सीता ही नहीं रावण ने भगवान राम की माता का भी किया था अपहरण

वाल्मीकि की रामायण के बारे में हम सब जानते हैं लेकिन कम लोगों को पता होगा कि 15वीं शताब्दी में श्रीराम पर एक और महत्वपूर्ण ग्रंथ भी लिखा गया है यह ग्रंथ है-आनंद रामायण।

वाल्मीकि की रामायण के बारे में हम सब जानते हैं लेकिन कम लोगों को पता होगा कि 15वीं शताब्दी में श्रीराम पर एक और महत्वपूर्ण ग्रंथ भी लिखा गया है यह ग्रंथ है-आनंद रामायण। इस ग्रंथ में लेखक का जिक्र नहीं है पर ऐसी मान्यता है कि खुद वाल्मीकि ही मूल रूप से इसके लेखक हैं। आनंद रामायण में एक रोचक कथा है जिसमें बताया गया है कि रावण ने केवल देवी सीता का ही नहीं बल्कि भगवान राम की माता कौशल्या का भी अपहरण किया था। आइए हम आपको इस कथा का वर्णन विस्तार से बताते हैं।

रावण ने इस वजह से किया कौशल्या का अपहरण

आनंद रामायण के अनुसार रावण को पता लग गया था कि उसकी मृत्यु श्रीराम के हाथों लिखी हुई है, और इसलिए राम के जन्म से पहले ही उनकी माता कौशल्या का अपहरण कर लिया था। रावण को ब्रह्मा जी के द्वारा ज्ञात हो गया था कि राजा कौशल की पुत्री कौशल्या का विवाह अयोध्या के राजा दशरथ से होगा और दोनों से जन्मा पुत्र राम के हाथों ही उसका वध होगा। यह जानकर रावण सर्वप्रथम अयोध्या गया और दशरथ को मारने का प्रयास किया। जिस समय रावण वहां पहुंचा तब राजा दशरथ अपने मंत्रियों के साथ जलक्रीड़ा में मग्न थे मौका देखकर रावण ने उनपर हमला करके उनकी नाव डुबो दी। इसके बाद रावण कौशलपुरी पहुंचा और वहां जाकर राजा कौशलराज को युद्ध में हराने के बाद उनकी पुत्री और राजकुमारी कौशल्या का अपहरण कर लिया।

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इस तरह छिपाया कौशल्या को

आनंद रामायण के अनुसार रावण ने कौशल्या को एक संदूक में भरकर तिमिंगल नामक मछली के मुंह में छिपा दिया और फिर लंका वापस लौट गया। तिमिंगल कौशल्या को अपने मुंह में दबाकर जल में घूम रही थी कि तभी उसका सामना अपने एक दुश्मन से हो गया। तिमिंगल उस संदूक को एक निर्जन टापू पर रखकर शत्रु से युद्ध करने जाती है। उसी समय रावण के हमले से बचकर राजा दशरथ और उनके मंत्री सुमंत्र टूटी हुई नाव की एक लकड़ी को पकड़कर उसी टापू पर पहुंचते हैं जहां संदूक में कौशल्या पड़ी हुईं थी। टापू पर उस संदूक को देखकर दशरथ अचरज में पड़ जाते हैं, उन्हें लगता है कि इस संदूक को खोलकर देखना चाहिए फिर जैसे ही वह संदूक खोलते हैं तो उसमें एक कन्या को देखकर वह हैरानी में पड़ जाते हैं।

इस तरह हुआ दशरथ-कौशल्या का मिलन

दशरथ और कौशल्या ने एक दूसरे अपना परिचय देते हैं इसके बाद दोनों ने एक दूसरे से गंधर्व विवाह कर लेते हैं। विवाह के बाद कौशल्या के साथ दशरथ और सुमंत्र भी उस संदूक में छिप जाते हैं। तिमिंगल युद्ध से वापस आकर संदूक को फिर से अपने मुंह में छिपा लेती है। रावण के अनुसार उसने अपनी मौत को पराजित कर दिया था। रावण ब्रह्माजी के पास जाकर बोलता है कि उसने दशरथ को मार दिया है और कौशल्या का अपहरण कर उन्हे छिपा दिया है। तब ब्रह्मा जी रावण को बताते हैं कि दशरथ और कौशल्या के बीच प्रणय हो चुका है।

ब्रह्माजी ने रोका रावण को

ब्रह्माजी द्वारा यह जानने पर रावण तुरंत उस संदूक को मंगवाता है। जैसे ही वह संदूक खुलता है रावण उसमें कौशल्या के साथ दशरथ और सुमंत्र को देख अत्यंत क्रोधित हो जाता है, वह गुस्से में अपनी तलवार निकालकर उसी क्षण उनका वध करना चाहता है परंतु ब्रह्मा जी ने उसे ऐसा करने से रोका। साथ ही ब्रह्मा जी ने उसे समझाया कि अगर उसने ऐसा कुछ किया तो ये तीन, तीन करोड़ हो जाएंगे और राम भी आज ही अवतरित होकर तुम्हारा वध कर देंगे। ब्रह्मा जी ने रावण को समझाया कि होनी को कोई नहीं टाल सकता। तुम क्यों अपनी मृत्यु आने से पहले ही मरना चाहते हो? ब्रह्मा जी द्वारा समझाए जाने पर रावण ने दशरथ, कौशल्या और सुमंत्र को जीवित छोड़ देता है और लंका चला जाता है।

साभार- NBT

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