जैन धर्म के लोग सूर्यास्त के बाद नहीं करते हैं भोजन, जानकर चौंक जाएंगे

जैन धर्म में तो रात्रि भोजन करने की साफ साफ मनाही हैं, क्योंकि जैन धर्म अहिंसा पर जोर देता हैं फिर चाहे वह किसी भी रूप में क्यों न हो।

जैन धर्म में तो रात्रि भोजन करने की साफ साफ मनाही हैं, क्योंकि जैन धर्म अहिंसा पर जोर देता हैं फिर चाहे वह किसी भी रूप में क्यों न हो। रात में भोजन ग्रहण नहीं करने के दो कारण हैं पहला अहिंसा और दूसरा बेहतर स्वास्थ्य। वही वैज्ञानिक शोधों से भी यह स्पष्ट हो चुका हैं।

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ये है इसकी वजह:
सूर्यास्त के पहले भोजन करने से व्यक्ति कई तरह की बीमारियों से भी बच जाता है, क्योंकि रात्रि में कई तरह के बैक्टिरिया और अन्य जीव हमारे भोजन से चिपक जाते हैं या उनमें स्वत: ही पैदा होने लगते हैं। इसके साथ ही जैन धर्म में इसे हिंसा माना जाता हैं इसलिए रात्रि में भोजन को जैन धर्म और आयुर्वेद में निषेध बताया गया हैं।

वहीं अगर सेहत की बात करें तो सूर्यास्त के बाद प्रकृति सोने लगती है। वृक्ष, पशु और पक्षी सभी नींद के आगोश में जाने लगते हैं। हमारा भोजन भी प्रकृति का एक हिसा है। रात्रिकाल होते ही भोजन की भी प्रकृति बदल जाती है। प्रकृति बदलने से उसकी गुणवत्ता में भी गिरावट आ जाती है। रात्रिकाल के शुरु होते ही भोजन में बासीपन और दूषित होने की प्रक्रिया शुरु होने लगती है।

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