पितृ-दिवस : आगामी सर्वपित्र अमावस्या पर पितरों को प्रसन्न करने का अंतिम व प्रभावशाली उपाय ! जानिए ये खबर
इन सोलह दिनों के त्यौहार में हर व्यक्ति अपने पितरों से आशीर्वाद प्राप्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रहे होंगे
पितृ पूजन के इस पावन माह का अंतिम दिन (अमावस्या) निकट आ रहा है। इन सोलह दिनों के त्यौहार में जहाँ हर व्यक्ति अपने पितरों से आशीर्वाद प्राप्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रहे होंगे। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होंगे जिन्हे अपने पितरों की कृपा से वंचित रहना पड़ रहा होगा। या किसी कारणवश उन्हें अपने पितरों की तिथि स्पष्ट नहीं होगी। तो आज हम आपको बताने जा रहे है की आखिर कैसे इस खास दिन में आप अपने पितरों की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और साथ ही वो सरल से उपाए जिनके द्वारा आप के पितृ आप पर आसानी से प्रसन्न हो सकते है –
सर्वपित्र अमावस्या क्या है
आश्विन माह की कृष्ण अमावस्या को सर्वपितृ मोक्ष श्राद्ध अमावस्या कहते हैं। इसको पितरों की विदाई की अंतिम तिथि भी मानी जाती है। जैसा की हम सब जानते है की 15 दिन तक पितृ घर में विराजते हैं और हम उनकी सेवा करते हैं। इसीलिए इस अंतिम दिन को ‘पितृविसर्जनी अमावस्या’, ‘महालय समापन’ या ‘महालय विसर्जन’ भी कहते हैं। श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि कर्म करने के बाद भोजन कराए जाने की भी प्राचीन परंपरा है।
आखिर क्यों महत्वपूर्ण है
कहा जाता है की अगर कोई श्राद्ध तिथि में किसी कारण से श्राद्ध न कर पाया हो या फिर श्राद्ध की तिथि मालूम न हो तो ऐसे जातक सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या पर श्राद्ध कर सकते है। सौभाग्यवती स्त्री, माता या जिन महिलाओं की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं, कुआंरे, संन्यासी, दुर्घटना या किसी अन्य हादसे में मृत और बच्चों का भी श्राद्ध आप इस दिन कर सकते है। यह भी मान्यता है कि इस दिन सभी पितर आपके द्वार पर उपस्थित रहते है।
कैसे पाएं सम्पूर्ण लाभ
अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गीता के सातवें अध्याय का पाठ करने का प्रावधान है। साथ ही पीपल की सेवा और पूजा, मछली और चींटियों के लिए भोजन सामग्री पत्ते पर निकालने के तदुपरांत ब्राह्मणों को भोजन कराने से शुभ पुण्य फल मिलता है।
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