‘रत्ती के दाने’ के बारे मे 1% लोग भी नहीं जानते होंगे, ऐसे किया जाता है इस्तेमाल
भारत में जहां लोग घरों में हिंदी बोलते हैं तो वहीं आपने ‘रत्ती भर’ जैसे शब्द का भी इस्तेमाल होते सुना ही होगा और ये भी सुना होगा कि जब किसी को गुस्सा आए तो वह बोलते हैं तुमको ‘रत्ती सी भी शर्म नहीं आई’ तो आपको बता दें, रत्ती दरअसल एक पौधा है।
भारत में जहां लोग घरों में हिंदी बोलते हैं तो वहीं आपने ‘रत्ती भर’ जैसे शब्द का भी इस्तेमाल होते सुना ही होगा और ये भी सुना होगा कि जब किसी को गुस्सा आए तो वह बोलते हैं तुमको ‘रत्ती सी भी शर्म नहीं आई’ तो आपको बता दें, रत्ती दरअसल एक पौधा है।
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आपको यह जानकर बहुत ही हैरानी होगी कि यह एक प्रकार का पौधा है। रति के दाने काले और लाल रंग के होते हैं। यह बहुत आश्चर्य का विषय सबके लिए है। जब आप इसे छूने की कोशिश करेंगे तो यह आपको मोतियों की तरह कड़ा प्रतीत होगा और यह पक जाने के बाद पेड़ों से गिर जाता है। ज्यादातर आप इसे पहाड़ों में ही पाएंगे। रति के पौधे को आम भाषा में ‘गूंजा’ कहा जाता है। अगर आप इसके अंदर देखेंगे तो इसमें मटर जैसी फली में दाने होते हैं।
रत्ती बहुत फायदेमंद होती है। रत्ती के पत्तों को चबाने से मुंह में छाले भी ठीक हो जाते हैं। इतना ही नहीं, इसकी तो जड़ें तक अच्छी होती हैं। कई तो रत्ती की माला गले में पहनते हैं। माना जाता है कि इसे पहनना पॉजिटिव होता है।
इंसानों की बनाई गई मशीन पर तो कभी-कभी भरोसा उठ भी जाए और यंत्र से गलती हो भी जाए लेकिन इस पर आप आंख बंद करके विश्वास कर सकते हैं। प्रकृति द्वारा दिए गए इस ‘गूंजा ‘ नामक पौधे के बीज की रत्ती का वजन कभी इधर से उधर नहीं होता है। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि फली की आयु कितनी भी क्यों ना हो उसके अंदर उपस्थित बीजों का वजन हमेशा एक समान रहता है। एक मिलीग्राम का भी फर्क नहीं होता।
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