मामा शिवराज की भी कुर्सी खतरे में! भोपाल से दिल्ली की दौड़ जारी
भाजपा की अगुवाई वाले मुख्यमंत्री हैं, उनके सिर पर तलवार लटक रही है। कुछ ऐसा ही आलम मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में भी है
बीते तीन महीनों में भाजपा शासित कई राज्यों में मुख्यमंत्रियों की अदला बदली देखने को मिली है। कई राज्य के मुख्यमंत्री बदले गए हैं और उनकी जगह नए लोगों को मुख्यमंत्री के पद पर बैठा कर उन्हें मौका दिया गया है । उत्तराखंड, कर्नाटक और फिर गुजरात में मुख्यमंत्री बदलकर भाजपा के सर्वोत्तम पदाधिकारियों ने अपने नेताओं को ये स्पष्ट संदेश दे दिया है कि यदि सत्ता चलाने वाले नॉन परफॉर्मर रहे तो उनसे उनकी कुर्सी छीनने में भाजपा सरकार ज़्यादा वक्त नहीं लगाएगी।
अब जिन राज्यों में भाजपा की अगुवाई वाले मुख्यमंत्री हैं, उनके सिर पर तलवार लटक रही है। कुछ ऐसा ही आलम मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में भी है। एमपी के शिवराज सिंह चौहान बीजेपी के मजबूत नेता हैं। राज्य में लंबे समय से शिवराज के नेतृत्व में भाजपा का शासन रहा है। राज्य में पहले कांग्रेस की अगुवाई वाली कमलनाथ सरकार थी जिसके गिरने के बाद से राज्य में सीएम शिवराज सिंह चौहान की सरकार हैं।
वहीं, दूसरी ओर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, का कई दिनों से दिल्ली में आने-जाने का सिलसिला जारी है। विपक्ष इस पर लगातार सवाल उठा रहा है कि चिंता कुर्सी की है जिसके चलते ये आवाजाही का सिलसिला जारी है। वहीं, पिछले दिनों गुजरात में मुख्यमंत्री के बदले जाने के बाद एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि पता नहीं कब किसकी कुर्सी चली जाए, कोई भरोसा नहीं। चिंता सभी के बीच बनी हुई है।
मध्य प्रदेश में खंडवा लोकसभा सीट और रैगांव, पृथ्वीपुर तथा जोबट विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। पृथ्वीपुर और जोबट पर पहले कांग्रेस का और बाकी दो सीटों पर भाजपा का कब्जा था। भाजपा चारों सीटें जीत कर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव का आधार मजबूत करना चाहती है और प्रदेश में अपना पाँव पसारे रखना चाहती है । लेकिन, दमोह उपचुनाव में मिली हार के बाद पार्टी काफी सतर्क है और उसे जीत की राह आसान नहीं लग रही है। इधर एमपी में हुए ताज़ा घटनाक्रम ने शिवराज सिंह चौहान की भी नींद उड़ा दी है।
क्या है पूरा मामला –
दरअसल, गृहमंत्री अमित शाह ने शिवराज की मौजूदगी में बीजेपी सांसद राकेश सिंह की तारीफ की जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ऊपर दबाव और बढ़ गया है। इसके बाद से ही शिवराज सिंह चौहान अपनी छवि चमकाने में लग गए हैं जिसके लिए वह हर दिन मैराथन बैठकें कर रहे हैं। पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मध्य प्रदेश के जबलपुर में गोंडवाना साम्राज्य के अमर शहीद शंकर शाह और रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इस कार्यक्रम में वह अमित शाह के साथ साथ शिवराज सिंह चौहान और राकेश सिंह भी मौजूद थे । इस कार्यक्रम के दौरान शाह ने शिवराज सिंह की मौजूदगी में पूर्व बीजेपी चीफ और सांसद राकेश सिंह की तारीफ की। खबरों की माने तो शाह के दौरे के बाद से शिवराज ने गवर्नेंस को फोकस में रखते हुए कई बैठके की हैं।
शिवराज अपने राज्य के अधिकारियों को लगातार निर्देश दे रहे हैं और यह याद दिला रहे हैं कि मध्य प्रदेश को ‘गुड गवर्नेंस’ के मॉडल के तौर पर स्थापित करना है। अमित शाह 18 सितंबर को जबलपुर पहुंचे थे। इसके एक दिन बाद ही शिवराज सिंह चौहान ने राज्यपाल मंगुभाई पटेल से मुलाकात की। इस मुलाकात को कांग्रेस नेताओं ने ‘असामान्य’ मुलाकात तक बता दिया। इसके बाद सोमवार को शिवराज ने भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों संग मुलाकात की। यहां शिवराज ने कहा, ‘मैं अधिकारियों को उनके काम के आधार पर आकूंगा।
हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनानी होगी।साथ ही उन्होंने कहा की राज्य को गुड गवर्नेंस का मॉडल बनाना है और इसके लिए हमें सही तरीके से काम करना होगा और अपनी ड्यूटी अच्छी तरह से निभानी होगी और अगर कोई अधिकारी ऐसा करने में असमर्थ होगा तो उन्हें सज़ा दी जाएगी।’ शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों से माफियाओं के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया है। बलिदान दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान शाह ने इसके आयोजक राकेश सिंह की तारीफ करते हुए कहा, ‘जिनके निमंत्रण पर मैं यहां आया हूं और जो सही मायने में नेतृत्व कर रहे हैं, हमारे राकेश सिंह जी।’ इस कार्यक्रम में सीएम शिवराज भी मौजूद थे।
शाह ने यह बयान दो अलग-अलग कार्यक्रमों में दिया, जिससे यह साफ था कि वह जबलपुर में सांसद राकेश सिंह के न्योते पर ही पहुंचे थे। शाह के मुह से राकेश सिंह के कि तरीफ़ सुनने के बाद से शिवराज सिंह को अपनी कुर्सी जाने का खौफ सताने लगा है जिसके बाद से वह काफी मेहनत करना शुरू कर चुके हैं.
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