अब सिर्फ यादों में लालजी टंडन : इनके मनाने पर छोड़ी थी राजनाथ सिंह के लिए लखनऊ सीट

Lalji Tandon in memories : मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का आज लखनऊ में निधन हो गया है. लालजी टंडन का पिछले काफी द‍िनों से लखनऊ के मेदांता अस्‍पताल में इलाज चल रहा था. वो उत्तर प्रदेश की राजनीति में बीजेपी के दिग्गज नेता माने जाते थे।
Lalji Tandon in memories अटल बिहारी वाजपेयी से थे गहरे संबंध
  • लालजी टंडन का जन्म 12 अप्रैल 1935 को हुआ था.
  • अपने शुरुआती जीवन में ही लालजी टंडन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए थे.
  • उन्होंने स्नातक तक पढ़ाई की.
  • इसके बाद 1958 में लालजी का कृष्णा टंडन के साथ विवाह हुआ.
  • उनके बेटे गोपाल जी टंडन इस समय उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में मंत्री हैं.
  • संघ से जुड़ने के दौरान ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से उनकी मुलाकात हुई.
  • लालजी शुरू से ही अटल बिहारी वाजपेयी के काफी करीब रहे.
  • लालजी टंडन खुद कहा करते थे कि अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति में उनके साथी, भाई और पिता तीनों की भूमिका अदा की है.
  • अटल के साथ उनका करीब 5 दशकों का साथ रहा.
  • इतना लंबा साथ अटल का शायद ही किसी और राजनेता के साथ रहा हो.
संघ से सियासत में आए और फिर राजनीति में रखा कदम :-
  • लालजी टंडन संघ से सियासत में आए और पार्षद से सांसद और राजभवन तक का सफर तय किया था.
  • आपको बता दें कि लालजी टंडन का राजनीतिक सफर साल 1960 में शुरू हुआ.
  • टंडन दो बार पार्षद चुने गए और दो बार विधान परिषद के सदस्य रहे.
  • 1978 से 1984 तक और 1990 से 1996 तक लालजी टंडन दो बार उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे.
  • इस दौरान 1991-92 में बीजेपी सरकार में मंत्री बने.
  • 1996 से 2009 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे.
  • कल्याण सिंह से लेकर राजनाथ सिंह तक की सरकार में मंत्री रहे और 2009 में लखनऊ से सांसद चुने गए.
  • इसके बाद लालजी टंडन को साल 2018 में बिहार के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी गई थी
  • फिर कुछ दिनों के बाद मध्य प्रेदश का राज्यपाल बनाया गया था.
लालजी टंडन को राखी बांधतीं थीं मायावती
  • बसपा और बीजेपी के गठबंधन के पीछे लालजी टंडन की अहम भूमिका थी.
  • लालजी टंडन कभी बसपा सुप्रीमो मायावती के मुंहबोले भाई हुआ करते थे.
  • चौक की पुरानी गलियों में मायावती बतौर मुख्यमंत्री दो बार टंडन को राखी बांधने उनके घर गईं.
  • 22 अगस्त 2002 को मुख्यमंत्री रहते हुए मायावती ने बीजेपी नेता लालजी टंडन को राखी बांधी थी. वो राखी भी कोई आम राखी नहीं बल्कि चांदी की राखी थी.
  • दरअसल, 1995 में लखनऊ का गेस्ट हाउस कांड के दौरान मायावती की जान खतरे में पड़ी.
  • तब भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी और लालजी टंडन मौके पर पहुंचे थे.
  • बीजेपी नेता उमा भारती ने खुद एक बयान में कहा था कि ब्रह्मदत्त द्विवेदी और लालजी टंडन ने भाजपा कार्यकर्ताओं की मदद से मायावती उस समय बचाया था.
  • इसके बाद मायावती ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी और मुख्यमंत्री बनी थी.
  • यहीं से मायावती और लालजी टंडन के बीच भाई-बहन का रिश्ता कायम हुआ.
    मायावती के मुंहबोले भाई थे लालजी टंडन :-

बता दें 90 के दशक में प्रदेश में बीजेपी और बसपा की गठबंधन सरकार बनाने में भी लालजी टंडन का अहम योगदान माना जाता है. इसके बाद लालजी 1996 से 2009 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. बसपा सुप्रीमो मायावती उन्हें अपने बड़े भाई की तरह मानती थीं और राखी भी बांधा करती थीं. 1997 में वह प्रदेश के नगर विकास मंत्री रहे.

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