प्रयागराज : माफियाओं पर योगी का प्रहार सही, गुरु घंटालो पर कार्यवाही कब
भू-माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का फैसला यूपी सरकार ने किया है।
भू-माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का फैसला यूपी सरकार ने किया है। प्रदेश में एंटी टास्क फोर्स गठन कर भू-माफियाओं की पहचान कर तलाश जारी है और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी जोरों पर जारी है। टास्क फोर्स राज्य के मुख्य सचिव के अधीन काम करेगी। इसके अलावा जिला अधिकारी,मंडलीय आयुक्त और एसडीएम भी शिकायतों का निपटारा करेंगे। बता दें कि चुनाव से पहले बीजेपी ने एंटी टास्क फोर्स के गठन का वादा किया था।अवैध कब्जे से संबंधित मामले की शिकायत के लिए एक पोर्टल भी अलग से लांच किया गया है। यहां जमीन कब्जे की शिकायत की जा सकती है।पुलिस को जमीन कब्जे की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई का आदेश दिया गया है। अगर इसमें देरी होगी तो संबंधित थाने के एसएचओ के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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योगी सरकार की लगातार कार्रवाई से माफिया के माथे पर शिकन
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की लगातार कार्रवाई से बाहुबलियों, माफिया और अपराधियों में दहशत है। यूपी पुलिस मुख्तार अंसारी,अतीक अहमद के साथ ही कार्रवाई का दायरा धीरे-धीरे बढ़ाते हुए पूरे यूपी में कार्यवाही चल रहा है। प्रयागराज में अतीक अहमद के जिस आलीशान ऑफिस और मकानों पर पिछली सरकारों में कार्रवाई करना नामुमकिन था,उसे योगी सरकार ने महज कुछ घंटों में ही तोड़वाकर खंडहर जैसा कर दिया। अतीक का ड्रीम प्रोजेक्ट किसान कोल्ड स्टोरेज भी जेसीबी लगाकर ढहा दिया गया। दूसरी ओर बाहुबली मुख्तार अंसारी का होटल भी जिला और पुलिस प्रशासन ने नेस्तनाबूद कर दिया। होटल बनाने के लिये जमीन की खरीद फरोख्त में अनियमितताएं बरती गईं और फर्जी तरीके से जमीनें हासिल की गईं। इस मामले में गाजीपुर में मुख्तार की पत्नी, उनके दोनों बेटों समेत 12 लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करा दिया है। उधर गोरखपुर में भी पुलिस प्रशासन माफिया सुधीर सिंह पर बड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है। डीएम के आदेश के बाद अब वहां ब्लाॅक प्रमुख सुधीर सिंह की करोड़ों की सम्पत्ति कुर्क किये जाने की कवायद शुरू हो गई है।
राजधानी के डालीबाग में बृहस्पतिवार सुबह माफिया मुख्तार अंसारी के उन अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चल गया जिनके हटने या गिरने को लोग आसान नहीं समझते थे। जमीन खाली होना तो दूर लोग इस तरफ देखने से भी डरते थे कि कहीं मुख्तार का कोई गुर्गा कुछ और न समझ बैठे। इन कार्रवाई से योगी सरकार ने आपराधिक छवि वाले राजनेताओं को कानून के दायरे में रहने का संदेश देते हुए साफ कर दिया कि प्रदेश में सिर्फ कानून का शासन चलेगा न कि दबंगई का,हालांकि यह संदेश भविष्य में कितना विस्तार पाएगा यह कहना मुश्किल है,क्योंकि सियासी लबादा ओढ़़े या प्रभावी राजनीतिक संरक्षण में काम करने वालों की फेहरिस्त लंबी है। कई ने अपने आपराधिक कारनामों को कानूनी दांवपेंच में उलझाकर बचाव की पेशबंदी कर रखा है। इसके सहारे सरकार ने जातीय गोलबंदी का भी जवाब देने की कोशिश की है। निश्चित रूप से सरकार ने इस बहाने आपराधिक छवि वाले ब्राह्मणों पर ही कार्रवाई के आरोपों का भी जवाब दिया है। इसके अलावा सरकार ने हाल में ही भदोही से विधायक व कई आपराधिक घटनाओं में आरोपी विजय मिश्र के खिलाफ कार्रवाई पर लगने वाले आरोपों को भी निराधार साबित करने का प्रयास किया है।