बिहार चुनाव: पीएम की रैली में नहीं दिखी भीड़, जोश व उत्साह भी गायब 

....जनसभा में उमड़ी भीड़ में पहले की तरह जोश व उत्साह नही दिखा। सभा में कुर्सियां भी खाली रही। 

बिहार चुनाव। राज्य में चुनावी बिगुल बजते ही घमासान शुरू हो गया था। अब इसमें राज्यों के मुख्यमंत्री और यहां तक कि स्वयं प्रधानमंत्री मोर्चा संभालने में जुट गए हैं। शुक्रवार को भागलपुर में पीएम मोदी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर हमला बोला। हालांकि जनसभा में उमड़ी भीड़ में पहले की तरह जोश व उत्साह नही दिखा। सभा में कुर्सियां भी खाली रही।

 

खाली रही कुर्सियां

बता दें वैसे तो कम लोगों को ही रैली में पहुंचने की अनुमति थी, उसमें भी लोग नही पहुंचे। जिसके चलते भाजपा नेता दिलीप जायसवाल को मंच से बार-बार अपील करना पड़ा कि मंच के दाहिनी तरफ कुर्सियां खाली हैं। लोग आगे आ जाएं। शायद उन्हें यह लगा कि पीएम के आने पर उन्हें मैदान भरा लगना चाहिए, नही तो कहीं नकारात्मक संदेश न चला जाए और इसका नतीजा परिणाम पर पड़े।

ये लोग रहे मौजूद

कोविड-19 के दौरान हुई पीएम की इस रैली में जिला प्रशासन की तरफ से फिजिकल दूरी के नियमों का पालन किया गया। उम्मीदवारों के लिए मंच पीएम के मंच से अलग बनाया गया था। सभा में महिलाओं की संख्या भी न के बराबर ही दिखी। बता दें सासाराम, गया के बाद उनकी भागलपुर में यह तीसरी सभा थी। जहां उन्होंने 45 मिनट तक जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उनके साथ मंच पर सीएम नीतीश कुमार, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे व बांका के सांसद गिरधारी यादव मौजूद रहे।

विपक्ष पर किया प्रहार

उन्होंने अपना भाषण स्थानीय भाषा में ‘सबके प्रणाम करै छौन’ से शुरू किया। आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि बिहार राजग के नेतृत्व में आगे बढ़ रहा है, यदि इस बार राजग की सरकार नहीं बनी तो विकास की रफ्तार धीमी पड़ जाएगी। विपक्ष पर जुबानी प्रहार करते हुए बोले कि आम जनता की जरूरतों से इनका कोई मतलब नहीं है। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई तो उसका विरोध किया। तीन तलाक हटाकर मुस्लिम महिलाओं को अधिकार देने का भी विरोध किया।
इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल पर तंज कसते हुए कहा कि अपने परिवार की तिजोरी भरने वालों ने दलित-महादलित गरीब परिवारों की चिंता कभी नहीं की। सिर्फ परिवार, रिश्तेदार की फिक्र की और उनका भला किया। करीब 45 मिनट तक चले उनके भाषण में वह विपक्ष पर करारा प्रहार करते रहे।

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