सरकार के भ्रष्टाचार की जांच, सरकार के ही अधिकारी निष्पक्ष कर पाएं, यह संभव नहीं -संजय सिंह
लखनऊ। कोरोना के संकट काल में आपदा में अवसर तलाश कर उत्तर प्रदेश की सरकार की योगी सरकार की ओर से पूरे प्रदेश में चिकित्सा उपकरणों की खरीद में हुए महाघोटाले और भ्रष्टाचार की जांच के लिए सरकार की ओर से एसआईटी के गठन को आम आदमी पार्टी के सांसद और प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने हास्यास्पद बताया है। कहा कि सरकार के घोटाले की जांच निष्पक्षता के साथ सरकार के ही अधिकारी नहीं कर सकते।
- वह आज भी अपनी पुरानी मांग पर कायम है और इस भ्रष्टाचार और घोटाले की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए।
- उन्होंने कहा कि रामराज का दावा करने वाली योगी सरकार ने चिकित्सीय उपकरणों की खरीद में 100-200 नहीं, बल्कि 500 फीसदी का घोटाला किया है।
- गुरुवार को सरकार की ओर से कोरोना किट और उपकरणों की खरीद में अनियमितता की शिकायतों को लेकर योगी सरकार की ओर से पूरे प्रकरण की जांच के लिए एसआईटी गठित किए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आम आदमी पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी ने कहा कि इस एसआईटी जांच से कुछ होने वाला नहीं है।
- रामराज्य का दावा करने वाली योगी सरकार ने चिकित्सीय उपकरणों की खरीद में पांच सौ परसेंट का भ्रष्टाचार किया गया। कोरोना घोटाला किया, कोरोना भ्रष्टाचार किया।
- यानी जो चिकित्सीय उपकरण 800 रुपये में है,वह आक्सीमीटर 4000 रुपये में खरीदा गया।
- जो थर्मोमीटर 1800 रुपए में मिलता है,वह 13000 में खरीदा गया और यह एक-दो जिलों में नहीं हुआ है।
- उत्तर के प्रदेश में यह घोटाला,यह भ्रष्टाचार 65 जिलों में हुआ है।
- इस भ्रष्टाचार को लेकर आज योगी सरकार ने एक एसआईटी बनाई है।
- वह एसआईटी इस पूरे मामले की जांच करेगी। यह बड़ा हास्यास्पद है।
- आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रदेश के मुख्यमंत्री टीम इलेविन की मीटिंग लेते हैं।
टीम 11 की मीटिंग कोरोना को लेकर प्रतिदिन होती है तो क्या उनको यह पता नहीं चल पाया कि आक्सीमीटर कितने में खरीदा गया ?
- थर्मामीटर कितने में खरीदा गया?
- एनालाइजर जो सरकारी वेबसाइट जेम पोर्टल पर 145000 कीमत पर दर्शाया जा रहा है.
- उसी एनालाइजर को योगी जी की सरकार 330000 रुपये में खरीद रही है और ऐसा प्रदेश के 20 जिलों में घोटाला हो रहा है।
- एक-दो पीस नहीं बल्कि कई एनालाइजर खरीदे जा रहे हैं।
- यह एक बड़े भ्रष्टाचार का मामला है।
- एक बड़ा कोरोना घोटाले का मामला है।
- यह शमशान में दलाली खाने के समान है और इसलिए एसआईटी की जांच से इसमें कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है।
- योगी सरकार खुद इस भ्रष्टाचार में शामिल है.
- बड़े पैमाने पर सरकार और शासन के बड़े अधिकारी और जिले के अधिकारी शामिल हैं.
- तो कम से कम इस पूरे मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए।
- जिसके लिए मैंने पहले भी चिट्ठी लिखी है अथवा हाईकोर्ट के सिटिंग जज से एसआईटी बनाकर इसकी जांच कराई जानी चाहिए।
- आप सांसद ने सवाल उठाया कि सरकार के अधिकारी सरकार की जांच निष्पक्षता से कर पाएंगे ?
- यह संभव नहीं है। आशंका जताई कि जांच टीम पर दबाव काम करेगा।
- संजय सिंह ने कहा कि घोटाले में मात्र दो डीपीआरओ अभी तक सस्पेंड किए गए हैं।
- वह बलि का बकरा बनाए गए हैं।
- इसमें ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार है तो दो डीपीआरओ के सस्पेंशन की कार्रवाई ऊंट के मुंह में जीरा है।
- बलि का बकरा बनाने की कार्रवाई है।
- मैं अपनी मांग पर अभी भी कायम हूं कि इस पूरे मामले की सीबीआई जांच कराई जाए.
- अथवा हाई कोर्ट के सिटिंग जज के नेतृत्व में गठित एसआईटी से जांच कराई जाए।
- जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।
- क्योंकि सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार के अधिकारी निष्पक्ष जांच नहीं कर सकते।
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