यूपी में बड़े प्रशासनिक सुधार की तैयारी, विभागों की संख्या 95 से घटाकर 54 करने पर विचार
उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) प्रशासनिक सुधार के लिए 41 सरकारी विभाग खत्म करने जा रही है। सरकार मौजूदा 95 विभागों का पुनर्गठित कर उन्हें 54 विभागों में समायोजित करने की तैयारी कर रही है।
उत्तर प्रदेश सरकार प्रशासनिक सुधार (Administrative reforms) के लिए 41 सरकारी विभाग खत्म करने जा रही है। सरकार मौजूदा 95 विभागों का पुनर्गठित कर उन्हें 54 विभागों में समायोजित करने की तैयारी कर रही है। विभागों के पुनर्गठन के लिए गठित कमेटी की सिफारिश पर यह फैसला लिया गया है। सिफारिश के तहत एक जैसी जिम्मेदारी वाले विभागों को समायोजित किया जाएगा, जबकि एक-दूसरे पर आश्रित तीन-चार विभागों को खत्म करने के बाद एक समग्र विभाग बनाया जाएगा।
सुझावों पर अमल हुआ तो सिंचाई विभाग व प्राइमरी स्कूलों के 20 हजार से अधिक पद समाप्त हो सकते हैं। इसी तरह 20 हजार से अधिक पदों को एक विभाग से दूसरे में हस्तांतरित किया जा सकता है। अच्छा संकेत ये है कि एकमुश्त 59 हजार से अधिक नए पद सृजित किए जा सकते हैं। आयोग ने संग्रह अमीन सहित कई ऐसे पदों को चिह्नित किया है जिनकी भूमिका अब सीमित होती जा रही है। ऐसे पदों व कार्यों की समीक्षा कर नए सिरे से उनका निर्धारण करने की संस्तुति गई है।
लोगों को कई दफ्तरों के चक्कर लगाने से मुक्ति मिलेगी
सम्बंधित विभागों से इसकी समीक्षा कर 20 जनवरी तक सुझाव मांगे गए हैं। सरकार का मानना है कि कई सरकारी विभागों में काम कम और कर्मचारी ज्यादा हैं, लेकिन कई विभागों में कर्मचारियों की संख्या कम है। पुनर्गठन के बाद यह विसंगति दूर हो जाएगी। इसके अलावा आला अधिकारियों की सरकारी योजनाओं पर अमल के लिए सीधी जिम्मेदारी तय होगी। साथ ही अनावश्यक खर्च भी बचेगा और एक ही तरह के काम के लिए लोगों को कई दफ्तरों के चक्कर लगाने से मुक्ति मिलेगी।
03 जनवरी 2018 को तत्कालीन अपर मुख्य सचिव संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में सूबे में विभागों के पुनर्गठन के लिए कमेटी बनाई थी। कमेटी ने विभागों की संख्या 95 के बजाय 57 तक करने का सुझाव दिया था। कमेटी का मानना है कि पुनर्गठन से न सिर्फ विभागों की संख्या कम होगी, बल्कि काम में भी तेजी आएगी।
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कमेटी की सिफारिशों पर अमल करने से पहले बीते वर्ष रेरा के चेयरमैन और पूर्व मुख्य सचिव राजीव कुमार की अध्यक्षता में एक नई कमेटी गठित की गई थी, जिसे आवश्यकतानुसार कर्मचारियों की संख्या घटाने-बढ़ाने, प्रभावशीलता और दक्षता के सुधार पर सुझाव देना था। इस कमेटी ने भी विभागों के पुनर्गठन सम्बंधी संजय अग्रवाल की कमेटी की सिफारिशों पर शीघ्र निर्णय लेने की सिफारिश की थी, जिसके बाद सरकार विभागों को समायोजित करने की सिफारिशों पर विचार कर रही है।
समिति के सुझावों और संस्तुतियों के आधार पर शासन स्तर से अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों और सचिवों की राय मांगी गई है। कौन विभाग किन विभागों, प्रभागों व संस्थाओं के एकीकरण, समायोजन या विलय सम्बंधी कार्रवाई करेगा। इसकी जानकारी विभागों को दे दी गई है। अफसरों से कहा गया है कि प्राथमिकता पर वे प्रस्तावित कार्यवाही के सम्बंध में वे अपनी आख्या 22 जनवरी तक उपलब्ध कराएं।
इन विभागों को करेंगे मर्ज
जानकारी के मुताबिक, जिन विभागों के कार्य की प्रकृति एक जैसी है उनका एकीकरण किया जाएगा। जैसे समाज कल्याण, पिछड़ा वर्ग कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, और दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग को एक में समायोजित किया जा सकता है। इसी तरह से अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम, पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम को एससी-एसटी वित्त विकास निगम में एकीकृत किया जाएगा। गन्ना विभाग, सूखा राहत विभाग, कृषि शिक्षा, कृषि अनुसंधान, खाद्य एवं प्रसंस्करण विभाग को कृषि विभाग में, सैनिक कल्याण और बाल कल्याण विभाग को परिवार कल्याण विभाग में, स्टांप, मनोरंजन कर, किराया नियंत्रण सहित बांट-माप महकमे को राजस्व विभाग में मर्ज किया जाएगा। इसी प्रकार ग्रामीण उद्योग विभाग, दुग्ध विकास विभाग, ग्रामीण उर्जा विभाग को ग्रामीण विकास विभाग में समायोजित किया जाएगा।
कर्मचारियों पर नहीं पड़ेगा असर
विभागों को समायोजित करने से किसी सरकारी कर्मचारी के हित पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। बदलेगा तो सिर्फ दफ्तर का नाम-पता। जानकारी के मुताबिक, अलग-अलग विभागों के वेतन-भत्तों के अंतर की स्थिति में सरकार ने तय किया है कि कर्मचारी का पदनाम यथावत रहेगा, साथ ही उसे मिलने वाले वेतन-भत्ते भी खत्म नहीं होंगे। नियमानुसार, कर्मचारी तयशुदा जिम्मेदारी के तहत जिस-जिस भत्ते का हकदार होगा, उसे वह मिलता रहेगा।
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