महंत राजेश मिश्रा बोले – नरेंद्र गिरि की मौत एक बड़ी साजिश, नकली संतों पर कड़ी कार्रवाई

यूपी के आजमगढ़ में उदासीन अखाड़े से जुड़े बड़ा गणेश के महंत ने 14 अखाड़ों के अध्यक्ष महंत नरेंद्र ग‍िरी की मौत पर कई सवाल उठाए हैं. उन्होंने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर भरोसा जताते हुए कहा क‍ि योगी आदित्यनाथ दूध का दूध और पनि का पनि अवश्य करेंगे ।

यूपी के आजमगढ़ में उदासीन अखाड़े से जुड़े बड़ा गणेश के महंत ने 14 अखाड़ों के अध्यक्ष महंत नरेंद्र ग‍िरी की मौत पर कई सवाल उठाए हैं. उन्होंने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर भरोसा जताते हुए कहा क‍ि योगी आदित्यनाथ दूध का दूध और पनि का पनि अवश्य करेंगे ।

14 अखाड़ों के अध्यक्ष महंत नरेंद्र ग‍िरी की सोमवार को संदिग्ध मौत हो गई। उनकी मौत पर आजमगढ़ में बड़ा गणेश उदासीन अखाड़ा के महंत राजेश मिश्रा ने महंत नरेंद्र गिरी की मौत पर हैरानी जताई और मांग कि है की इस तरह की घटना की उचित जांच होनी चाहिए ज‍िससे सच सामने आ सके और दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।महंत राजेश मिश्रा का कहना है की नरेंद्र गिरि बहुत ही बहादुर व्यक्तित्व के इंसान थे। उनकी आत्महत्या समझ से परे है और मेरे लिए इस पर यकीन करना भोट ही मुश्किल है । वह आजीवन निष्कलंक रहे हैं । किसी राजनीतिक दल व सामाजिक तौर पर जुड़े रहने के बाद भी वह सभी का सम्मान करते थे। महंत राजेश ने कहा की उनकी मौत का मुद्दा किसी नेता या माफिया का शिकार बने उससे पहले इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ।

महंत राजेश मिश्रा ने बताया की , “नरेंद्र गिरी से उनकी की बार मुलाकात हुई थी और कई बार बातचीत भी होती थी।उन्होंने कहा की मेरे महंत नरेंद्र गिरी से व्यक्तिगत संबंध थे। वह एक बहुत ही अच्छे संत थे। मैंने उनसे आगरा में हुई मुलाकात में उन्हे आजमगढ़ आने के लिए निवेदन किया था और उन्होंने मेरे प्रस्ताव को स्वीकार भी किया था परंतु कोरोना कल के दौरान वो आने में असमर्थ रहे।उनकी मौत पर दुख जताते हुए कहा की जिस अखाड़ा परिषद के वे अध्यक्ष थे उसमें 4 अखाड़े शाम‍िल हैं जिसमे से एक हमारा उदासीन अखाड़ा भी है। उनकी मौत पर बहुत दुख है और अविश्वसनीय है । भगवान उनकी आत्मा को शांति दे और मई सरकार से अनुरोध करता हों की वो इस मामले की कड़ी से कड़ी एवं निसपक्ष जांच करे । आनंद गिरी और उनके पुजारियों के साथ क्या मामला रहा, उन्होंने सुसाइड नोट में क्या लिखा है, यह सब जांच का विषय है लेकिन उनसे मुलाकात के बाद ये तो कह सकता हों मैं की भलेही वो उम्र के आखिरी पड़ाव पर थे लेकिन ज़िंदगी जीने की ऊर्जा की उन्मे कोई कमी नहीं थी । महंत राजेश मिश्रा ने कहा की 70 के ऊपर के होने के बावजूद भी ऊर्जावान थे। कोई भी बैठक नहीं छोड़ते थे , सदैव सभी साधु संतों की चिंता करते थे। उन्होंने दुनिया में घूम रहे सभी नकली साधो संतों के खिलाफ आवाज उठाई उनके लिए नोटिस किया और मीटिंग कर उनको बहिष्कृत किया । इस बात का साहस हर कोई नहीं करता परंतु उन्होंने जब जब चार्ज लिया उन्होंने इसके खिलाफ कड़ाई से काम लिया । इस भावना क ध्यान म्ए रखते हुए उन्होंने फर्जी संतों को भर का रास्ता दिखाया।

महंत राजेश मिश्रा ने मांग करते हुए सरकार से ये भी मांग की है की जो उनके विरोधी रहे हैं उनपर भी ध्यान दिया जाए और उस एंगल से भी जांच करें।ताकि ये पता चल सके की इन सब में कहीं उनका भी तो हाथ नहीं । उनकी जानकारी के मुताबिक महंत नरेंद्र गिरी की पीठ या मंदिर परिसर म्ए सभी राजनीतिक दल के लोगों का जाना याना होता था खास कर के अखिलेश यादव जी का । वैसे तो बवो किसी राजनीतिक दल से संबंध नहीं रखते थे परंतु राम जन्मभूमि के निर्माण पर कोई समझौता नहीं किया था न ही कभी करना चाहते थे वह हमेशा से इसके पक्ष में ही रहे और बिना डरे अपनी हर बात को निडरता से कहा करते थे ।उन्होंने कहा की वो सभी राजनीतिक दलों के लोगों का हमेशा से सम्मान करते थे और हमेशा उन्हे पूरी सुविधा देकर ही भेजते थे । महंत राजेश जी ने विश्वास जताते हुए कहा की सीएम योगी खुद एक पीठाधीश्वर हैं और मुझे विश्वास है की वो इस मामले को गंभीरता से लेंगे और इस पर कड़ी कार्यवाही करेंगे ।

आपको बता दें की महंत नरेंद्र गिरी का शव सोमवार की शाम को बाघंबरी मठ में उनके कमरे में नाईलोन की रस्सी के फंदे पर लटका म‍िला था। पुलिस का कहना है की उनके कमरे का दरवाजा चारों तरह से बंद था और पुलिस ने इस बेनाम पर उनकी मौत को खुद खुशी करार दिया है । पुलिस ने जांच के लिए मौके पर फोरेंसिक टीम को भी बुलाया जिनकी मदद से सुराग जुटाए गए । इस मामले पर प्रयागराज पुलिस की ओर से महंत गिरि की मौत को लेकर बयान जारी किया गया जिसमे उन्होंने ये बताया है की घटना स्थल पर 6 से 7 पेज का सुसाइड नोट मिला है । और महंत गिरी के सुसाइड नोट में महंत नरेंद्र गिरि ने आनंद गिरि और अन्य शिष्यों के नाम का उल्लेख किया है. महंत नरेंद्र गिरि ने सुसाइड नोट में ये कहा है की वो कुछ कारणों से परेशान थे जिसके चलते वे अपना जीवन समाप्त कर रहे ।

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