मास्टर माइंड विकास दुबे 2 दशक पहले भी इंस्पेक्टर पर बुलेट चढ़ा झोकी थी रायफल से फायर
कानपुर. 8 पुलिसकर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी मास्टरमाइंड विकास दुबे घटना के 72 घंटे बाद भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। उसे पकड़ने के लिए 900 पुलिस जवानों की 60 टीमें लगाई गई हैं। वहीं पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। विकास दुबे के घर और तहखाने से छह तमंचे, 25 कारतूस, 15 देसी बम और दो किलो विस्फोटक बरामद हुआ है।
कानपुर घटना के अंजाम के बाद से है गैंगस्टर विकास दुबे बेहद सुर्खियों में आ गया है। बताया जा रहा है, सन 1999 तत्कालीन पुलिस कप्तान एम के गणपत के कार्यकाल के दौरान भी विकास दुबे ने इस तरह की घटना को अंजाम दिया था।
जानकारी के मुताबिक, तत्कालीन थानाप्रभारी कल्याणपुर हरी मोहन सिंह को राज्यमंत्री रहे संतोष शुक्ला ने सूचना दी की विकास अपने साथी के साथ रायफल लेे किसी वारदात को अंजाम देने बुलेट से निकला है। सूचना मिलते ही इंस्पेक्टर अपने साथ चौकी प्रभारी वा सिपाही संजय सिंह,देवेन्द्र सिंह वा हरी नाथ यादव थाने से रवाना हुए।
बुलेट से आ रहे विकास को जब पुलिस टीम ने रोका तो उसने इंस्पेक्टर पर ही गाड़ी चला दी यही नहीं अपनी रायफल से फायर भी झोका, शुक्र था वो इस घटना में बाल बाल बच गए। फायरिंग के बाद बुलेट से लड़खड़ा के गिरे विकास को साहसी सिपाही संजय सिंह वा देवेन्द्र ने उसे दबोचा और फिर मारते पीटते थाने लाए थे। पुलिस मुठभेड़, एनडीपीएस वा गैंगस्टर एक्ट के तहत उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई कर जेल भेजा गया था।
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