गद्दार कहने से पहले जान लें ये सच्चाई, राजा जयचंद ने बेटी के लिए पृथ्वीराज…

भारतीय इतिहास में कई सारे नाम हुए, जो अपने कुछ कार्यों के कारण इतिहास में काले अक्षरों से लिखे गए. राजा जयचंद एक ऐसा ही नाम हैं! उन्हें देश का गद्दार तक कहा जाता है.

भारतीय इतिहास में कई सारे नाम हुए, जो अपने कुछ कार्यों के कारण इतिहास में काले अक्षरों से लिखे गए. राजा जयचंद एक ऐसा ही नाम हैं! उन्हें देश का गद्दार तक कहा जाता है. कहते हैं कि वह पृथ्वीराज चौहान(prithviraj chauhan) से अपनी व्यक्तिगत दुश्मनी का बदला लेने के लिए मोहम्मद गौरी से जा मिले थे. हालांकि, उनके किरदार को लेकर कई ऐसे मत है, जो उनको गद्दार कहने पर सवाल खड़े करते हैं! वह पहलू कौन से हैं आईए जानने की कोशिश करते हैं-

पृथ्वीराज चौहान को राजा जय चंद की बेटी संयोगिता से प्रेम हो गया

जैसा कि आप जानते ही हैं कि राजा पृथ्वीराज चौहान(prithviraj chauhan) ने अन्य राजपूत राजाओं के साथ मिलकर साल 1191 में मोहम्मद गौरी को तेहरान की पहली लड़ाई में करारी मात दी थी. इस हार को मोहम्मद गौरी पचा नहीं सका और उसने पृथ्वीराज से इसका बदला लेने की ठान ली. इसी बीच पृथ्वीराज चौहान को राजा जय चंद की बेटी संयोगिता से प्रेम हो गया.

मगर राजा जयचंद इस रिश्ते के खिलाफ थे, जिसके चलते पृथ्वीराज चौहान(prithviraj chauhan) संयोगिता को भगाकर अपने साथ ले गया और उससे शादी कर ली. पृथ्वीराज की इस हरकत के चलते जयचंद ने उसके साथ किया समझौता तोड़ दिया और उनके खिलाफ जंग छेड़ दी. इसके परिणाम स्वरुप राजा जय चंद और पृथ्वीराज चौहान(prithviraj chauhan) युद्ध के मैदान कई बार आमने- सामने हुए. इन युद्धों में यकीनन पृथ्वीराज की जीत हुई, लेकिन इसकी कीमत के तौर पर पृथ्वीराज के कई बहादुर सेनापति मारे गए.

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वहीं राजा की संयोगिता को इस तरह भगाकर शादी करने की इस हरकत का प्रभाव अन्य राजपूत राजाओं पर भी पड़ा और उन्होंने पृथ्वीराज से अपने सभी समझौते तोड़ दिए. इतिहास के अनुसार पृथ्वीराज के हाथों युद्ध में हार के बाद राजा जयचंद बदले की आग में झुलस रहा था, वह किसी भी कीमत पर पृथ्वीराज से बदला लेना चाहता था. बदले की यही चाहत जयचंद को मोहम्मद गौरी के दरवाजे तक ले गई.

जयचंद ने गौरी को पृथ्वीराज( prithviraj chauhan) पर हमला करने का न्यौता दिया और साथ युद्ध के दौरान सैन्य ताकत देने का वायदा किया. जयचंद की बात मानकर गौरी ने एक बार फिर ने भारत की ओर कूच कर दी. जब पृथ्वीराज को इस आक्रमण का पता चला, तो उसने अन्य राजाओं से मदद मांगी, राजा जयचंद के कहने पर किसी ने पृथ्वीराज की मदद नहीं की.

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