यूक्रेन से वापस लौटे साहिल ने बताई अपनी दर्द भरी कहानी घर वापस आने पर परिवार में दिखा खुशी का माहौल

अलीगढ़ के रहने वाले छात्र साहिल कठिन परिस्थितियों में जूझते हुये युद्ध के बीच भारत सरकार की मदद से वापस अपने घर अलीगढ़ लौट आये है

अलीगढ़: रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई के बीच वहाँ पर काफी तादाद में भारत और अन्य देशों के छात्र फंसे हुए है। इनमे से ज्यादातर छात्र वहाँ से एमबीबीएस करने के लिए गए थे और युद्व के दौरान वही फंस गए । ऐसे छात्रों को निकालने के लिए भारत सरकार लगातार प्रयत्न कर रही है और उसमें वह सफल भी रही है। ऐसे ही अलीगढ़ के रहने वाले छात्र साहिल कठिन परिस्थितियों में जूझते हुये युद्ध के बीच भारत सरकार की मदद से वापस अपने घर अलीगढ़ लौट आये है और उसने आकर ईश्वर और भारत सरकार को धन्यवाद कहा है। साहिल ने बताया कि किन कठिन परिस्थितियों में उसने वहां पर हालात को देखा।

वही साहिल ने जानकरी देते हुए बताया कि सफर काफी ट्रॉमेटिक था क्योंकि हम लोग लीविज में है और लीविज से 75 किलोमीटर पोलैंड बॉर्डर है तो हमारे पास एम्बेसी से मेसिज आया था कि एक पार्टिकुलर बॉर्डर है पोलैंड बॉर्डर वहां से आप बाईबोक करके आप क्रॉस कर सकते है तो हम लोगो ने डिसाइड किया कि हम लोग जो है चलते है बोक करके क्रॉस करेंगे तो हमने कैब करी काफी रस था तो कब वाले ने हमे 30 किलोमीटर पहले हमे उतार दिया की इससे आगे कैब नही जाएगी तो हमने 30 किलोमीटर बाई बोक हमने कबर किया उसके बाद हम बॉर्डर पहुंचे रात में माईनस फाइव डिग्री टेम्प्रेचर था हमारे पास कोई स्वेटर नही कोई खाने का सामान नही हमने रातभर सफर किया

वहां पर और बॉर्डर क्रॉस करने को भी हमे नही मिला नेक्स्ट डे भी मतलब सारे कंट्रीज़ के ऐसेप्त कर रहे थे इंडियन को काफी दिक्कत आ रही थी वहां पर और जैसे अगली रात भी हमने वहाँ पर निकाली तब भी माईनस टेम्प्रेचर था बहुत ठंड में वहाँ पर रात गुजारी थी लग नही रह था कि वापस आ पाएंगे हम लोग बट रस्क था वहाँ पर काफी भीड़ फायरिंग बगैरा भी हुई थी वहाँ पर लाठीचार्ज हुआ था मारपीट भी हुई थी स्टूडेंट्स के साथ फिर हमने डिसाइड कर लिया कि हम लोग वापस आ जाते है वहाँ कुछ नही हो सकता हमारा क्योंकि बॉर्डर क्लॉज हो गए थे एम्बेसी से बाद में मेसिज आया कि बॉर्डर क्लोज हो चुके है अब पॉसिबल नही है बॉर्डर क्रॉस करना हमलोग वापस आ गए थे फिर एक रात होस्टल रुके आराम से अपना अगले दिन हमने बस करी रोमानिया बॉर्डर के लिए तो रोमानिया बॉर्डर तक हम बिल्कुल सुरक्षित पहुंचे कुछ दिक्कत नही आई उसमे दो बस करी थी उसमे इंडियन थे टोटली वहाँ के लोकल्स से सपोर्ट मिला था

हमे बॉर्डर हमने बहुत ईजिली क्रॉस किया जब हम रोमानिया बॉर्डर क्रॉस किये उसके बाद हमे एनजीओ वालो ने पिक किया वो हमें अपने शेल्ट्रेस मे ले गए वहाँ हमे खाने-पीने सब सुविधा उन्होंने दी जब हमने रोमानिया बॉर्डर क्रॉस किया था फर्स्ट डेज हमे वॉलंटियर्स एम्बेसी से कोई आया था वो बोल रहे थे कि आपको दो दिन वेट करना पड़ेगा तो हम दो दिन वेट किये कुछ नही हुआ चार दिन वेट किये कुछ नही हुआ फिर हमने थोड़ा इधर उधर हाथ-पैर मारे तब जाकर कुछ हुआ फिर वहाँ से एयरपोर्ट के जाया गया फिर एयरपोर्ट पर हमें एम्बेसी वाले मिले थे उन्होंने गाइड किया कि आपकी ये फिलाइट है और इस तरह जाना है उसके बाद आज सुबह 4 या 4:30 पर फिलाइट लेंड हुई में एयरएशिया फिलाइट से आया था और में सेप्टेम्बर में यूक्रेन गया था और युद्ध के तो वहाँ पर कोई ऐसे आसार लग नही रहे थे बीच मे न्यूज़ मिली थी कि कोई युद्ध नही होगा पुतिन भी अपनी फोर्स पैसल कर रहा था यूक्रेन पर की नाटो ना जॉइन करे बट देन यूक्रेन ने ही कुछ पुतिन ने वापस ले लिया था अपनी फोर्स को बट फिर क्या हुआ रात रात में ही बोम्ब ब्लास्ट हुए थे एयरस्ट्राइक हुई थी वही से वॉर स्टार्ट हुए थे जहाँ हम थे मेरी सिटी में तो कोई दिक्कत नही हुई थी और जिस जगह युद्ध हो रहा था वहाँ से हम तो 600 किलोमीटर दूर थे और डेली परिवारीजनों से हमारी बातचीत हो रही थी ।

बाइट – साहिल

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