नवरात्रि के चौथे दिन होती है माता कूष्मांडा की पूजा, जानिए विधि…

आज शारदीय नवरात्र का चौथा दिन है। इस दिन मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाती है। देवी कूष्माण्डा अपने भक्तों को रोग, शोक और विनाश से मुक्त करके आयु, यश, बल और बुद्धि प्रदान करती हैं। मां कुष्मांडा अत्यंत अल्प सेवा और भक्ति से भी प्रसन्न होती हैं।

आज शारदीय नवरात्र का चौथा दिन है। इस दिन मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाती है। देवी कूष्माण्डा अपने भक्तों को रोग, शोक और विनाश से मुक्त करके आयु, यश, बल और बुद्धि प्रदान करती हैं। मां कुष्मांडा अत्यंत अल्प सेवा और भक्ति से भी प्रसन्न होती हैं।

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इनके तेज और प्रकाश से दसों दिशाएँ प्रकाशित हो रही हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज इन्हीं की छाया है। माँ की आठ भुजाएँ हैं। अतः ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। इनका वाहन सिंह है।

मां कूष्माण्डा की पूजा विधि
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को सुबह स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। इसके बाद मां कूष्मांडा का स्मरण करके उनको धूप, गंध, अक्षत्, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें। अब मां कूष्मांडा को हलवा और दही का भोग लगाएं। फिर उसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण कर सकते हैं। पूजा के अंत में मां कूष्मांडा की आरती करें और अपनी मनोकामना उनसे व्यक्त कर दें।

देवी कूष्मांडा के मंत्र: (Devi Kushmanda Mantra)
या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्‍मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

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