लोहड़ी 2020: जानिए आखिर क्यों मनाई जाती है लोहड़ी, पढ़े पूरा इतिहास
भारत में हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल लोहड़ी का पर्व 13 जनवरी को मनाया जाएगा।
भारत में हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी (Lohri) का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल लोहड़ी का पर्व 13 जनवरी को मनाया जाएगा। लोहड़ी के दिन आग में तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली चढ़ाई जाती हैं। आग के चारों तरफ चक्कर लगाकर सभी लोग अपने सुखी जीनव की कामना करते हैं। लोहड़ी की खास बात ये भी है कि इस पर्व में संगीत और नृत्य का तड़का इसे और भी खूबसूरत बना देता है। पर क्या पता है हम लोहड़ी का पर्व क्यों मानते है। इसी पीछे एक इतिहास है। तो आइए बिना वक्त जाया करें आज की इस खबर में हम आपको लोहड़ी का पूरा इतिहास बताते है।
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लोहड़ी (Lohri) का इतिहास
लोहड़ी (Lohri)का पर्व मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा भी है। लोहड़ी (Lohri) का त्यौहार देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। मिली जानकारी के अनुसार असम में लोहड़ी के त्यौहार को बिहू ने नाम से जाना जाता है। वहीं तमिलनाडु में लोहड़ी के त्यौहार को पोंगल के नाम से जाना जाता है।
लोहड़ी (Lohri) के इतिहास से जुड़ी कई कहानियां भी हैं। जिनमें सबसे प्रसिद्ध है दुल्ला भट्टी। कहा जाता है कि वह मुगल सम्राट अकबर के शासन काल में गरीबों के बीच काफी प्रसिद्ध थे और साथ ही वो गरीबों की काफी मदद भी करते थे। आपको बता दे कि यह कथा सम्राट अकबर के शासन काल की है। पौराणिक कहनियों के अनुसार, एक बार उन्होंने अपने साहस के बल पर एक लड़की को अपहरणकर्ताओं से बचाया था। बताया जाता है कि उस समय संदलबार नाम की एक जगह थी। जहां लड़कियों को खरीदा और बेचा जाता था। वहीं इसकी जानकारी जैसे ही दुल्ला भट्टी को मिली उन्होंने इसका विरोध करते हुए सभी लड़कियों को उस जगह से छुड़ाया।
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