जाने सरोगेसी का कैसे हो रहा दुरुपयोग

क्या है सरोगेसी

जब महिलाओं में प्राकृतिक-तकनीकी कमी के कारण भ्रूण का पूरा विकास नहीं हो पाता है। ऐसे स्थिती में भ्रूण के परिपक्व होने के पहले ही महिला का गर्भपात हो जाता है। जिसके कारण महिलाएं मातृत्व सुख से वंचित रह जाती है। आज के समय में इसका भी उपाय हो गया है। अब आईवीएफ तकनीकी की सहायता से ऐसी महिलाओं को भी मातृत्व का सुख दिया जाना संभव होने लगा है।

दरअसल, ऐसी स्थिति में महिला के गर्भाशय में अंडे के निषेचित होने के बाद एक निश्चित समय के लिए उसे महिला के गर्भ से निकालकर एक अन्य स्वस्थ महिला के गर्भ में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है जहां इसका पूर्ण विकास होता है। समय पूरा होने पर इससे एक स्वस्थ बच्चे का जन्म होता है। जो महिला दूसरे के भ्रूण को अपने गर्भाशय में पालती है, उसे सरोगेट मदर के नाम से जाना जाता है

इस तरह से हो रहा है सरोगेसी का मिसयूज

जिस महिला के गर्भ में भ्रूण को परिपक्व होने के लिए रखा जाता है, उसकी देखभाल और गर्भावस्था के दौरान खानपान के लिए नि:संतान दंपत्ति के और कुछ आर्थिक भुगतान जाता है। आज के समय में यह लेनदेन का अवैध कारोबार में बदल गया।
पहले आईवीएफ के जरिए इस कारोबार में चांदी काट रहे संस्थानों ने इसके लिए गरीब तबके की महिलाओं को उपलब्ध कराने से लेकर पूरा सौदा करने लगे थे। यह महिलाएं अपने स्वास्थ्य को दांव पर लगाकर बार-बार सरोगेट मदर बनने के लिए तैयार हो जाती थी। नया कानून इस पर विराम लगाएगा।

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