मठ प्रांगण भी जांच का विषय, पहले भी हो चुकी है मौतें

अखाड़े की संपत्ति को लेकर उसी समय अखाड़ा परिषद के दो अन्य महंतो आशीष और दिगंबर गंगापुरी की रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई थी मौत

उत्तराधिकार को लेकर जिस समय महंत नरेंद्र गिरी और आनंद गिरी के बीच सम्बन्ध बिगड़ गए थे। दो अन्य नाम भी इसी कहानी का हिस्सा बनने वाले थे। अखाड़े की संपत्ति को लेकर उसी समय अखाड़ा परिषद के दो अन्य महंतो आशीष और दिगंबर गंगापुरी की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हुई थी। कभी कभी यह विषय चर्चा में रहता था की दोनों महंतो की हुई हत्या का सुसाइड साबित कर दिया।

इस मामले के बारे में आनंद गिरी ने जांच की मांग की थी। उन्होंने यह बात कहने कि कोशिस की थी कि महंत नरेन्द्र गिरी ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए दोनों महंतो की हुई हत्या को आत्महत्या करार दे दिया। तत्कालीन बयानों, वीडियो और मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो आनंद गिरी ने साफ लफ्जों में मठ के दोनों महंतो की ह्त्या का दोषी नरेंद्र गिरी का होने के तरफ इशारा किया था। हालांकि मामले काफी लम्बे समय तक नहीं चला।

नहीं आयी आज तक जांच की कोई रिपोर्ट

प्रयागराज के एक बहुचर्चित मठ में कुछ महीनों पहले दो लोगों की अचानक मौत हो जाती है। मठ और संत समाज से ताल्लुक रखने वाले एक व्यक्ति विशेष के द्वारा बार बार जांच की मांग उठाये जाने के बावजूद भी इस पुरे घटनाक्रम को उस समय ना कोई तुल दी जाती है और ना ही कोई जांच होती है। क्या उस समय मामले की गंभीरता का अंदाजा नहीं लगाया होगा। एक ऐसा धार्मिक मठ जहां आये दिन हर बड़े से बड़े जन नेता का आना जाना लगा रहता हो और अचानक से वहाँ कोई मौत हो तो क्या यह जांच का विषय नहीं बनता है?

अब प्रश्न यह खड़ा होता है कि क्या वास्तव में कुछ महीने पहले मठ में घटित हुए किसी आकस्मिक मौत की घटना की जांच की प्रभाव से रोक दिया जाता है? अगर ऐसा हुआ है तो क्या समाज में कानून की विधता पर सवाल नहीं उठते। प्रश्न इसलिए उठते हैं क्योंकि श्री मठ बाघंबरी में मई 2021 में हुई मौत की जांच तक नहीं हुई क्योकि पब्लिक स्पेस (public space) में इस विषय में कोई जानकारी ही उपलब्ध नहीं है जबकि मामले की गंभीरता का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। यही सब कारण हैं जिससे मठ की भी जांच होना एक मजबूत पक्ष माना जा सकता है।

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