मोदी उवाच – ‘राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहां विश्राम’
समाप्त हुआ सदियों का इन्तजार – पूरा देश पुलकित, आनंदित और रोमांचित – प्रधानमंत्री
Modi Uvach लखनऊ/अयोध्या : प्रधानमनंत्री ने अपना सम्बोधन प्रभु श्रीराम के जयकारे के साथ शुरू किया, उन्होंने उच्च स्वर में बोला, सियावर रामचंद्र की जय, इसी में स्वर मिलाते हुये उपस्थित समूह ने भी जयकारा उच्चारित किया। राम जन्म भूमि ट्रस्ट का आभार प्रगट करते हुये प्रधानमंत्री ने स्वयं के लिए कहा कि, राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहाँ विश्राम, वे बोले – वर्षों से टाट और टेंट में रहे हमारे रामलला को अब उनका भव्य मन्दिर प्राप्त होगा, यह ऐतिहासिक गौरव का क्षण है, एक बार फिर से बोलिये “जय सिया राम”।
- पीएम ने कहा, राम मन्दिर के लिए कई-कई पीढ़ियों ने अखंड और अविरल प्रयास किया।
- उनमे अर्पण भी था, तर्पण भी था, संघर्ष भी था और बलिदान भी था
- जिनकी तपस्या और बलिदान ‘राम जन्म भूमि के पवित्र आंदोलन’ से जुड़ा मैं पूरे देश के ऐसे महान भक्तों को प्रणाम करता हूँ।
- राम हमारे अंदर बसे हैं, हम राममय हो गए हैं।
- श्रीराम भारत की मर्यादा हैं, श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।
- उन्होंने कहा कि सदियों में इमारतें नष्ट हो गयीं परन्तु श्रीराम हमारे दिलों में विराजमान रहे।
प्रधानमंत्री ने उच्च स्वर में गर्व के साथ उद्धृत किया:-
- श्रीराम मन्दिर हमारी आस्था के साथ करोड़ों-करोड़ों लोगों के सामूहिक शक्तिशाली संकल्प का प्रतीक बनेगा।
- इस मन्दिर के निर्माण से अयोध्या की मात्र महत्ता ही नहीं बढ़ेगी।
- अपितु इस क्षेत्र का पूरा अर्थतंत्र बदल जाएगा।
- यह वर्तमान को अतीत से जोड़ने का क्षण है.
- यह ऐतिहासिक पल युगों-युगों तक भारत की सांस्कृतिक पताका फहराएगा।
“न भूतो न भविष्यति” पूरे देश के प्रयासों से पूर्ण हुआ ऐतिहासिक ‘संकल्प’
- पीएम ने कहा, कोरोना के कारण यह कार्यक्रम अनेक मर्यादाओं के साथ संपन्न हुआ है.
- देश वासियों ने इस ऐतिहासिक पल के उत्सव को उसी मर्यादा के साथ मनाया।
- जैसा कि तब मनाया था जब न्यायालय का फैसला आया था।
- जिस तरह छोटे-छोटे वानरों ने रामसेतु बनाया। जिस तरह गोकुल वासियों ने गोवर्धन पर्वत उठाया।
- जिस तरह आजादी की लड़ाई में देशवासियों ने महात्मा गांधी का साथ दिया।
- वैसे ही देशवासियों के सहयोग से यह राम मन्दिर निर्माण प्रारम्भ हुआ है।
उन्होंने कहा कि “न भूतो न भविष्यति”
- देश भर से आयी पवित्र मिट्टी और पावन नदियों का जल यहां आकर एक हो गया.
- और उसके साथ ही देश भर की भावनाएं भी यहां आकर समाहित हो गयीं।
- पूरी दुनिया के लिए यह भारतीयता शोध का विषय है।
राम सबके हैं, भारत की आस्था में, दिव्यता में, दर्शन में और बापू के भजनों में हैं राम
प्रभु श्रीराम के रामत्व का वर्णन करते हुये पीएम ने कहा, श्रीराम ने गुरु वशिष्ठ से ज्ञान, शबरी से प्रेम सीखा, श्रीराम ने प्रजा से मर्यादा भी सीखी, उनका प्रभाव और महात्मय युगों-युगों तक प्रेरित करता रहेगा। राम भारत की आस्था में, दिव्यता में और भारत के दर्शन में हैं। जो राम तुलसी की रामचरित मानस में, वही राम आजादी की लड़ाई में बापू के भजनों में भी थे, मीम ने कहा, अयोध्या से जैन तीर्थंकरों का भी वैभवशाली इतिहास जुड़ा हुआ है, भारत की हर भाषा में रामायण है, अलग-अलग रामायणो में राम भिन्न-भिन्न रूपों में मिलेंगे, परन्तु राम सबके हैं। राम की यही महत्ता भारत की भारतीयता भी है।
दुनिया के कई दर्जन देशों में भी आज लोगों में परमानंद व्याप्त होगा:-
राम पूरी दुनिया में पूजनीय हैं, इंडोनेशिया, थाईलैंड, मलेशिया, कम्बोडिया, श्रीलंका और इराक-ईरान जैसे न जाने कितने देशों में रामायण और राम किसी न किसी रूप में रचे बसे हैं, नेपाल से तो श्रीराम का मां जानकी से रिश्ता जुड़ा हुआ है, आखिरकार राम सबमे हैं, राम सबके हैं। दुनिया के इन कई दर्जन देशों में भी आज लोगों में परमानंद व्याप्त हो रहा होगा।यहां के रामभक्त परम आनंदित होंगे, आखिर सदियों बाद यह गौरवशाली क्षण और शुभ घड़ी जो आयी है।
“श्रीराम के संदेशों पर चल, शक्तिशाली बनकर आगे बढ़ रहा है भारत देश”
अयोध्या तो प्रभु श्रीराम की अपनी नगरी है, “जन्म भूमि मम पुरी सुहावनि’, अयोध्या पूज्य है, आराध्य है, क्योंकि यह प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि है। श्रीराम का सन्देश है, ‘नहिं दरिद्र को दुखी न दीना’ अर्थात कोई दुखी न हो कोई दरिद्र न हो, उन्ही का सन्देश है “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी”। यद्यपि प्रभु श्रीराम का ही चरित्र गांधी जी के जीवन का अहिंसा का मार्ग दिखाता है, परन्तु राम का ही यह सन्देश भी है कि “भय बिनु होइ न प्रीति” उनके इन्ही संदेशों के साथ आज भारत शक्तिशाली बनकर मानवता के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।
पीएम ने कोरोना से लड़ाई जीतने ले लिए सावधानी पर भी बात रखी:-
पीएम ने कहा, हमें अपने परिश्रम और अपने संकल्प से एक आत्म निर्भर भारत का विकास करना है, अब देरी नहीं करनी है, अब हमें आगे बढ़ना है। हम सब के लिए प्रभु श्रीराम का यही सन्देश है, प्रभु श्रीराम का यह मन्दिर युगों-युगों तक हम सब को प्रेरित करता रहेगा। प्रधानमंत्री ने मंच से कोरोना महामारी के लिए सावधानी और इस लड़ाई को जीतने के लिए नियमों के पालन पर भी जोर दिया, उन्होंने कहा कि, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की प्रेरणा से मर्यादित रहने की दिशा में आज की मर्यादा है, “दो गज की दूरी-मास्क है जरूरी”।
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