लखनऊ : को-ऑपरेटिव बैंक में हुई नियुक्तियों में भ्रष्टाचार पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश
को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड के तत्कालीन 2 प्रबंध निदेशकों, उप्र सहकारी संस्थागत सेवामंडल के तत्कालीन अध्यक्ष, सचिव, सदस्य संतोष कुमार श्रीवास्तव के साथ-साथ संबंधित भर्ती कम्प्यूटर एजेंसी के खिलाफ दर्ज होगा मुकदमा
लखनऊ। सहकारिता विभाग में हुई नियुक्तियों में भ्रष्टाचार करने वालों के बुरे दिन आ गए हैं। मामले की जांच कर रही एसआईटी की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले में आरोपित अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने शुक्रवार को ट्वीट कर इस कार्रवाई की जानकारी दी है।
आईपीसी की विभिन्न धाराओं में अभियोग पंजीकृत
ताजा आदेश के मुताबिक उत्तर प्रदेश को-ऑपरेटिव बैंक के सहायक प्रबंधक सामान्य एवं सहायक प्रबंधक कम्प्यूटर की वर्ष 2015-16 तथा प्रबंधक व सहायक कैशियर पद पर 2016-17 में की गई भर्ती में भ्रष्टाचार के आरोपों में उत्तर प्रदेश को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड तथा उप्र सहकारी संस्थागत सेवामंडल, लखनऊ की तत्कालीन प्रबंध समिति के अधिकारियों तथा कर्मचारियों सहित 7 आरोपियों के विरुद्ध आईपीसी की विभिन्न धाराओं में अभियोग पंजीकृत किया जाना है।
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एसआईटी जांच में उप्र को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड के तत्कालीन 2 प्रबंध निदेशकों, हीरालाल यादव व रविकांत सिंह, उप्र सहकारी संस्थागत सेवामंडल के तत्कालीन अध्यक्ष रामजतन यादव, सचिव राकेश मिश्र, सदस्य संतोष कुमार श्रीवास्तव के साथ-साथ संबंधित भर्ती कम्प्यूटर एजेंसी मे. एक्सिस डिजिनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, लखनऊ के अलावा उप्र को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड और उप्र सहकारी संस्थागत सेवामंडल, की प्रबंध समिति के अन्य अधिकारियों व कर्मचरियों के विरुद्ध भारतीय दंड विधान की धारा 420, 467, 468, 471 तथा 120 बी के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत किये जाने की अनुशंसा की गई थी, जिसे मुख्यमंत्री ने स्वीकार कर लिया है।
जांच आख्या उपलब्ध कराने के भी आदेश
इसके साथ ही मुख्यमंत्री जी उ.प्र. राज्य भंडारण निगम में वर्ष 2013 व उप्र सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड में वर्ष 2015-16 में हुई भर्तियों के संबंध में प्रचलित एसआईटी जांच एक माह के भीतर पूरी कर जांच आख्या उपलब्ध कराने के भी आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में नौकरी का एकमात्र मानक मेरिट है। पूरी शुचिता और पारदर्शिता के साथ योग्य उम्मीदवार को ही नौकरी मिलेगी। इसमें गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं है। बावजूद इसके नियुक्तियों में भ्रष्टाचार हुआ तो दोषियों को जेल में ही ठिकाना मिलेगा।
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