गोवर्धन-दानघाटी मंदिर खोलने की मांग को लेकर कुंवर नरेंद्र सिंह ने दी आमरण अनशन की चेतावनी
एक ओर जहां कोरोना काल में सरकार एक-एक करके लॉक ओपन कर देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की पुरजोर कोशिश कर रही है और इसी क्रम में देश भर की तमाम संस्थाएं परिवहन ,कार्यालय, बाजार ,सिनेमा हॉल लोक ओपन के तहत खोले जा रहे हैं वहीं धीरे-धीरे देश के तमाम प्रमुख मंदिर भी अब भक्तों के दर्शनार्थ खोले जा रहे हैं।
एक ओर जहां कोरोना काल में सरकार एक-एक करके लॉक ओपन कर देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की पुरजोर कोशिश कर रही है और इसी क्रम में देश भर की तमाम संस्थाएं परिवहन ,कार्यालय, बाजार ,सिनेमा हॉल लोक ओपन के तहत खोले जा रहे हैं वहीं धीरे-धीरे देश के तमाम प्रमुख मंदिर भी अब भक्तों के दर्शनार्थ खोले जा रहे हैं।
लेकिन बात करें अगर धर्म के प्रमुख केंद्र विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल गोवर्धन की तो वृंदावन में बांके बिहारी बरसाना राधा रानी मथुरा में द्वारकाधीश जैसे तमाम प्रसिद्ध मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खोले जा चुके हैं लेकिन करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र गोवर्धन के गिर्राज दानघाटी मंदिर को अभी तक भक्तों के दर्शनार्थ खोला नहीं गया है जबकि तमाम लोगों द्वारा प्रशासनिक स्तर पर भी मंदिर खोलने के लिए प्रार्थना पत्र प्रशासन को दिए जा चुके हैं। लेकिन प्रशासन शायद इस दिशा में कोई भी गंभीरता दिखाने के लिए तैयार नहीं इसी को लेकर बुधवार को रालोद नेता कुंवर नरेंद्र सिंह गोवर्धन पहुंचे और पत्रकारों के साथ प्रेस वार्ता में।
उन्होंने कहा कि उनकी प्रशासन से मांग है कि जल्द से जल्द गोवर्धन के दानघाटी मंदिर को भी भक्तों के दर्शनार्थ खोला जाए जब मथुरा के तमाम बड़े मंदिर दर्शनों के लिए खोले जा चुके हैं तो गिरिराज जी ने ऐसा कौन सा पाप किया है जो अभी तक उनके मंदिर को नहीं खोला गया है उन्होंने प्रशासन से मांग की तत्काल प्रभाव से दानघाटी मंदिर को खोलें अगर मंदिर खुलने में किसी भी प्रकार की कोई अड़चन है तो उसे बैठकर प्रशासन ठीक करें अन्यथा उन्हें दानघाटी मंदिर के सामने ही बैठकर आमरण अनशन के लिए मजबूर होना पड़ेगा यहां तक कि गोवर्धन डीग मार्ग को भी जाम करने की चेतावनी उन्होंने प्रशासन को दी है। देखना होगा कि प्रशासन रालोद नेता व नरेंद्र सिंह की मांग को गंभीरता से लेकर श्रद्धालुओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए कितनी जल्दी दानघाटी मंदिर को भक्तों के लिए खोलता है अथवा प्रशासन की हठधर्मिता के चलते ऐसे ही हजारों श्रद्धालुओं को मायूस होकर गोवर्धन से वापस लौटते रहना पड़ेगा
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