बहुत घातक है जातिवाद का जहर बोने की सियासत, एक दुर्दांत हत्यारे के इनकाउंटर पर चिल्ल्पों करने वालों को शर्म आनी चाहिए
बहुत घातक है जातिवाद का जहर बोने की सियासत, एक दुर्दांत हत्यारे के इनकाउंटर पर चिल्ल्पों करने वालों को शर्म आनी चाहिए
लखनऊ : भारतीय समाज की मुख्य विशेषता हमारी जातीय, धार्मिक, सांस्कृतिक और भाषायी विविधताओं के बावजूद हमारी सामजिक समरसता है। हजारों वर्षों से हम अलग-अलग मान्यताओं, परम्पराओं, पूजा पद्धतियों और विभिन्नता भरी जीवन शैली जीने के बाद भी इसलिए एक सूत्र में बंधे हैं, क्योंकि, इन सबके साथ ही हम एक समरस समाज हैं। हम हिन्दू, मुस्लिम, सिख, जैन, पारसी अथवा ईसाई होने से पहले समाज हैं, ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैश्य, अथवा शूद्र होने से पहले समाज हैं।
हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी इस सामाजिकता को बनाये रखने और इसे एक सूत्र में बांधकर सभ्य, सुसंस्कृत और सहज रूप देने की है। ऐसे में, हमे समझना होगा कि जो भी शक्तियां नितान्त निजी स्वार्थ के तहत हमारी इस सामाजिकता को छिन्न-भिन्न करने, हमारी समरसता में सम्प्रदायवाद अथवा जातिवाद का जहर बोने की कोशिश कर रही हैं, उन्हें कामयाब नहीं होने देना है।
वर्तमान में भी एक बार फिर से हमारे समाज मे जातिवाद का बेहद घातक जहर बोने की कोशिशें हो रही हैं, ये सियासती कोशिशें इस बार दुर्दान्त अपराधी विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद से जातिवाद का जहर बोकर राजनीतिक फायदा लेने की नीयत से शुरू की गयी हैं। सत्ता से अलग-थलग हो चुकी सियासी पार्टियां बड़ी चालाकी से हमारे समाज मे इस जहर का छिड़काव कर, नफरत की उपज से अपने स्वार्थ की पूर्ति का सपना देख रही हैं।
समझना हमें ही होगा, समाज के लिए बेहद जरूरी है जातीय – समरसता
समाज के लिए, जातिवाद का यह जहर बोने की यह कोशिशे बेहद घातक है, अपराधी विकास दुबे, जो की एक हार्डकोर क्रिमिनल, एक दुर्दान्त हत्यारा और एक आततायी था, जिसने न जाने कितने हँसते खेलते परिवारों की हंसी छीनकर, उनकी जमीन जायदाद कब्जा करके, मजलूम किसानों और आम व्यक्तियों की जिंदगियां छीनकर अपना काला साम्राज्य खड़ा किया था.
उसकी जाति को ढाल बनाकर की जा रही चिल्ल्पों करने वालों को शर्म आनी चाहिए। परन्तु अपने स्वार्थ के तहत समूचे समाज को लड़ाकर, समाज की व्यवस्था को जहरीली बनाकर, खुद की सियासती रोटियां सेंकने का सपना देखने वाले इन लोगों को शर्म आएगी नहीं, यदि कभी आयी होती तो ये ऐसा न करते। समझना हमें ही होगा, क्योंकि यह सामजिक समरसता जब तक हम हैं.
