ऑनलाइन शॉपिग बना रिटेलरों के लिए खतरा
ऑनलाइन शॉपिंग का जुनून लोगों में बहुत तेजी से बढ़ रहा है। खासकर आज के युवाओं में ऑनलाइन शॉपिंग को ही अहमियत दे रहा है। इसका कारण यह है कि एक तो ग्राहक अपने मोबाइल से ही वस्तु को चुनकर उसका आर्डर भेज देता है। दूसरा यह की डिस्काउंट भी मिल जाता है। तीसरा उसे शॉप पर जाने की जरूरत नहीं पड़ती। जिससे समय भी बचता है।
ऑनलाइन शॉपिंग का बढ़ता क्रेज मार्केट रिटेलरों को खत्म करता जा रहा है। इससे परेशान पंजाब सुपर डिस्ट्रिब्यूटर्स एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सुझाव दिए हैं। साथ ही आग्रह किया है कि इस संबंध में जनरल रिटेलर के हितों को ध्यान में रख कर नीति बनाई जाए।
कारोबारियों का कहना है देश में 10 फीसद खुदरा बाजार संगठित क्षेत्र में और 90 फीसद असंगठित क्षेत्र में है। ऑनलाइन शॉपिंग की हिस्सेदारी तीन से चार फीसद है। माना जा रहा है कि वर्ष 2025 तक यह हिस्सेदारी बढ़कर 10 फीसद हो जाएगी। इस बढ़ते बाजार को लेकर जनरल रिटेलरों को अपनी हिस्सेदारी बचाने की राह नहीं मिल रही है। रिटेलरों का तर्क है कि जनरल डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम में बड़ी कंपनियों को करीब 10 फीसद एवं छोटी कंपनियों को 20 फीसद तक सेल्स टीम का खर्च पड़ता है जबकि ऑनलाइन रिटेलिंग साइट्स का यह खर्च बचता है और वे ग्राहक को ज्यादा डिस्काउंट पर देते हैं।
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