कौशांबी : ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी की लापरवाही , हो सकता बड़ा हादसा

गरीबों को आवास की योजनाओं का लाभ देने के लिए तत्पर है वही ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी आवास वितरण में मनमानी करते नजर आ रहे हैं|

जहां एक तरफ सूबे की योगी सरकार गरीबों के आवास और विकास के लिए बड़े और अहम कदम उठा रही है गरीबों को आवास की योजनाओं का लाभ देने के लिए तत्पर है वही ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी आवास वितरण में मनमानी करते नजर आ रहे हैं|

मामला कड़ा ब्लॉक के सुजातपुर बम्हरौली गांव का है। जहां ग्राम प्रधान द्वारा पात्रता की सूची में आने के बावजूद आवास का लाभ उन्हीं लोगों को दिया जाता है ,जिन्होंने चुनाव के समय वोट दिया है।

ग्राम पंचायत सुजातपुर बम्हरौली में ग्राम प्रधान नियामत उल्ला जोकि लगातार दूसरी बार ग्राम प्रधान पद पर आसीन होने के बावजूद भी गांव के गरीब लोगों को आवास, खडन्जा,नाली, जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रख रहे हैं।

बीते शुक्रवार की रात हुई मूसलाधार बारिश से सुजातपुर बम्हरौली गांव के शान्ती देवी पत्नी अरुण तिवारी तथा सरिता देवी पत्नी बरमदीन के कच्चे मकान ढह गए। जिससे बारिश के इस मौसम में उनके रहने के लिए एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई। इन से बातचीत करने पर पता चला कि मकान ढहने के बाद ना तो ग्राम पंचायत अधिकारी और ना ही ग्राम प्रधान ने इनकी सुध ली है।

इसी तरह पिछली 17 तारीख को हुई बारिश में मोहनलाल पुत्र स्वर्गीय अदालती, विजय पुत्र स्वर्गीय गोपी लाल का कच्चा मकान गिर गया था।इनका आरोप था कि सूचना देने के बाद भी ग्राम प्रधान ने कोई मदद नहीं की। वहीं गांव में रह रहे ज्ञान चंद पुत्र चंद्रपाल का आरोप है कि मैं पिछले 10 सालों से यहां मकान बनवा के रह रहा हूं मेरे आने जाने के लिए रास्ता नहीं हैं |

ग्राम प्रधान ने नाली बनवा रखी है मेरे बच्चे उसी नाली से होकर स्कूल आते जाते हैं |आये दिन बच्चे नाली में गिरते रहते हैं तथा बारिश का पानी रास्ते में हमेशा भरा रहता है। नाली की जो पुलिया बनी थी वह भी टूट चुकी है | ग्राम प्रधान से शिकायत करने पर उनका कहना है|

कि मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता हूं तुम स्वयं अपने से बनवा लो। यह सब देखने के बाद सवाल ये उठता है कि आखिर ग्राम प्रधान इन गरीबों की तरफ ध्यान क्यों नहीं देते हैं। क्या उन्हें ग्राम प्रधान के दायित्वों का पता नहीं है।या जानबूझ कर गरीबों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।

रिपोर्ट– कुलदीप द्विवेदी

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