट बॉडी (सीओबी) और स्टेट लेवल ओवरसाइट बॉडी (एसएलओबी) के गठन का आदेश दिया था। केंद्र सरकार ने इसका गठन तो किया, लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ा। सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ 14 राज्यों ने हलफनामा दायर कर थोड़ी बहुत जानकारी दी है। लेकिन हलफनामे में यह नहीं बताया गया है कि राज्यों में कितने थानों में सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए हैं, जबकि ढाई साल पहले ही सरकार को बता दिया गया था कि सीसीटीवी कैमरे लगाने और उन पर नजर रखने के लिए ओवरसाइट बॉडी का गठन किया जाए, ताकि हिरासत में मौत या हिंसा होने पर सीसीटीवी कैमरा खराब होने का बहाना न बनाया जा सके।
थाना प्रभारी को हर महीने की रिपोर्ट एसएलओबी को भेजने के लिए बाध्य किया गया है। कोर्ट ने कहा कि ढाई साल पुराने दिशा-निर्देश जारी रहेंगे और राज्य सरकार और केंद्र सरकार को इस पर अमल करना होगा। संविधान के अनुच्छेद-21 में मिले जीवन के अधिकार के तहत हर नागरिक का मौलिक अधिकार है कि उसे पुलिस स्टेशन के अंदर हुई कार्रवाई की जानकारी दी जाए।

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