महंत आनंद गिरी का विवादों से रहा गहरा नाता, पढ़ें अनसुने किस्से

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की सोमवार को संदिग्‍ध हालात में मौत हो गई थी. जिसके बाद आनंद गिरी का नाम लगातार सामने आ रहा है .

आनंद गिरी महंत नरेंद्र गिरी के एक समय पर सबसे प्रिय शिष्य हुआ करते थे। पंचायती अखाड़े श्री निरंजनी के संत समाज से आनंद गिरी जुड़े थे। कुछ समय बाद आनंद गिरी पर संत समाज के लोगों ने कई गंभीर आरोप लगाना शुरू कर दिया। आनंद गिरी पर संन्यास धारण करने के बाद भी अपने परिवार से समबन्ध रखने का आरोप लगाया गया। उनपर यह भी आरोप लगाया गया था। वे मंदिर को मिले हुए दान के रुपयों को अपने परिवार के सगे संबंधियों और रिश्तेदारों को भिजवाते हैं। संत परंपरा के निर्वहन ना करने के अलावा 2018 में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में रहने वाली एक विदेशी महिला ने आनंद गिरी पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था।

जिसके बाद आनंद गिरी को न्यायिक हिरासत में भी रहना पड़ा था। एक समय पर श्री मठ बाघंबरी गद्दी के उत्तराधिकारी के रूप में आनंद गिरी को देखा जाता था लेकिन इन्ही आरोपों के वजह से महंत नरेंद्र गिरी ने आनंद गिरी को मठ बाघंबरी गद्दी से भी निष्काषित कर दिया था।

आनंद गिरी और नरेंद्र गिरी के बीच यह था विवाद-

वर्ष 2018 के पहले आनंद गिरी महंत नरेंद्र गिरी के प्रिय शिष्य हुआ करते थे। इसके बाद एक विदेशी महिला ने आनंद गिरी पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया। आनंद गिरी को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया। कुछ महीने पहले अखाड़े की संपत्ति के उत्तराधिकार को लेकर महंत नरेंद्र गिरी और आनंद गिरी के बीच काफी तीखी तकरार देखने को मिली थी।

आनंद गिरी ने कई वीडियो जारी करके अपने गुरु महंत नरेंद्र गिरी के अखाड़े के अंतर्गत आने वाली गौशाला और मंदिर आदि की जमीनों को किसी के बहकावे में आकर बेचने का आरोप लगाया था। आरोपों के इस क्रम में आनंद गिरी ने यह भी कहा था कि नरेंद्र गिरी लगातार अखाड़े की संपत्ति को नुक्सान पहुंचा रहे हैं जबकि इसको बढ़ाने और संरक्षित करने की जरुरत है। कुल मिलाकर पूरा मामला अखाड़े की संपत्ति के विवाद और उत्तराधिकार को लेकर था।

कुछ महीने पहले भी मठ में दो लोगों की हुई थी मौत-

जिस समय महंत नरेंद्र गिरी और आनंद गिरी के बीच तकरार की खबर आ रही थी उसी समय अखाड़े के सम्पत्ति से सम्बंधित इसी मामले को लेकर अखाड़ा परिषद के दो अन्य महंतो आशीष और दिगंबर गंगापुरी की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हुई थी। इन दो महंतो के इस मौत को हत्या की आशंका बताते हुए, आनंद गिरी ने जांच की मांग की थी। आनंद गिरी के तत्कालीन बयानों, वीडियो और मीडिया रिपोर्ट्स को देखकर सहज ही यह अंदेशा लगाया जा सकता है कि उन्होंने सीधे सीधे यह बात कहने कि कोशिस की थी कि महंत नरेन्द्र गिरी ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए दोनों महंतो की हुई हत्या का सुसाइड साबित कर दिया।

नरेंद्र गिरी के सुसाइड नोट में है आनंद गिरी का भी नाम-

सोमवार कि देर शाम नरेंद्र गिरी के तथाकथित हत्या या आत्महत्या के बाद उनके कमरे से एक सुसाइड नोट भी मिला है जिसमे आनंद गिरी के अलावा दो अन्य महंतों का भी नाम शामिल हैं। चूँकि पुलिस का संदेह सबसे अधिक आनंद गिरी पर जाता है इसी कारण आनंद गिरी को उत्तराखंड के हरिद्वार से गिरफ्तार कर लिया गया है। उत्तरप्रदेश पुलिस ने उत्तराखंड पुलिस से भी मामले की जांच में सहयोग माँगा है।

इसी बीच महंत का शव उतारने वाले उनके एक शिष्य सर्वेश का बड़ा बयान सामने आया है उसने मीडिया से की गयी बातचीत के दौरान यह जानकारी दी कि कुछ दिन पहले हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी के द्वारा किसी तरह के घपलेबाजी की जानकारी नरेंद्र गिरी को मिली थी। इस घपले में आद्या तिवारी का बेटा भी संलिप्त था। इसी मामले को लेकर महंत नरेंद्र गिरी ने दोनों को बुलाकर फटकार भी लगाई थी। आनंद गिरी के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सर्वेश ने बताया की नरेंद्र गिरी अक्सर कहा करते थे कि आनंद गिरी ने उन्हें दुखी कर रखा है और उसकी वजह से वे बेहद ही चिंतित और परेशान हैं।

जांच में पुलिस का करूँगा सहयोग,नहीं हूँ हिरासत में :आनंद गिरी

आनंद गिरी ने लगातार मीडिया से बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि फिलहाल वो हिरासत में नहीं हैं। वे लगातार पुलिस के आला अधिकारियों के संपर्क में जांच में सहयोग करने के लिए बने हुए हैं। आनंद लगातार मीडिया से रूबरू हो रहे हैं और बार बार यह बात बता रहे हैं कि उनके और नरेंद्र गिरी के सम्बन्ध सुधर चुके थे। महंत नरेंद्र गिरी ने उनको माफ भी कर दिया था। अब उन दोनों के बीच कोई भी संदेह या आशंका की दिवार नहीं थी। उन्होंने नरेंद्र गिरी की मौत को सीधे तौर पर हत्या बताते हुए कहा कि इसमें कई बड़े लोग शामिल हैं। आनंद ने नरेंद्र गिरी के मौत की उच्च स्तरीय और निष्पक्ष जांच कराने की मांग की।

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