औरैया बिधूना : राज्यमंत्री के रिश्तेदारों को लाभान्वित करने को पुलिस प्रशासन पर दलित को उसकी भूमि से उजाड़कर उत्पीड़न का आरोप.. !

औरैया बिधूना : राज्यमंत्री के रिश्तेदारों को लाभान्वित करने को पुलिस प्रशासन पर दलित को उसकी भूमि से उजाड़कर परिवार की महिलाओं सहित, फर्जी मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने के लग रहे आरोप...

औरैया / बिछाना : राज्यमंत्री के रिश्तेदारों को लाभान्वित करने को पुलिस प्रशासन पर दलित को उसकी भूमि से उजाड़कर परिवार की महिलाओं सहित, फर्जी मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने के लग रहे आरोप !देश की आजादी के पहले से था दलित काबिज, जमींदारों ने भी उसे नहीं हटाया था,ग्रामीणों में तनाव !

समाजसेवियों ने प्रकरण को मुख्यमंत्री व न्यायालय की शरण में ले जाने की तैयारी !

बिधूना तहसील क्षेत्र के असू गांव में देश की आजादी के पहले जमींदारी समय से भूमि पर काबिज दलित को सबका साथ सबका विकास का दावा करने वाली भाजपा सरकार के कार्यकाल में ही प्रदेश सरकार के जिले के राज्यमंत्री के इशारे पर उनके रिश्तेदारों को लाभान्वित करने की मंशा से पुलिस व प्रशासन द्वारा पीडब्ल्यूडी की जगह बताकर उसकी भूमि से बेदखल करने के साथ विभिन्न मुकदमों में सम्पूर्ण परिवार महिलाओं सहित जेल भिजवाए जाने के साथ, उक्त असू गांव के लोगों में पुलिस प्रशासन की कार्रवाई को लेकर भारी तनाव और दहशत का माहौल कायम है।इस मामले को कुछ समाजसेवियों द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री व न्यायालय की शरण में ले जाने की तैयारी शुरू कर दी गई है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक बिधूना तहसील क्षेत्र के सहायल थाना अंतर्गत ग्राम असू में गांव को जोड़ने वाले चकरोड के किनारे देश की आजादी से पहले जमीदारी समय में इसी गांव निवासी दलित सुरेशचंद्र खटीक (चक्रवर्ती) के परिवारीजन ग्राम पंचायत की परती भूमि संख्या 1082 पर कब्जा किए थे इस कब्जेदारी से संबंधित सुरेश चंद्र खटीक के पास 49 च नामक एक रसीद भी अपनी निजी भूमि होने का अभिलेख के रूप में प्रस्तुत की जा रही है।
यही नहीं कई वर्ष पूर्व उक्त चकरोड के स्थान पर पीडब्ल्यूडी द्वारा सड़क का निर्माण करा दिया गया है और इस सड़क के किनारे सड़क से सटे हुए कई लोगों के पक्के मकान भी बने हुए हैं किंतु उक्त दलित परिवार अभावों के चलते अपनी कब्जे की भूमि पर मकान नहीं बना सका। यही गौरतलब है कि दलित की उक्त भूमि के पीछे गांव के ही एक जमींदार रहे ठाकुर माई दयाल सिंह गौर की भूमि संख्या 1094 स्थित है किंतु जमीदारी जमाने में भी ठाकुर माई दयाल सिंह व बाद में उनके पुत्रों या पौत्रों द्वारा भी उक्त दलित को उसकी भूमि से बेदखल नहीं किया गया। बाद में माई दयाल सिंह के परिजन अंताभ सिंह ने उक्त भूमि को दो लोगों बलवीर सिंह निवासी -रुन्दहा व गुल्लर सिंह निवासी – असू को बेच दिया, इसके बाद इन लोगों ने उक्त भूमि को दो भाइयों राम सिंह राजपूत व अनिल सिंह राजपूत निवासी रून्दहा को पिछले दिनों बेंच दिया गया है। चर्चा है कि उक्त भूमि खरीदने वाले राम सिंह राजपूत व अनिल राजपूत पेशे से शिक्षक है और प्रदेश सरकार के कृषि राज्य मंत्री लाखन सिंह राजपूत के रिश्तेदार भी बताए जाते हैं यह सहायल – याकूबपुर मोड़ के पास कोई स्कूल भी चलाते हैं और इस स्कूल के निर्माण ( मुख्य द्वार ) के मामले में भी यह दोनों लोग चर्चाओं में रह चुके हैं। लेकिन पैसे और रसूख से प्रकरण को दवा दिया था !
जनचर्चा आम यह है कि रामसिंह राजपूत व अनिल सिंह राजपूत – असू में खरीदी गई भूमि पर भी कोई विद्यालय / कॉलेज बनाना चाहते हैं किंतु इस भूमि के आगे सड़क के किनारे दलित सुरेश चंद्र खटीक के प्लाट की भूमि के आड़े आने से राजपूत बंधुओं की सड़क तक पहुंचने की मंशा पूर्ण नहीं हो रही थी जिस पर दलित के कब्जे वाली भूमि को पीडब्ल्यूडी की भूमि बता कर अपने रिश्तेदार कृषि राज्यमंत्री लाखन सिंह राजपूत के इशारे पर पुलिस प्रशासन के साथ पीडब्ल्यूडी द्वारा पिछले दिनों उक्त दलित का अस्थाई निर्माण जेसीबी से ध्वस्त कराने और उक्त भूमि से बेदखल करने के साथ दलित के परिवार की कई महिलाओं समेत आठ लोगों को पुलिस व प्रशासन के ऊपर पथराव और मारपीट करने आदि विभिन्न मामलों में जेल भेज दिया गया है।
थाना – पुलिस, तहसील- प्रशासन एवं PWD की उक्त कार्यवाही को लेकर गांव के ग्रामीणों में भारी तनाव के साथ दहशत का माहौल बना हुआ है। असू गांव समेत आसपास के कई गांवों के ग्रामीणों का कहना है कि उक्त दलित सुरेश चंद्र का उक्त भूमि पर जमीदारी जमाने से कब्जा रहा है जमींदारों ने भी कभी उसे बेदखल नहीं किया वही सुरेश चंद्र की भूमि के अगल-बगल भी सड़क से सटे हुए लोगों के पक्के मकान बने खड़े हैं और ऐसे लोगों के पास उक्त जमीन के 49 च के अलावा निजी भूमि होने के कोई अन्य सबूत नहीं है फिर आखिरकार इन बने खड़े मकानों में पीडब्ल्यूडी की जमीन क्यों नहीं निकल रही है सिर्फ दलित सुरेश चंद्र को ही बेदखल किए जाने की मंशा के पीछे राज्यमंत्री के रिश्तेदारों को लाभान्वित किया जाना जगजाहिर हो चुका है । इस संबंध में उपजिलाधिकारी राशिद अली व पुलिस अधिकारी सभी पीडब्ल्यूडी व सरकारी भूमि बताकर कारवाई किया जाना कह रहे हैं जबकि दलित को बेदखल किए जाने के पीछे की वास्तविक मंशा पर सभी पर्दा डालने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं कृषि राज्य मंत्री लाखन सिंह राजपूत अपने ऊपर लग रहे आरोपों को अनुचित ठहरा रहे हैं।
यही नहीं इस प्रकरण को कुछ समाजसेवियों द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व न्यायालय की शरण में ले जाने की तैयारी शुरू कर दी है। साथ ही इस मामले में सत्ता पक्ष व पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहे है।

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