अब महिलायें भी दे सकेंगी एनडीए की परीक्षा, अगले साल मई से आवेदन करने के अवसर

रक्षा मंत्रालय ने दिया सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा बताया कि तीनों रक्षा सेवाओं की प्रवेश परीक्षा में महिला अभ्यर्थियों का भी होगा चयन

रक्षा बलों में जाने की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए अच्छी खबर आयी है। एक वर्ष में दो बार आयोजित होने वाली एनडीए (राष्ट्रीय रक्षा अकादमी) की प्रवेश परीक्षा में महिलाओं को भी मौका दिए जाने के रास्ता साफ हो गया है। रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर यह सूचित किया कि अगले साल मई से तीनों रक्षा सेवाओं की प्रवेश परीक्षा (एनडीए) में महिला अभ्यर्थियों का भी चयन किया जायेगा। सरकार अगले साल मई तक महिलाओं के एनडीए में चयन की कार्यप्रणाली को अमल में ला सकती है।

वर्ष में दो बार होती है एनडीए की परीक्षा

तीनो सेनाओं में प्रवेश का रास्ता एनडीए की प्रवेश परीक्षा से होकर जाता है। इसके लिए देशभर के नवजवानों को एक वर्ष में दो बार अवसर दिया जाता है। पुरे देश भर में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) इस परीक्षा को आयोजित करता है। बता दें कि एनडीए की प्रवेश परीक्षा में अभी तक केवल 12 वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद पुरुषों की ही भर्ती हो पाती थी। वर्तमान में तीनों सेनाओं में महिलाओं के प्रवेश का रास्ता साफ हो गया है। सरकार इस कार्यप्रणाली को जल्द ही अमल में लाएगी।

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने सुप्रीम कोर्ट को यह बताया कि एनडीए में महिलाओं के प्रवेश का निर्णय भारत सरकर ने लिया है। महिलाओं के एनडीए प्रवेश परीक्षा में बैठने देने की अनुमति को लेकर न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने केंद्र सरकार को तलब किया था। एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने जब सरकार का पक्ष पीठ को बताया था तो जज बेहद प्रसन्न हुए। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक महिलाओं का चयन के मापदंडों की लिहाज से विशेषज्ञों कि एक समिति का गठन कर दिया गया है जो इनके आयु, मेडिकल मानक और सभी जरुरी संभव प्रशिक्षणों के बारे में अपनी राय देगी।

पुरुषों जैसी ही होगी महिलाओं की ट्रेनिंग

विशेषज्ञों की माने तो, प्रशिक्षण में कटौती रक्षा बलों के कार्यक्षमता और गुणवत्ता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। ऐसी दशा में अगर महिलाओं का चयन एनडीए में प्रवेश के लिए किया जाता है तो उनके लिए किसी भी प्रकार की अलग ट्रेनिंग की नहीं होगी। तात्पर्य यह है कि महिलाओं को भी पुरुषों जैसी ही ट्रेनिंग दी जायेगी क्योंकि रक्षा बलों की कार्यक्षमता और गुणवत्ता के साथ किसी भी दशा में कोई समझौता नहीं किया जा सकता।

महिला अभ्यर्थियों के लिए अभी पाठ्यक्रम तय करना भी शेष है लिहाजा इस प्रक्रिया में थोड़ा और समय लग सकता है। लेकिन संभव है कि अगले वर्ष मई तक महिलाओं को यह मौका दिया जा सकता है। वहीं रक्षा सेवाओं में कार्यरत अधिकारियों ने सरकार के इस निर्णय को महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक ठोस कदम बताया है।

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