नयी आबकारी नीति से यूपी में फल आधारित शराब उद्योग को बढ़ावा

यह नयी नीति फलों से बने कम अल्कोहल वाले पेय का मार्ग भी प्रशस्त करेगी । इससे बिक्री की अनुमति साइडर (चार प्रतिशत अल्कोहाल) के उत्पादन को बढ़ावा मिल सकती है।

यह नयी नीति फलों से बने कम अल्कोहल वाले पेय का मार्ग भी प्रशस्त करेगी । इससे बिक्री की अनुमति साइडर (चार प्रतिशत अल्कोहाल Alcohol ) के उत्पादन को बढ़ावा मिल सकती है। अमरूद, आँवला और बेल से बना साइडर उत्कृष्ट गुणवत्ता का पाया गया है। उत्तर प्रदेश में साइडर उद्योग के लिए कच्चे माल के रूप में फलों का पर्याप्त उत्पादन है।

केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ ने फलों से वाइन और साइडर के लिए कई प्रौद्योगिकी विकसित की है। आम, बेल, जामुन से बनी फ्रूट वाइन गुणवत्ता में उत्कृष्ट पाई गई है, जबकि अमरूद, आँवला और बेल से निर्मित साइडर उपयुक्त पाये गये हैं। साइडर के वैश्विक बाजार में सेब के साइडर का वर्चस्व है और इसकी भारी मांग है।

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अमरूद और आँवला साइडर भी कुछ ऐसे उत्पाद हैं जो अब प्रदेश में उत्पादित किए जा सकते हैं जो इस नीति में किए गए संशोधन से पहले संभव नहीं था। कई उद्यमी जो संस्थान की साइडर और वाइन तकनीक में रुचि रखते थे।

महाराष्ट्र ने पहले ही अंगूर वाइन पर आबकारी शुल्क में छूट

पिछली आबकारी नीति के कारण आगे नहीं बढ़ सके। हालांकि, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के उद्यमी अपनी राज्य नीति के कारण आम से शराब उत्पादन की तकनीक प्राप्त कर सके। महाराष्ट्र ने पहले ही अंगूर वाइन पर आबकारी शुल्क में छूट दे दी थी।

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भारत में अंगूर वाइन उत्पादन के लिए सबसे महत्वपूर्ण फल है और महाराष्ट्र एवं कर्नाटक अंगूर वाइन के प्रमुख उत्पादक हैं। चूंकि यूपी में अंगूर उत्पादन के तहत लगभग नगण्य क्षेत्र है, इसलिए आम, अमरूद, जामुन, बेल, आँवला, शहतूत जैसी फसलों का उपयोग करके वैकल्पिक फ्रूट वाइन उत्पादन संभव है।

रोजगार के अवसर भी बढ़ने की सम्भावना

उत्तर प्रदेश प्रमुख फल उत्पादक राज्यों में से एक है और उद्योग के लिए कच्चा माल राज्य में पर्याप्त रूप से उपलब्ध है। इस उद्योग को विभिन्न फलों के लिए महत्वपूर्ण उत्पादन क्षेत्रों में विकसित किया जा सकता है। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ने की सम्भावना है।

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