लखनऊ: मौलाना कल्बे सादिक की तालीमी खिदमात को भुलाया नहीं जा सकता: कल्बे जवाद
मजलिसे उलेमा-ए-हिंद के सभी सदस्यों ने डॉ मौलाना सैयद कल्बे सादिक नकवी के निधन पर गम का इजहार किया और उनके बेटों और एहले खानदान की खिदमत में ताआजियत पेशा की।
मजलिसे उलेमा-ए-हिंद के सभी सदस्यों ने डॉ मौलाना सैयद कल्बे सादिक नकवी के निधन पर गम का इजहार किया और उनके बेटों और एहले खानदान की खिदमत में ताआजियत पेशा की। मौलाना कल्बे जवाद नकवी पिछले कई दिनों से श्रीनगर के दौरे पर थे। मुनासिब फलाईट ना होने की वजह से वो अपने चचा मौलाना कल्बे सादिक नकवी की नमाजे जनाजा और तदफीन में शामिल नही हो सके। दफन होने के कुछ ही देर के बाद मौलाना कल्बे जवाद नकवी इमामबाडा गुफरॉनमाब पुहंचे और मजलिस को खिताब किया और कब्र पर फातिहा खानी की।
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मजलिस को संबोधित करते हुए मौलाना कल्बे जवाद ने अपने प्रिय और मुहतरम चचा के निधन पर दुख व्यक्त किया और कहा कि हमारे मुहतरम चचा का निधन न केवल परिवार के लिए बल्कि पुरी कौम के लिए बहुत बड़ा नुकसान है, जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती। मेरे चचा मौलाना कल्बे सादिक नकवी एक तारीख साज इंसान थे। लोगों के लिए शिक्षा और सेवा के उनके प्रयासों को हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने वर्तमान शताब्दी को अपनी सेवाओं से प्रभावित किया है और युवा पीढ़ी पर उनकी शैक्षिक उपलब्धियों का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है।
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