कृषि कानून: सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शन को लेकर कही ये बड़ी बात, अभी आंदोलन…

कृषि कानून के विरोध मे चल रहे धरना प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. चीफ जस्टिस एसएस बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि, वह अभी कानूनों की वैधता तय नहीं करेंगे.

कृषि कानून के विरोध मे चल रहे धरना प्रदर्शन(protest) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. चीफ जस्टिस एसएस बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि, वह अभी कानूनों की वैधता तय नहीं करेंगे. कोर्ट ने कहा कि, आज हम जो पहली और एकमात्र चीज तय करेंगे, वह किसानों के विरोध और नागरिकों के मौलिक अधिकार के बारे में है. कानूनों को वैध या अवैध को लेकर अभी इंतजार किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, कानूनों के विरोध करने को हम मान्यता देते हैं लेकिन इस विरोध से किसी के जीवन को हानि न पहुंचे ये भी ख्याल रखना होगा.

वहीं दिल्ली की सीमा पर कृषि कानून के खिलाफ किसानों के आंदोलन(protest) का आज 22वां दिन है. वहीं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने फिर से 17 दिसंबर को यूपी गेट पर खाप पंचायत करने का ऐलान किया है. इससे पहले नरेश टिकैत के नेतृत्व में 3 दिसंबर को हजारों किसानों के साथ महापंचायत हुई थी.

खाप पंचायत के जरिए किसान आंदोलन(protest) को और अधिक मजबूत करने की रणनीति पर चर्चा होगी. बता दें कि, मुजफ्फरनगर के सोरम गांव में खाप पंचायतों का मुख्यालय है. 14 दिसंबर को मुख्यालय पर खाप पंचायतों की बैठक हुई थी. इसमें पश्चिमी यूपी की 8 खाप पंचायतों ने हिस्सा लिया था. इसी पंचायत में तय किया गया था कि, आने वाले 17 दिसंबर को यूपी गेट पर खाप की महापंचायत होगी.

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गौरतलब है कि, बीते मंगलवार को रामपुर जिले में कुछ किसानों को पुलिस ने रोक दिया था. जिसके बाद किसान नेताओं ने रामपुर पुलिस से संपर्क किया लेकिन मामले का हल न निकलने की वजह से किसानों ने ऐलान किया कि, अब आपातकाल सेवाओं के लिए चलने वाले वाहनों जिसमें एंबुलेंस को भी एक्सप्रेस वे से नहीं निकलने दिया जाएगा.

कृषि कानून के विरोध में टिकरी बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों के लिए दिसंबर की सर्द रातें जानलेवा साबित होने लगी हैं. गुरुवार की सुबह एक किसान की हार्ट अटैक से मौत हो गई. किसान की उम्र 37 साल थी और बठिंडा के टुंगा गांव के रहने वाले थे जय सिंह. इसके साथ ही कुंडली बॉर्डर में ड्रेन में गिरने से एक किसान की मौत हो गई. प्रदर्शन कर रहे किसानों में अब तक 12 किसानों की मौत हो चुकी है. लेकिन सरकार किसी भी सूरत में कानूनों को वापल लेने पक्ष में नहीं हैं.

बीते बुधवार को सिंघु बॉर्डर पर किसान नेता और और संत बाबा रामसिंह ने खुद को गोली मार ली थी जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी. संत रामसिंह की मौत से किसानों के अंदर काफी गुस्सा है और उन्होंने इस घटना का जिम्मेदार सरकार को ठहराया है. संत रामसिंह ने आत्महत्या से पहले एक सुसाइड नोट भी लिखा है. जिसमें आंदोलन से जुड़ी बातें लिखी हैं.

 

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