नुपुर शर्मा पर RSS का बड़ा बयान, उदयपुर की हत्या तालिबानी सोच का नतीजा
आंबेकर ने ये बातें किताब 'द तालिबान: वॉर एंड रिलिजन इन अफगानिस्तान' और 'द फॉरगॉटन हिस्ट्री ऑफ इंडिया' के विमोचन कार्यक्रम में कही।
Udaipur Murder Case: पैगंबर मोहम्मद साहब पर दिए गए बयान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि देश में जो कुछ हो रहा है, उसकी जिम्मेदार नुपुर शर्मा हैं। और जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि उदयपुर की घटना के लिए नूपुर शर्मा का बयान जिम्मेदार है। इधर राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ने उदयपुर हत्याकांड को ‘तालिबानी घटना’ बताया है। आरएसएस (RSS) ने कहा कि यह घटना उकसावे पर की गई प्रतिक्रिया नहीं थी बल्कि एक खास मानसिकता और मान्यता का परिणाम थी।
इस घटना के पीछे तालिबान की मानसिकता
आरएसएस के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि उदयपुर में जो हुआ है, वह पूरी दुनिया में बिना किसी उकसावे के हो रहा है. कहीं हमास, इस्लामिक स्टेट, तालिबान है। हमारे देश में सिमी और पीएफआई है। यह उकसावे के कारण नहीं है। अगर किसी को लगता है कि यह उकसावे की वजह से है तो उसे और पढ़ने की जरूरत है। इस घटना के पीछे तालिबान की मानसिकता और विश्वास को समझना जरूरी है। भारत अपनी ताकत का इस्तेमाल दूसरों की मदद के लिए करता है।
संवैधानिक तरीके से उसे हल करें
उन्होंने कहा कि एक अच्छे व्यक्ति को भी इतना मजबूत होना चाहिए कि वह दूसरों की मदद करे और जो शांति भंग करते हैं, उन्हें रोक सके। ऐसे मुद्दों से निपटने के संवैधानिक तरीके हैं। अगर किसी को समस्या है तो उन्हें संवैधानिक तरीके से उसे हल करने की कोशिश करनी चाहिए। आंबेकर ने ये बातें किताब ‘द तालिबान: वॉर एंड रिलिजन इन अफगानिस्तान’ और ‘द फॉरगॉटन हिस्ट्री ऑफ इंडिया’ के विमोचन कार्यक्रम में कही।
तालिबान को समझने पर दिया जोर
प्रमुख सुनील आंबेकर ने तालिबान को समझने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जिस देश को धार्मिक कट्टरवाद के नाम पर विभाजन का सामना करना पड़ा है, उसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है। यह पता लगाना जरूरी है कि क्या उसका भारत से कोई कनेक्शन है। क्या ऐसा कोई आतंकी तत्व भारत में तो नहीं घुस रहा। क्या भारत में जो घटनाएं हो रही हैं, वो आपस में एक दूसरे से जुड़ी हैं। क्या ऐसे कट्टरवादी विचारधारा को राजनीतिक या स्वार्थ के लिए समर्थन देने वाले एक दूसरे से जुड़े हैं ? जो भी कारण हैं, उन्हें पता लगाना चाहिए।
नागपुर में एक समारोह का हुआ आयोजन
सुनील आंबेकर ने आरोप लगाया कि आजादी के बाद जो कुछ भी हुआ, उसके बाद आरएसएस के योगदान को पूरी तरह दबा दिया गया। 12 जुलाई 1922 को डॉ. हेडगेवार एक साल बाद जेल से रिहा हुए। उनके स्वागत के लिए नागपुर में एक समारोह का आयोजन किया गया था। उस समय मोतीलाल नहरू और सी राजगोपालाचारी आए और कार्यक्रम में भाषण दिया। उन्हें देश को यह बताना चाहिए था।
भारत के इतिहास को जानना जरूरी
उन्होंने आगे कहा कि लोगों को वीडी सावरकर, नेताजी सुभाष बोस, आदिवासी नेता बिरसा मुंडा और अंडमान निकोबार की जेल में बंद मणिपुर के राजा के बारे में पता होना चाहिए. तभी लोगों को पता चलेगा कि अंग्रेजों ने हमें एक देश के रूप में संगठित नहीं किया है। आजादी से पहले भी भारत एक था। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि इतिहास जाना जाए। धर्मनिरपेक्षता को संविधान में कैसे शामिल किया गया? नई पीढ़ी को इसके प्रति जागरूक करना होगा। सुनील आंबेकर ने कहा कि नई पीढ़ी को पता होना चाहिए कि विभाजन क्यों हुआ। कुछ लोग नहीं चाहते कि इस पर चर्चा हो। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि हमारे देश पर फिर से हमला न हो या अलगाववाद और आतंकवाद की बात करने वाली ताकतें जड़ न पकड़ें।
देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट
हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :