महोबा : मृत गर्भवती महिला को डॉक्टरों ने इलाज के लिए किया रेफर

सूचना पर एसडीएम सदर व नगर कोतवाली पुलिस पहुंच गई। परिजनों को समझाया गया है, तो वहीं पूरे मामले की मजिस्ट्रियल जांच के निर्देश दिए गए हैं.

महोबा : महोबा के महिला जिला अस्पताल में लापरवाही का एक ऐसा मामला सामने आया जिसे सुनकर लोग दंग रह गए. गर्भवती महिला की मौत के बाद भी डॉक्टरों ने उसे इलाज के लिए अस्पताल रेफर कर दिया.इतना ही नहीं अस्पताल स्टाफ ने प्राइवेट एंबुलेंस बुलाकर परिजन को जल्द से जल्द रेफर करने को कहा. परिजनों ने उसे मृत देखा तो हंगामा मच गया और परिजनों ने शव को अस्पताल के बाहर जाम कर दिया। सूचना पर एसडीएम सदर व नगर कोतवाली पुलिस पहुंच गई। परिजनों को समझाया गया है, तो वहीं पूरे मामले की मजिस्ट्रियल जांच के निर्देश दिए गए हैं।

यूपी सरकार की मंशा स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की भले हो मगर महोबा के महिला जिला अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं तो दूर बल्कि आने वाले मरीजों और उनके परिजनों के साथ धोखा किया जा रहा है। दरअसल महोबा के ग्राम छिकहरा निवासी चेतराम अपनी 32 वर्षीय गर्भवती पत्नी तुलसी  को लेकर महिला जिला अस्पताल पहुंचा था। जहां डॉक्टरों द्वारा नॉर्मल डिलीवरी होने की बात कही थी।  लगभग 3 घंटे तक अस्पताल में गर्भवती को भर्ती रखा गया और डॉक्टर द्वारा आश्वासन दिया गया कि नॉर्मल डिलीवरी हो जाएगी लेकिन अचानक की उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। इसके बाद डॉक्टरों ने उसे रेफर कर दिया। हद तो तब हो गई जब अस्पताल के स्टाफ द्वारा एक प्राइवेट एंबुलेंस भी बुला ली गई और परिजनों को उसी एंबुलेंस से ले जाने के लिए कहा गया। लेकिन परिजनों को क्या पता था कि अस्पताल में तैनात स्टाफ उनके साथ धोखा कर रहा है और मृत हो चुकी गर्भवती महिला को रेफर किया गया है । जैसे ही परिवार के लोग उसे एंबुलेंस में रखकर ले जाने लगे तो देखा कि उसका शरीर ठंडा पड़ रहा है और वह मृत हो चुकी है ऐसे में परिजन आक्रोशित हो गए और देखते ही देखते अस्पताल के बाहर शव को रखकर जाम लगा दिया गया। परिजनों का कहना है कि वह इलाज के लिए अस्पताल स्टाफ और डॉक्टर से मिन्नत करते रहे लेकिन हर बार नॉर्मल डिलीवरी होने का आश्वासन दिया जाता रहा और उनके साथ इस कदर धोखा किया गया कि मृत हो चुकी महिला को ही रेफर का पर्चा बना दिया गया।

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इस पूरे मामले को लेकर एसडीएम सदर जितेंद्र कुमार बताते हैं कि जिलाधिकारी ने पूरे मामले को गंभीरता से लिया है. डीएम ने पूरे मामले की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले में जिस किसी से भी पूछताछ की जा रही है और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई तय कर दी गई है. अधिकारी भले ही जांच और कार्रवाई की बात कर रहे हों, लेकिन साफ ​​है कि भगवान का रूप माने जाने वाले डॉक्टरों द्वारा किया जा रहा धोखा कई सवाल खड़े करता है. प्रदेश की स्वास्थ्य सेवा किस हद तक ढीली ही नहीं बल्कि लापरवाही भी बरती जा रही है। अब देखना यह होगा कि इस मामले में लापरवाह स्वास्थ्य कर्मियों पर क्या कार्रवाई होती है।

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