4 साल बाद लालजी टंडन की जुबां पर आ ही गई 2014 की उस शाम की बात !

Lalji Tandon word came evening 2014:- लखनऊ. मध्यप्रदेश के राज्यपाल एवं लखनऊ के पूर्व सांसद लाल जी टंडन का मेदांता हास्पिटल में इलाज के दोरान निधन हो गया। वह पिछले कई दिनों से अपना इलाज करा रहे थे। लाल जी टंडन का 85 साल के उम्र में निधन हुआ।

Lalji Tandon word came evening 2014

वो 2014 की एक शाम थी. जगह दिल्ली के फिरोजशाह रोड पर एक बंगला. गेट बंद और संतरी चौकस. बाहर मीडिया की भीड़. हर अखबार और चैनल का पत्रकार ये जानने को उत्सुक कि अंदर क्या हो रहा है.

बीच-बीच में बीजेपी के बड़े नेताओं की आवाजाही. बंद गेट उनके लिए तो खुलता और बंद होता रहता है, लेकिन मीडिया के लोगों के लिए नो एंट्री.

टिकट के लिए अड़ गए थे टंडनजी

दरअसल, फिरोजशाह रोड के बंगले को लालजी टंडन ने कोपभवन इसलिए बना लिया था, क्योंकि उन्हें पता चल गया था कि बीजेपी नेतृत्व उनका टिकट काटने जा रहा है.

टंडन लखनऊ से सांसद थे. वही लखनऊ, जहां से अटल बिहारी वाजपेयी चुनाव जीतकर पीएम बनते रहे थे. ऐ

से में टंडनजी को अटल का उत्तराधिकारी माना जाने लगा था. इस वजह से जब

लखनऊ से फिर सांसदी का टिकट न मिलने की बात सामने आई,

तो लालजी टंडन खफा हो गए. वो लखनऊ से दिल्ली पहुंचे और अपने बंगले में

अड़कर बैठ गए.

जुबां पर आई दिल की बात

लेकिन 2014 में सांसदी का टिकट कटने का दर्द शायद लालजी टंडन नहीं भूले

हैं. काफी वक्त से वो राजनीति से बाहर थे.

खबर आई थी कि उन्हें मध्यप्रदेश का राज्यपाल बनाया जा रहा है, लेकिन फिर

गुजरात की पूर्व सीएम आनंदीबेन पटेल वहां की गवर्नर बन गईं.

बीते दिनों आखिरकार टंडनजी को बिहार का राज्यपाल बना दिया गया. सोमवार (24 सितंबर 2018) को लखनऊ में लालजी टंडन का अभिनंदन समारोह था.

तमाम बड़े नेता कन्वेंशन सेंटर में जुटे थे. यहां गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी थे.

सभी ने टंडनजी को माला पहनाई. उनके पैर छुए. फिर भाषणों का दौर शुरू

हुआ. तमाम बड़े नेताओं ने लालजी टंडन से अपने रिश्तों की बात कहनी शुरू की.

राजनाथ सिंह का जब नंबर आया, तो उन्होंने कहा कि मैं तो 25 बरस से टंडनजी के साथ हूं. उनका हमेशा आशीर्वाद मिलता रहा है.

फिर हंसते हुए उन्होंने कहा कि बावजूद इसके राज्यपाल बनाए जाने के बाद

लालजी टंडन ने मुझे धन्यवाद नहीं दिया.

दरअसल, राज्यपाल बनाए जाने की फाइल पीएम मोदी की मंजूरी के बाद राजनाथ

के ही गृहमंत्रालय से शुरू होकर राष्ट्रपति तक जाती है.

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