सरकार का स्पष्ट संदेश है कि बाहुबल से चुनाव जीतकर विशेषाधिकार की आड़ में अब वे अपने काले कारनामों के अंजाम से बच नहीं पाएंगे। वह दिन नहीं रहे जब धनबल,बाहुबल और सियासी बल का गठजोड़ सत्ता और व्यवस्था को धोखा देकर कानूनी दांवपेंचों से अवैध निर्माणों को बचाए रख सकता था।
सरकार ने मुख्तार से पहले पूर्व मंत्री आजम खां के अवैध निर्माणों पर प्रहार फिर प्रयागराज के अतीक अहमद पर कानून के शिकंजे से बहुत कुछ साफ करने की कोशिश की है। बसपा के पूर्व सांसद दाऊद अहमद के अवैध निर्माणों पर भी सरकार बुलडोजर चलवा चुकी है। राजधानी से दूर होने के कारण मामले चर्चा में भले ही नहीं आए लेकिन इसी महीने मुख्तार के अलावा उनके करीबी मन्ना सिंह हत्याकांड में सह अभियुक्त त्रिदेव ग्रुप के मालिक उमेश सिंह और उनके भाई राजन सिंह, मछली माफिया पारस सोनकर,गैंगस्टर रमेश सिंह उर्फ काका के विरुद्ध कार्रवाई से भी लोगों में कानून के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है। बाहुबलियों,माफिया और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई से सियासत में अलग-अलग तरह से सक्रिय उन नामों को जरूर दहशत में डाल दिया होगा जिन्होंने कानून और खाकी से बचने के लिए खादी का बाना धारण कर लिया है। इनमें बृजेश सिंह, विनीत सिंह, रामू द्विवेदी, अतुल राय, धनंजय सिंह, अभय सिंह, बबलू श्रीवास्तव, सोनू सिंह और मोनू सिंह जैसे कई नाम शामिल हैं।वैसे तो बड़े अपराधियों-माफिया पर कोई कार्रवाई समाज को अच्छा संदेश ही दे रही है। छोटे अपराधियों को लगेगा जब अतीक और मुख्तार के साथ ऐसा हो सकता है तो उनकी क्या बिसात है। मुख्तार जैसे राजनीतिक वर्चस्व रखने वाले आपराधिक छवि के लोगों पर कार्रवाई कानून की ताकत और समाज की शांति को लेकर बड़ा संदेश दिया है। एक तो ऐसी कार्रवाई से राजनीति की आड़ में अपराधों को अंजाम देने वालों के तो हौसले टूटते ही हैं तो वह भी दहशत में आ जाते हैं जो सिर्फ अपराध की दुनिया में ही सक्रिय होते हैं। लोगों को भरोसा होता है कि सरकार में दम है और इसके काम दमदार हैं। यूपी सरकार इतना ही नहीं उनके एक-एक गुर्गों की तलाश कर उनके भी आलीशान मकान,गोदाम को ध्वस्त कर आर्थिक साम्राज्य को नेस्तनाबूद करने का कार्रवाई कर रही है। निश्चित तौर से उक्त कार्रवाई से बाहुबलियों माफियाओं और बाहुबलियों की कमर टूट रही है,लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि पिछले 30-35 सालों से बाहुबलियों,माफियाओं और अपराधियों को संरक्षण देने वाले पुलिस वाले, कार्यालयों के बाबूओं और भष्ट्र अधिकारियों पर कब बुलडोजर चलेगा। आम नागरिकों में चर्चा का विषय बना हुआ है जब अवैध निर्माण बिना नक्शा पास कराए हुए मकानों का निर्माण हो रहा था, संभ्रांत नागरिकों के जमीन और मकानों पर बाहुबलियों माफियाओं और अपराधियों द्वारा कब्जे किए जा रहे थे। उस थानों में और तहसीलों में पीड़ित नागरिकों की आवाज को दबाकर निर्माण किया गया था उन सभी जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी क्या भूमिका थी। यूपी सरकार को उनकी भी जांच करानी चाहिए।
