महराजगंज: बुजुर्ग कैदी बुजुर्ग कैदी, अच्छे आचरण पर शासन ने माफ की सजा

हत्या के मामले में 16 साल से सजा काट रहे महराजगंज जिले के 73 साल के बुजुर्ग कैदी सागर चौधरी को शासन के निर्देश पर शनिवार को रिहा कर दिया गया

हत्या के मामले में 16 साल से सजा काट रहे महराजगंज जिले के पनियरा थाना क्षेत्र के ग्राम जड़ार टोला बरगदहिया के 73 साल के बुजुर्ग कैदी सागर चौधरी को शासन के निर्देश पर शनिवार को रिहा कर दिया गया। जेल में अच्छे आचरण के कारण कैदी की रिहाई हो गई। परिजनों को बुलाकर कैदी को उनके सुपुर्द कर दिया गया।

पनियरा क्षेत्र के ग्राम जड़ार के बरगदहिया टोला में वर्ष 1997 में जमीनी विवाद में हत्या हो गई थी। इस मामले में सागर चौधरी व एक और आरोपित को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था। जेल से छूटने के बाद दूसरे कैदी की मौत हो चुकी है। सागर चौधरी सजा काट रहा था। जेल में उसके अच्छे आचरण को देखते हुए जेल प्रशासन ने सजा माफ करने के लिए छह बार प्रस्ताव शासन को भेजा था। जेल प्रशासन को सागर को रिहा करने का आदेश शासन से मिला था।

सागर की पत्नी की काफी पहले मौत हो चुकी है। औलाद नहीं हैं। परिवार में भतीजा व उसकी पत्नी व बच्चे हैं। शासन से रिहाई का आदेश मिलने पर जेलर अरविन्द श्रीवास्तव ने फोन कर सागर के भतीजे जयप्रकाश को शनिवार को जिला कारागार बुलाया। सुबह स्नान करते वक्त सागर को उसके रिहाई की सूचना दी गई। इससे उसका चेहरा खुशी से दमक उठा। जरूरी औपचारिता पूरी करने के बाद जेलर ने अंग वस्त्र देकर सागर को उसके परिजनों को सुपुर्द कर रिहा किया।

जेल में योग व सत्संग के साथ गुजरे 16 साल-

रिहाई के दौरान सागर चौधरी ने जेल प्रशासन व बंदी रक्षकों को धन्यवाद ज्ञापित किया। जेल में गुजरे लम्हे को लेकर बताया कि सुबह तीन बजे वह उठता था। स्नान के बाद योग करता था। दिन में सत्संग में शामिल होता था। खाली वक्त ईश्वर के नाम का जाप करता था। सागर ने बताया कि जब उसे सजा हुई थी, उस वक्त महराजगंज जेल नहीं बनी थी। गोरखपुर जेल में सजा काट रहा था। वहां से महराजगंज जेल ट्रांसफर किया गया।

हत्या के मामले में सागर चौधरी जेल में 16 साल 6 माह 17 दिन सजा काट चुका है। इसमें वास्तविक सजा 14 साल है। अच्छे आरचण के चलते जेल प्रशासन की रिपोर्ट पर शासन ने आजीवन कारावास की शेष सजा माफ कर दी। इसके बाद सागर की रिहाई हुई है। अच्छे आचरण वाले तीन कैदियों की रिहाई का प्रस्ताव भेजा गया है।

बाईट – अरविन्द श्रीवास्तव, जेलर

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