कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन की वजह से रास्ता जाम करने का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट….

किसानों की वकील प्रशांत भूषण और दुष्यन्त दावे हुए पेश किसान ओर मामले की सुनवाई 2 हफ्ते बाद किए जाने की मांग की गई।

कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन की वजह से रास्ता जाम करने का मामला

किसानों की वकील प्रशांत भूषण और दुष्यन्त दावे हुए पेश किसान ओर मामले की सुनवाई 2 हफ्ते बाद किए जाने की मांग की गई।

कोर्ट ने कहा इस मामले में कानून पहले से तय है लेकिन यहां सड़क पर विरोध प्रदर्शन की बात है।
दवे ने कहा कि 2020 में सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने आदेश दिया था कि विरोध प्रदर्शन को हटाया ना जाए।

इसपर कोर्ट ने कहा कि लेकिन सड़क को तो ब्लॉक नहीं किया जा सकता।

किसानों की ओर से कहा गया कि सड़क ब्लाक नहीं हैं न ही किसानों ने इसे बंद किया है। हमे प्रदर्शन के।लिए रामलीला मैदान मैं आने दिया जाए।
किसानों की।ओर से कहा गया कि किसानों को रोकने बाद BJP ने रामलीला मैदान में रैली की थी।

फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों को जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया

अब मामले की सुनवाई सात दिसंबर को सुनवाई होगी।

आज सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि जब संगठनों का जवाब आएगा तो तय करेंगे कि आगे इस मामले में आदेश जारी करें या फिर मामले को अन्य याचिकाओं के साथ जोड़कर सुनवाई करे।

जस्टिस एस के कौल ने कहा कि सड़कें खुली होनी चाहिए।हम बार-बार इसके लिए कानून तय नहीं करेंगे। आपको आंदोलन करने का अधिकार है लेकिन आप सड़क जाम नहीं कर सकते है।

जस्टिस कौल ने कहा कि अब कुछ समाधान निकालना होगा। मामला विचाराधीन होने पर भी उन्हें विरोध करने का अधिकार है, लेकिन सड़कों को जाम नहीं किया जा सकता

जहा किसान प्रदर्शन कर रहे है वहां की सड़कों पर लोगों को आना जाना पड़ता है। हमें सड़क जाम के मुद्दे से समस्या है

SG तुषार मेहता ने कहा प्रदर्शन के दौरान 26 जनवरी को हुआ मामला गंभीर था। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कृषि कानूनों पर रोक लगा दी है। फिर भी प्रदर्शन हो रहे है।

SG ने यह भी कहा कि कभी-कभी आंदोलन वास्तविक कारण के लिए नहीं बल्कि अन्य कारणों के लिए भी होते हैं

दुष्यंत दवे ने कहा कि क्या कृषि कानून एक परोक्ष मुद्दा है?
यह किसानों की सच्चाई पर सवाल उठा रहे हैं।

SG ने कहा यहां तो सिर्फ 2 किसान संगठन आए हैं।

जस्टिस कौल ने कहा हम किसी को यहां आने के लिए मजबूर तो नहीं कर सकते है।

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