इलाज के लिए तड़प रहा ‘लाशों का मसीहा’, योगी सरकार ने पद्म श्री देने का किया था ऐलान
25 हजार से ज्यादा लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करने वाले लाशों के मसीहा की कोई सुध लेने वाला नहीं है. आर्थिक तंगी से जूझ रहे अयोध्या के रहने वाले मोहम्मद शरीफ की तबियत काफी खराब है लेकिन पैसे के अभाव में इलाज तक नहीं करा पा रहे हैं. सबसे गौर करने वाली बात ये है कि, पिछले साल ही सूबे की योगी सरकार ने पद्म अवॉर्ड देने की घोषणा की थी. लेकिन साल गुजर गया और सरकारी घोषणा सिर्फ कागजों में दफन होकर रह गई.
25 हजार से ज्यादा लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करने वाले लाशों के मसीहा की कोई सुध लेने वाला नहीं है. आर्थिक तंगी से जूझ रहे अयोध्या के रहने वाले मोहम्मद शरीफ (mohammad sharif) की तबियत काफी खराब है लेकिन पैसे के अभाव में इलाज तक नहीं करा पा रहे हैं. सबसे गौर करने वाली बात ये है कि, पिछले साल ही सूबे की योगी सरकार ने पद्म अवॉर्ड देने की घोषणा की थी. लेकिन साल गुजर गया और सरकारी घोषणा सिर्फ कागजों में दफन होकर रह गई.
योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पिछले साल 83 वर्षीय मोहम्मद शरीफ (mohammad sharif) को पद्म अवार्ड देने का ऐलान किया था. लेकिन आज तक उन्हें ना तो अवार्ड मिला और ना ही प्रशस्ति पत्र. लेकिन शर्म की बात तो ये है कि, लाशों के प्रति मानवता की मिसाल पेश करने वाले मोहम्मद शरीफ को जीते जी इलाज तक नहीं मिल रहा है. खुद आर्थिक तंगी झेलकर भी लाशों का अंतिम संस्कार करने वाले मोहम्मद शरीफ साइकिल मरम्मत की दुकान चलाते हैं. लेकिन बीमारी की वजह से वो भी बंद हो चुकी है. अब परिवार किसी सरकारी मदद की आस लगाए बैठा है.
25 हजार लाशों का अंतिम संस्कार करने वाले मोहम्मद शरीफ (mohammad sharif) को पद्म अवार्ड देने का ऐलान हुआ तो उनके अंदर एक इच्छा जागी की ये अवार्ड देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें दें. लेकिन वो भी आजतक अधूरी ही रही.
सरकार कतार में खड़े आखिरी आदमी तक अपनी मदद पहुंचाने के भले ही लाख दावे कर ले, लेकिन शरीफ (mohammad sharif) जैसे हजारों लोग इस देश में हैं जो आर्थिक तंगी से दम तोड़ रहे हैं. केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना ऐसे लोगों के दहलीज तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देती है. लेकिन सरकार आंकड़ों में कर किसी को मदद पहुंचा रही है.
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मोहम्मद शरीफ (mohammad sharif) ने करीब 28 साल पहले लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार का जिम्मा अपने कंधों पर इसलिए उठाया था क्योंकि उनके बेटे को अंतिम संस्कार तक नसीब नहीं हुआ था. दरअसल, 28 साल पहले सुलतानपुर की एक ट्रेन में मोहम्मद शरीफ के बेटे की हत्या करके लाश को ट्रेन की पटरियों के किनारे फेंक दिया गया था. जिसकी पहचान पुलिस ने बेटे की शर्ट के कॉलर के नीचे लगे स्टीकर से की थी. तभी से उन्होंने लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार का फैसला किया था और अब तक 25 हजार लाशों का अंतिन संस्कार कर चुके हैं.
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