अमेठी: मां की बंद आंखें कर रही हैं बेटे का इंतजार, रास्ते का रोड़ा बन रहा प्रशासन
अमेठी में चार दिनों से एक माँ का पार्थिव शव अपने बेटे के इंतजार में घर के दरवाजे पर रखा हुआ है। ठंड मौसम के बावजूद शव को रोकने के लिए बर्फ भी लगाई गई है।
अमेठी में चार दिनों से एक माँ (Maa) का पार्थिव शव अपने बेटे के इंतजार में घर के दरवाजे पर रखा हुआ है। ठंड मौसम के बावजूद शव को रोकने के लिए बर्फ भी लगाई गई है। बता दें कि 29-30 अक्टूबर की रात मुंशीगंज थाना क्षेत्र के बंदोइया गांव में दलित महिला ग्राम प्रधान के पति अर्जुन की जलाकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने इस मामले में 30 अक्टूबर को ही राजेश मिश्रा को गिरफ्तार कर जेल भेजा था।
दरअसल, मामला अमेठी जनपद के मुंशीगंज थाना क्षेत्र के बंदोइया गांव का है। मृतका की पुत्री सुधा तिवारी का कहना है कि मेरा भाई, जो दोषी नहीं है, उसे दोषी बनाकर जेल भेज दिया गया है। मेरी माता जी (Maa) की मृत्यु हुए चार दिन हो गया है। कोई अंतिम संस्कार करने के लिए नही है, उनका एक ही बेटा है। हम लोग यही चाहते हैं कि उनको मुखाग्नि उनका खुद का बेटा दे, लेकिन प्रशासन नहीं मान रहा है। हम लोग बहुत प्रार्थना बहुत विनती किए हैं, लेकिन कोई सुन नहीं रहा है, यहां तक कि डीएम साहब भी नहीं सुन रहे हैं। तीन दिन से परेशान हैं। आज चौथा दिन है, मेरी माता जी का पार्थिव शरीर रखा है। डीएम और सीएम साहब से निवेदन है कि हमारे भाई को दो घंटे-चार घंटे के लिए छोड़ दें, मुखाग्नि करके चाहे तो मेरे भाई को फिर ले जा सकते हैं।
वहीं, मृतक (Maa) के बहन के पुत्र राम कृष्ण मिश्रा ने बताया कि मृतका मेरी मौसी हैं, बचपन से यही रहा हूं। उन्होंने ही हमें पाल पोस के बड़ा किया है। मामला ये है के बंदोईया में जो प्रधान पति की हत्या हुई थी, उसमें हमारे बड़े भाई को अभियुक्त बनाया गया है, वो मौसी के इकलौती संतान हैं और अभी जेल में है। अभी उसमें जांच की प्रक्रिया चल रही है। मौसी की मौत को सत्तर घंटे से अधिक हो गया है।
हम प्रशासन से तब से अनुरोध कर रहे हैं कि वो मां (Maa) के अंतिम संस्कार के लिए उन्हें लेकर चले आएं और मुखाग्नि दिलवा कर लेकर चले जाएं, लेकिन प्रशासन का कोई सहयोग नही मिल रहा है प्रशासन उदासीन बैठा हुआ है। हमने डीएम साहब से परसों ही मुलाकात किया था। उन्होंने पहली बार कहा था कि 72 घंटे का हमको पावर है हम 72 घंटे का पैरोल दे दे रहे हैं, वो अंतिम संस्कार करें और वापस जेल चले जाएंगे। लेकिन रात में डीएम साहब ने कुछ कानूनों का हवाला देकर मनाकर दिया।
उन्होंने सजायाफ्ता कैदियों का हवाला देकर मना किया। तब से कल भी हमने प्रयास किया, पांच बार उनके स्टेनो से बात हुई, लेकिन बाद में उन्होंने हमारा फोन आटो रिजेक्ट पर लगा दिया। फोन उठकर के अपने आप कट जा रहा है। आज डीएम साहब से कोई बात नही हो पाई। अब हम इंतजार कर रहे हैं इसके अलावा कोई विकल्प नही है, क्योंकि हिंदू रीति रिवाज से बेटे को ही अधिकार है मां के अंतिम संस्कार करने का। हम उम्मीद कर रहे हैं प्रशासन हमारी सुनेगा और इनके अंतिम संस्कार की व्यवस्था कराएगा।
वहीं, इस मामले पर जिलाधिकारी अमेठी अरुण कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया मामला माननीय न्यायलय में विचाराधीन है, ये बात करते हुए इस मामले पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया है।
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