महोबा की धरा में आल्हा और ऊदल और वीर चंदेलों की वीरता कण कण में समाई – पीएम मोदी

महोबा की धरा में आल्हा और ऊदल और वीर चंदेलों की वीरता कण कण में समाई है वह महोबा की धरती को हमार कोटि कोटि प्रणाम पहुंचे। महोबा की ऐतिहासिक धरती पर आकर एक अलग की अनुभूति होती है।

महोबा । महोबा (Mahoba)  की धरा में आल्हा और ऊदल और वीर चंदेलों की वीरता कण कण में समाई है वह महोबा (Mahoba)  की धरती को हमार कोटि कोटि प्रणाम पहुंचे। महोबा (Mahoba)  की ऐतिहासिक धरती पर आकर एक अलग की अनुभूति होती है। इस समय देश की आज़ादी में जनजातीय समुदाय के योगदान के लिए जनजातीय सप्ताह मनाया जा रहा, गुरु नानक देव  का आज प्रकाश पर्व भी है,शुभकामनाएं देता हूँ

आज ही भारत की वीर बेटी,बुंदेलखंड की शान महारानी लक्ष्मीबाई का जन्मदिन भी है ।बीते 7 सालों में हम कैसे सरकार को दिल्ली के बन्द कमरों से निकाल कर देश के कोने कोने में लाये हैं ये महोबा (Mahoba)  इस बात का गवाह है

कुछ महीने पहले यहां से देश के उज्ज्वला योजना के दूसरे चरण की शुरुआत की थी,मुझे याद है मैंने मुस्लिम बहनों को तीन तलाक से मुक्ति दिलाऊंगा,महोबा (Mahoba)  में वो किया गया वादा पूरा हो चुका है।

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आज मैं आप बुंदेलखंडी भाइयों बहनों को बहुत बड़ी सौगात देने आया हूँ.

3 हजार करोड़ से ज्यादा लागत से बनी इन परियोजनाओं से हमीरपुर, ललितपुर बांदा के लाखों किसान परिवार को लाभ मिलेगा,4 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा । पीढ़ियों के इंतज़ार आज खत्म हो गया। आपका विश्वास मेरी सर आंखों पर।

महोबा (Mahoba)  सहित ये पूरा क्षेत्र कभी जल संरक्षण का उत्तम मॉडल हुआ करता था,बुंदेलों चंदेलों परिहार राजाओं के समय के तालाब इसके उदाहरण हैं

यही चित्रकूट बुंदेलखंड है जिसने वनवास में प्रभु राम का साथ दिया। समय के साथ यही क्षेत्र पानी की चुनौती और पलायन का केंद्र कैसे बन गया,क्यों लोग यहां की बेटियां पानी वाले क्षेत्र मे शादी की कामना करने लगी,इन सवालों को महोबा (Mahoba)  और बुन्देलखण्ड के लोग भली भांति जानते हैं

दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने इस क्षेत्र का दोहन किया, माफियाओं ने यहां के संसाधनों का दुरुपयोग किया  अब कैसे इनपर बुलडोज़र चल रहा है। ये लोग कैसे भी शोर मचा लें लेकिन काम नही रुकने वाला है,इनलोगो ने जैसा बर्ताव किया उसे बुंदेलखंड के लोग नही भूल सकते

नलकूप ताल तलैया के नाम पर इन लोगो ने फीते बहुत काटे लेकिन क्या किया ये आप भी जानते हैं। खुदाई पानी मे कमीशन,सूखा राहत में घोटाले हुए, आपका परिवार बून्द बून्द तरसे इनसे उनका कोई सरोकार नही था

बरसो तक ये अर्जुन सहायक अधूरी पड़ी रही। 2014 के बाद जब मैंने देखा तो उन योजनाओं का रिकॉर्ड मंगवाया

मैं जिस गुजरात से आता हूँ वहां के जो पहले हालात थे वो यहां बुंदेलखंड से अलग नही थे,आज कच्छ के रेगिस्तान तक पानी पहुंच रहा है, जैसी सफलता हमने वहां पाई वही यहां भी होने जा रहा है

परिवारवादियो की सरकारों ने वर्षो तक प्यासा रखा,कर्मयोगियों ने 2 साल के अंदर हर घर नल दिया। कर्मयोगियो की डबल इंजन सरकारों ने स्कूलों में बेटियों के लिए टॉयलेट बनवाये

जब गरीब कल्याण की इच्छा हो तो ऐसे ही कार्य होते हैं

दशकों तक बुंदेलखंड के लोगों ने लूटने वाली सरकारें देखीं हैं,पहली बार बुंदेलखंड के लोग, यहां के विकास के लिए काम करने वाली सरकार को देख रहे हैं,वो उत्तर प्रदेश को लूटकर नहीं थकते थे, हम काम करते-करते नहीं थकते हैं…किसानों को हमेशा समस्याओं में उलझाए रखना ही कुछ राजनीतिक दलों का आधार रहा है…

ये समस्याओं की राजनीति करते हैं और हम समाधान की राष्ट्रनीति करते हैं,केन-बेतवा लिंक का समाधान भी हमारी ही सरकार ने निकाला है, सभी पक्षों से संवाद करके रास्ता निकाला है।

परिवारवादियों की सरकारें किसानों को सिर्फ अभाव में रखना चाहती थी, हमने किसानों के लिए पूरी रकम सीधे उनके घर तक पहुंचाई है

परिवारवादियों की सरकारें किसानों को सिर्फ अभाव में रखना चाहती थी। वो किसानों के नाम से घोषणाएं करते थे, लेकिन किसान तक पाई भी नहीं पहुंचती थी। जबकि पीएम किसान सम्मान निधि से हमने अब तक 1 लाख 62 हज़ार करोड़ रुपए सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजे हैं।

हम बुंदेलखंड से पलायन को रोकने के लिए इस क्षेत्र को रोज़गार में आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे और यूपी डिफेंस कॉरिडोर भी इसका एक बहुत बड़ा प्रमाण है।

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