हमारे लिए भी आवश्यक है और हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी। हमें इन चालाक और जहरीले सियासतदां लोगों की नीयत को समझकर इनकी कोशिशों को नाकामयाब करना ही होगा। जातिवाद के नाम पर फैलाये जा रहे इस बवंडर को हमें रोकना ही होगा।
किसी का आदर्श नहीं हो सकता एक अपराधी, जुल्मो-सितम से जमीने कब्जाता था विकास:-
अपराधी किसी का आदर्श नहीं होता, अपराधी केवल अपराधी होता है। एक अपराधी सदैव अपनों पर ही अत्याचार करता है। अपनों की ही सम्पत्तियों जमीन-जायदाद और धन पर कब्जा करके वह अपना काला साम्राज्य खड़ा करता है। यही विकास दुबे ने भी किया, वह एक भय फैलाकर गुंडागर्दी करने वाला शख्श था, इसके बदले वह गुंडा टैक्स वसूलता था। अपनी गुंडागर्दी और जुल्मो-सितम से उसने आतंक बना रखा था। आम आदमी से लेकर व्यवसायी तक सब उसके जुल्म के शिकार थे।
चौबेपुर, बिल्हौर, बिठूर, शिवराजपुर और शिबली सहित कानपुर के जो सीमावर्ती इलाके हैं, वहां अगर किसी को फैक्ट्री, फॉर्म हाउस या बड़ा बंगला बनाने के लिए जमीन लेनी होती थी तो विकास की अनुमति जरूरी होती थी। यदि किसी ने गलती से बिना बताए या छिपाकर खरीद फरोख्त कर भी ली तो विकास का गैंग उस पर हमला कर देता था।
इलाके की जो बेहतरीन दाम देने वाली जमीन होती थी। भले ही वह किसी के नाम हो उस पर वह अपना बोर्ड लगा देता था। इसके बदले मालिक को डरा धमकाकर पैसे वसूलता था। प्रॉपर्टी को विवादित बनाकर उसे खरीदना-बेचना ही उसका प्रमुख काम था।
बेदर्द अपराधी बस अपना फ़ायदा देखता है, अंगूठा लगवाने को जालिम ने बुजुर्ग का अंगूठा काटा:-
विकास ने किसानों की जमीन कब्जाई और उन्हें ऊंचे दामों में बेचा। स्थानीय लोग बताते हैं कि विकास के अंदर दर्द नहीं था बस वह अपना फायदा चाहता था। गांव में एक बुजुर्ग झन्नू बाबा रहा करते थे। वह अकेले थे, उम्र हो गई थी। उनके पास जमीन भी अच्छी खासी थी।
बताते हैं उन्होंने कुछ जेवरात अपने खेत में ही दबा रखे थे। विकास बाबा के पीछे पड़ गया। उसने पेपर पर अंगूठा लगवाने केे लिए उनका अंगूठा काट लिया था। एक 72 वर्षीय बुजुर्ग ने बताया कि 1994 में एक किसान विकास को जमीन देने को तैयार नहीं था। यह बात विकास को नागवार गुजरी और उसने उस किसान की हत्या कर दी। पिछले 30 सालों से गैंगस्टर विकास दुबे लोगों को डराता, धमकाता और मनमाने फरमान सुनाता था।
जहर बोने की कोशिश, एक कांग्रेस नेता ने दी जातिगत उत्पीड़न के मामले को हवा:-
प्रदेश के एक बड़े कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद ने पार्टी फोरम के बजाय ब्राह्मण चेतना परिषद के जरिए मुद्दे को उठाया। उन्होंने एक पत्र जारी कर आरोप लगाया कि मौजूदा योगी सरकार में लगातार ब्राह्मणों की हत्याएं हुई हैं। पत्र में कहा कि ब्राह्मण उत्पीड़न की घटनाओं को अंजाम देने वालों पर कार्रवाई के बजाय इस सरकार में संरक्षण दिया जा रहा है। कांग्रेस 2019 अंत में भी पार्टी से ब्राह्मणों को जोड़ने की कोशिश कर चुकी है। एक बार फिर कांग्रेस जातिगत आवेश को भुनाकर ब्राह्मणों को अपने पाले में करना चाहती है। एनकाउंटर पर सपा और बसपा सभी ने सवाल उठाया है।
लड़ाने की साजिश, कुछ लोग सरकार बनने के बाद से ही चला रहे हैं ब्राह्मण बनाम ठाकुर की बहस:-
क्योंकि यूपी की सियासत में जातीय समीकरणों का बोलबाला हमेशा से रहा है। विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद एक बार फिर प्रदेश में जातिगत राजनीति को हवा मिल रही है। एनकाउंटर को विकास दुबे के ब्राह्राण होने से जोड़ जा रहा है।
बहसों में कहा जा रहा है कि योगी सरकार के कार्यकाल के दौरान ब्राह्मणों का लगातार उत्पीड़न किया जा रहा है। योगी सरकार को लेकर शुरू से यह धारणा रही है कि इस सरकार में ब्राह्मणों की उपेक्षा की जा रही है। हालांकि, अबतक की चुनावी राजनीति में ब्राह्मण बनाम ठाकुर की इन चर्चाओं का बहुत असर नहीं दिखा। 2017 में ठाकुर समुदाय के योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी 2019 के लोकसभा चुनावों में भी भाजपा को ब्राह्राणों का भरपूर समर्थन मिला।
अमरेन्द्र प्रताप सिंह
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