ट्रेनों से नल, शीशे, सोप डिस्पेंसर चुरा ले जा रहे पैसेंजर, रेलवे ने लिया ये बड़ा फैसला
भारतीय रेलवे ने अपनी तरफ से यात्रियों को अच्छी सुविधा देने की भरपूर कोशिश की, लेकिन यात्रियों को अच्छी सुविधा रास नहीं आई और सरकारी संपत्ति को ऐसा चूना लगाया कि रेलवे को अपनी संपत्ति में बदलाव करने के लिए मजबूर होना पड़ गया है.
दरअसल रेलवे ने अपनी लंबी दूरी की ट्रेनों के अपग्रेडेशन के लिए 2018 में करीब 300 उत्कृष्ट रैक शामिल किए थे. इसमें यात्रियों की सुविधा के लिए 400 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे और टॉयलेट को उत्कृष्ट बनाने के लिए स्टील की महंगी फिटिंग्स, LED लाइट, फ्रेशनर बॉक्स लगाई गई थी.
उत्कृष्ट रैक के टॉयलेट में स्टेनलेस स्टील फिटिंग्स का इस्तेमाल होता है. पिछले डेढ़ साल के दौरान ट्रेन के टॉयलेट और वाश बेसिन से 5 हजार से ज्यादा स्टेनलेस स्टील नल की चोरी हुई. मुम्बई में सेंट्रल रेलवे के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी ए.के. सिंह ने बताया की रेलवे डेटा के मुताबिक लंबी दूरी की ट्रेनों के उत्कृष्ट रैक से स्टेनलेस स्टील फ्रेम के साथ 2 हजार से ज्यादा बाथरूम मिरर, 500 लिक्विड सोप डिस्पेंसर और करीब 3 हजार फ्लश वॉल्व गायब हैं. जो बेहद चौकाने के साथ साथ शर्मनाक भी है.
रेलवे को लाखों का नुकसान
मुम्बई में सेंट्रल रेलवे के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी ए.के सिंह के मुताबिक टॉयलेट के नल, मिरर, साबुन केस जैसे सामानों की चोरी से रेलवे को काफी नुकसान हो रहा है. पिछले एक महीने में चोरों की वजह से सेंट्रल रेलवे को 15.25 लाख रुपये का जबकि वेस्टर्न रेलवे को 38.58 लाख रुपये का नुकसान हुआ है.
चोरी हुए स्टेनलेस स्टील फिटिंग को वापस लगाना खर्चीला होगा.इसलिए रेलवे ने महंगे स्टेनलेस स्टील फिटिंग्स की जगह प्लास्टिक के टैप लगाने का फैसला किया है. स्टील का एक टैप 300 से 450 रुपये का आता है, जबकि प्लास्टिक के एक टोटी में 60 से 80 रुपये ही खर्च होंगे.
ट्रेन के टॉयलेट से नल, मिरर, सोप डिस्पेंसर, फ्रेशनर जैसे सामानों की चोरी होने की बढ़ती घटनाओं के बाद चोरों और बदमाशों को रोकने के लिए रेलवे को सामानों की गुणवत्ता में बदलाव का फैसला लेना पड़ा है. कुछ असामाजिक तत्वों की वजह से सभी यात्रियों को अच्छी सेवा से वंचित होना पड़ रहा है.
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