कभी ना करें इन 4 वस्तुओं का प्रयोग, बनती है जीवन में दरिद्रता का कारण

हर व्यक्ति अपने जीवन की परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए अपने इष्ट देव से प्रार्थना करता हैं और उन्हें

हर व्यक्ति अपने जीवन की परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए अपने इष्ट देव से प्रार्थना करता हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए पूजा-पाठ करता हैं। लेकिन व्यक्ति अपने पूजा-पाठ में कुछ ऐसी गलतियाँ कर बैठता हैं जो उसके दुर्भाग्य का कारण बनती है। जी हाँ, पूजा में हुई गलती आपके जीवन पर विपरीत प्रभाव डालती है और दरिद्रता का कारण बनती हैं। आज हम आपको उन सामान्य गलतियों के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपके लिए समस्या खड़ी करती हैं।

सूखे हार-फूल

जब भी घर में पूजा करें तो देवी-देवताओं को हार और फूल जरूर चढ़ाएं। लेकिन पूजा करने के बाद अक्सर ये हार-फूल वहीं रखे-रखे सूख जाते हैं या मुरझा जाते हैं और ऐसे ही पड़े रहते हैं। लेकिन आपको बता दें कि सूखे हुए हार-फूल घर में रखना अशुभ होता है। इसीलिए पूजा के बाद जब ये सूखने लगें तो इन्हें घर के गमलों और पौधों में डाल देना चाहिए। ताकि अन्य पौधों के लिए ये खाद का काम कर सकें।

खंडित मूर्ति ना रखें

अमूमन सभी हिन्दू परिवारों में मंदिर देखा जा सकता है। कुछ लोग घर में अलग से एक पूजा कक्ष बनवाते हैं जहां भगवान की विशाल एवं भव्य मूर्तियों को स्थापित किया जाता है। किंतु वहीं कुछ लोग घर के किसी एक कोने को भगवान की पूजा के लिए समर्पित करते हुए छोटा-सा मंदिर बनवाते हैं। खैर छोटा हो या बड़ा, घर में बने मंदिर से हर किसी की आस्था एवं भावनाएं जुड़ी होती हैं। वास्तु विज्ञान के अनुसार घर में भूल से भी ‘खंडित मूर्ति’ ना रखें। वास्तु शास्त्र की मानें तो ऐसी मूर्तियां घर में नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाती हैं। दूसरी ओर शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार खंडित मूर्तियों की पूजा करने से देवतागण नाराज होते हैं।

 तुलसी का सूखा पौधा

आमतौर पर घर में तुलसी के पौधे का होना शुभ होता है, लेकिन अगर किसी कारणवश आपके घर की तुलसी का पौधा सूख जाता है तो आप उसे नदी या तालाब में प्रवाहित कर दें। यह दरिद्रता को बढ़ावा देता है।

टूटे या खंडित दीपक

ध्यान रहे कि पूजा पाठ के दौरान हमेशा अखंडित दीपक ही भगवान के सामने जलाएं। अगर वो दीपक मिट्टी का हो और कहीं से जरा सा भी टूट गया हो तो पूजा में उसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। यहां तक की ऐसे दीपक को घर में भी नहीं रखना चाहिए।

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