मां को प्यार और सम्मान देना ही मदर्स डे: रिद्धिमा

लखनऊ। उसको नहीं देखा हमने कभी पर इसकी जरूरत क्या होगी, ऐ मां- ऐ मां तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी … इस गीत की पंक्तियां जब जेहन में गूंजती हैं तो मन मयूर उस वक्त की याद दिला देता है, जब हम सब ने ममता और दुलार से भरी एक प्यारी सी मुस्कान के साथ पुचकारती मां को ही देखा होगा, समय के चक्र के साथ जब वक्त और आगे बढ़ा तो हर समय, जुबां पर बस एक ही नाम आया, वो मां-मां और मां।

एक मां जिसने जन्म से लेकर युवावस्था तक कभी अकेला नहीं छोड़ा, खुद को तकलीफ में रखकर हर मुसीबत-हर परेशानी से बचाया। ऐसी परमेश्वरी और नवजीवन जीवन प्रदान करने वाली मां को समर्पित मातृ दिवस यानी मदर्स डे 9 मई आज है, जो प्रतिवर्ष मई माह के दूसरे रविवार को पूरी दुनिया में मनाया जाता है।

ऐसी मान्यता है कि मदर्स डे की शुरुआत अमेरिकन एक्टिविस्ट ऐना जार्विस ने की थी। मां ही नवजात बच्चे की पहली गुरु होती है, जो जीना सिखाती है, जिसका स्पर्श मन मस्तिष्क को ऐसी शांति और सुखद अनुभूति का एहसास कराता है जिसका कोई पर्याय नहीं है। मां शब्द के उच्चारण मात्र से हमें प्यार और ऊर्जा की अनुभूति मिलती हैं, जो मां हम सब को दुनिया में लाई, उसका एहसान चुकाना बहुत मुश्किल है, मां की सेवा करके, उनके प्रति स्नेह प्रकट करके उन्हें खुश रख सकते हैं।

मां को सम्मान प्रदान करने के लिए मनाए जाने वाले मदर्स डे के बारे में नवयुग रेडियन्स की कक्षा थर्ड की रिद्धिमा ने बताया कि मां, सबकी अच्छी दोस्त होती है। हम अपनी मां के प्यार, दुलार और उनकी देखभाल के बिना नहीं रह सकते। वह हमारा बहुत ध्यान रखती हैं, वह हमें अकेला नहीं छोड़ती हैं, हमें अपनी मां को प्यार और सम्मान देना चाहिए और जीवन में उनकी हर बात को मानना चाहिए, तभी मदर्स डे अधिक सार्थक होगा। अभी तो कोरोना पीरियड चल रहा है, लेकिन अगले साल मदर्स डे धूमधाम के साथ मनाएंगे।

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