दिल की नसों के सिकुडऩे से बढ़ता है हार्ट अटैक का खतरा, जानें कारण
चिकित्सकों के अनुसार हार्ट अटैक बढऩे का खतरा तब ज्यादा रहता है जब हृदय की नसें सिकुडऩे लगती हैं।
चिकित्सकों के अनुसार हार्ट अटैक बढऩे का खतरा तब ज्यादा रहता है जब हृदय की नसें सिकुडऩे लगती हैं। सर्दियों में शरीर का तापमान कम हो जाता है, जिससे दिल की रक्त नलिकाएं सिकुडऩे लगती है और हार्ट अटैक आने की संभावना बढ़ जाती है।
सांस फूलना, छाती में दर्द, चक्कर आना, घबराहट होना, कमजोरी महसूस होना आदि लक्षणों को अनदेखा करना सही नहीं है। इस तरह के लक्षण दिल की किसी समस्या के कारण भी हो सकते हैं। ऐसे में दिल की कई घातक समस्या हो सकती है।
हृदय में कई रक्तवाहिनियां, वाल्व के अलावा विद्युत प्रणाली भी मौजूद है, जिससे दिल को पता चलता है कि उसे कब धड़कना है। हालांकि, जब इनमें किसी तरह का कोई व्यवधान होता है तो हार्ट ब्लॉकेज या दिल से जुड़ी अन्य समस्या हो सकती है। चिकित्सकों के अनुसार अगर दिल में मौजूद नसें सिकुड़ जाती हैं तो धमनियों में रक्त संचार सही तरह से नहीं हो पाता है। इतना ही नहीं हृदय की नसे सिकुड़ जाने से हार्ट अटैक जैसी समस्या होने का खतरा रहता है।
आंकड़ों की मानें तो अन्य मौसम की तुलना में सर्दी के मौसम में 50 प्रतिशत से ज्यादा हार्ट फेलियर और अटैक का खतरा हो सकता है। दरअसल, सर्दियों में दिल की नसे सिकुड़ती हैं और दिल की बीमारी के लक्षण भी ज्यादा गंभीर होते हैं।
चिकित्सकों के अनुसार हार्ट अटैक बढऩे का खतरा तब ज्यादा रहता है जब हृदय की नसें सिकुडऩे लगती हैं। सर्दियों में शरीर का तापमान कम हो जाता है, जिससे दिल की रक्त नलिकाएं सिकुडऩे लगती है और हार्ट अटैक आने की संभावना बढ़ जाती है। नसों के सिकुडऩे से धमनियों में रक्तसंचार ठीक से नहीं हो पाता है, इसके लिए ज्यादा ताकत की आवश्यकता हो जाती है। ऐसे में हर्ट अटैक का खतरा भी हो सकता है।
दिल की नसों में सिकुडऩ के कारण
– हाई ब्लड कोलेस्ट्रोल
– ज्यादा धूम्रपान का सेवन
– वाल्व की परेशानी होने पर
– रूमैटिक दिल की बीमारी
– स्ट्रेपटोकोकल इंफेक्शन
– हाई ब्लड प्रेशर
– गले में संक्रमण
– शरीर का कम तापमान
– मधुमेह होने पर
– वाल्व में कैल्शियम जमने पर
– उम्र होने पर भी हो सकता है
क्या हैं दिल की नसों के सिकुडऩे के लक्षण
– सांस लेने में तकलीफ
– पौरों में दर्द
– पांव में सूजन
– छाती में दर्द
– हृदयाघात
– दिल की नसे सिकुडऩे से बचाव
– तैलीय और मसालेदार पदार्थों का सेवन न करें
– नमक का सेवन न करें या कम से कम करें
– सीने में दर्द होने पर कार्डियोलॉजिस्ट विशेषज्ञ से संपर्क करें
– पांव में सूजन होने पर डॉक्टर से सलाह करें
दिल की नसों में सिकुडऩ होने के लक्षण और कारण को नजरअंदाज न करें। किसी भी तरह की समस्या होने पर एक बार कार्डियोलॉजिस्ट विशेषज्ञ से जरूर संपर्क करें।
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