लखनऊ : भाजपा को उच्च सदन में बहुमत की दरकार
बीजेपी को विधानसभा में पूर्ण बहुमत हासिल है, जिला पंचायतो में बल्ले बल्ले हो गई है और रही सही कसर क्षेत्र पंचायतो की अधिकांश मुखिया यानि ब्लॉक प्रमुख की भी कुर्सियां बीजेपी के ही कब्जे में आ गई हैं।
लखनऊ। बीजेपी को विधानसभा में पूर्ण बहुमत हासिल है, जिला पंचायतो में बल्ले बल्ले हो गई है और रही सही कसर क्षेत्र पंचायतो की अधिकांश मुखिया यानि ब्लॉक प्रमुख की भी कुर्सियां बीजेपी के ही कब्जे में आ गई हैं। अब बीजेपी हाईकमान की निगाह विधान परिषद पर जा टिकी हैं। विधान परिषद में अभी भी प्रमुख विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी की ही संख्या भारी है। विगत 5 जुलाई को चार विधान परिषद की सीटें चार सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होने के कारण खाली हो गई, जिस पर राज्यपाल को मनोनयन करना है।
मनोनयन होते ही बीजेपी के सदस्यों की संख्या में चार सीटों का इजाफा होने के प्रबल आसार हैं। बावजूद इसके बीजेपी की 15 और सदस्यों की चाहत बनी रहेगी। उच्च सदन में भी बहुमत हो जाये तो मजा आ जाये,ऐसी इच्छा तो होगी ही। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जीत से भाजपा के जोश को बढ़ा दिया है। भाजपा का अगला कदम स्थानीय निकाय क्षेत्र से जिताकर विधान परिषद अपने ज्यादा सदस्य भेजने का होगा। विधान परिषद की स्थानीय निकाय क्षेत्र की 35 सीटों पर होने वाले चुनाव की तैयारियों में पूरी ताकत पार्टी झोकेगी। फरवरी-मार्च में प्र विधानसभा चुनाव 2022 होने हैं। इसलिए विधान परिषद चुनाव पहले कराए जा सकते हैं। 2021 के अंत तक परिषद के यह चुनाव सम्भव है। परिषद चुनाव में बेहतर नतीजा आया तो भाजपा को उच्च सदन में भी बहुमत हासिल हो जायेगा। उच्च सदन में बहुमत न होने की कसक भी पूरी हो जायेगी। एक सौ सदस्यीय विधान परिषद में अभी सपा के 48, भाजपा के 32, बसपा के छह, कांग्रेस के दो, अपना दल के एक, शिक्षक दल के एक, निर्दलीय समूह के 2, निर्दलीय तीन और पांच रिक्त पद है। पांच रिक्त पदों में से मनोनीत क्षेत्र के चार सदस्यों का कार्यकाल 5 जुलाई को समाप्त हुआ है। प्रदेश सरकार की ओर से रिक्त पदों पर मनोनयन की कार्रवाई चल रही है। विधान परिषद में स्थानीय निकाय क्षेत्र के 35 सदस्यों का कार्यकाल 7 मार्च 2022 को समाप्त होगा।
स्थानीय निकाय क्षेत्र से अधिकांश एमएलसी सपा से हैं। परिषद में बहुमत के लिए भाजपा को निकाय क्षेत्र की 35 में से कम से कम 15 सीटें चाहिए। विधान परिषद चुनाव के लिए प्रत्याशियों की तलाश शुरू हो चुकी है। निर्वाचन क्षेत्र बड़ा होने के कारण उम्मीदवारों को प्रचार और जनसंपर्क के लिए पर्याप्त समय चाहिए। इसलिये प्रत्याशी चयन में ज्यादा समय नहीं लगाये जाने की उम्मीद है। भारतीय जनता पार्टी नवनिर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्षों, क्षेत्र पंचायत अध्यक्षों, जिला पंचायत सदस्य, बीडीसी और पार्टी की विचारधारा से जुड़े ग्राम प्रधानों को परिषद चुनाव के मद्देनजर साधने में जुटी है। भाजपा की प्रस्तावित प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में मंथन होगा। बीजेपी की हवा परिषद चुनाव में भी चले,इसके लिए सब अलर्ट मोड़ में होंगे। हालांकि मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी और अन्य दल भी ताल ठोकेंगे। राजनीति में ऊँट कब करवट बदल लें कौन जाने,लेकिन जंग जोरदार होगी।
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