प्रदेश के विकास प्राधिकरणों में उपाध्यक्ष उतना धन नहीं कमा पाता है मगर उनके निरीक्षक और बाबुओं का खजाना ही खजाना मिल जाएगा। आपको प्रदेश में कई ऐसे लेखपाल मिलेंगे। जितना एक आईएएस अफसर अपने जीवन भर में नहीं कमा पाता उससे कहीं 10 गुना ज्यादा उसने आलीशान मकान जमीन बना लेता हैं। आयुक्त ग्राम विकास पूरे जीवन भर इतना धन संग्रह नहीं कर पाते जितना ग्राम विकास अधिकारियों के शान शौकत और गाडियों को देखकर बड़े बड़े व्यापारियों को सोचने पर मजबूर कर देता है। एक आईपीएस डीजीपी भी अपने जीवन में उतनी संपति नहीं बना पाता उससे कहीं अकूत सम्पत्तियों का बेताज बादशाह कई दारोगा प्रदेश में मिल जाएंगे। शिक्षा विभाग में डायरेक्टर जीवन भर नौकरी करने बाद भी शिक्षा विभाग के बाबूओं के अकूत सम्पत्तियों के सामने बौना नजर आता है। बाहुबलियों, माफियाओं और अपराधियों को बल प्रदान करने में इनका कम योगदान नहीं होता है। क्या सरकार ऐसे लोगों का चिन्हांकित कराने का साहस करेगी।
यह जनता के लिए बाहुबलियों, माफिया और अपराधियों से कम नहीं है।सभ्य नागरिकों दफ्तरों का चक्कर लगाते लगाते गोलोक पहुँच जाता है मगर इंसाफ नजर नहीं आता है।प्रदेश की राजनीति में पहली बार जोखिम भरा कदम उठाकर जनता के मन की बात को यूपी सरकार ने अपनी प्रथम प्राथमिकता बनाकर कार्य कर रही है।नीति नियंताओं ने स्लाटर हाउस से लेकर एंटी रोमियों स्क्वायड और मिशन शक्ति के साथ साथ विकास को आधार बनाकर बाहुबलियों, माफियाओं और अपराधियों की कमर तोड़ने की सराहनीय योजना ने प्रदेश ही नहीं बल्कि भारत के कई प्रान्तों के लिए नजीर बना दिया है जिस पर लोग सोचने पर मजबूर है और लोगों में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है।मेरे लेख लिखने के पीछे उद्देश्य है कि जनता के मन की बात को सरकार और नीति नियंताओं तक पहुँचा सकूं।भष्ट्राचार पर भी कड़ा प्रहार होना चाहिए तभी सभ्य समाज के बीच बाहुबली,माफिया और अपराधियों पर अंकुश लगेगा और हर गांव की बहन बेटी जमीन सुरक्षित होंगे ही नहीं बल्कि सरकार को ख्याति के साथ 2022 में पुनः बागडोर जनता सौपेंगी। यूपी विकास के पथ पर तेजी से बढ़ता हुआ महाराष्ट्र,गुजरात से प्रतिस्पर्धा के साथ खड़ा होगा।अधिवक्ताओं के समागम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा है बाहुबलियों, माफियाओं और अपराधियों के ध्वस्त किए जगहों पर वकील,शिक्षक और पत्रकारों के लिए आवास बनेंगे। अगर वास्तव में नीति नियंताओं द्वारा अमलीजामा बन गया तो यूपी भारत का अग्रणी प्रदेश अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही का नजीर बनने से कोई रोक नहीं सकता, मगर सवाल वही है उन लोगों पर जिन्होंने बाहुबली,माफिया और अपराधियों से मोटी रकम लेकर फलने फूलने का पूरा सहयोग दिया। क्या सरकार उसी तर्ज पर उन लोगों में भी कार्यवाही करेगी। मैं वक्त आने पर संलिप्त लोगों का खुलासा भी करूंगा जिनकी सूची तैयार है। यह प्रश्न आज भी जनता के बीच चर्चा बना हुआ है।क्या गुरु घंटालों पर कार्यवाही होगी।
रिपोर्ट : नितिन द्विवेदी
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