किसान महापंचायत: मुजफ्फरनगर में संयुक्त किसान मोर्चा का किसान महापंचायत आज, देशभर के 300 से ज्यादा सक्रिय संगठन होंगे शामिल
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में आज किसान महापंचायत आयोजित होने वाली है। जिसमें सैकड़ों किसान यहां केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करेंगे।
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के जीआईसी मैदान में आज किसान महापंचायत होने वाली है। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले सैकड़ों किसान यहां केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करेंगे। बताया जा रहा है कि इस महापंचायत में देशभर के 300 से ज्यादा सक्रिय संगठन शामिल होंगे, जिनमें करीब 60 किसान संगठन होंगे और अन्य कर्मचारी, मजदूर, छात्र, शिक्षक, रिटायर अधिकारी, सामाजिक, महिला आदि संगठन शामिल रहेंगे। किसानों के 40 संगठन अग्रणी भूमिका में रहेंगे, जबकि 20 संगठन पूरा सहयोग करेंगे। शनिवार से ही किसानों का मुजफ्फरनगर पहुंचना शुरू हो गया। किसान महापंचायत को लेकर पुलिस, प्रशासन अलर्ट है। भाकियू ने शनिवार से ही एनएच-58 के सिवाया टोल को फ्री करा दिया। रविवार को भी मेरठ से मुजफ्फरनगर के बीच टोल फ्री रहेगा। राकेश टिकैत ग़ाज़ीपुर बॉर्डर से किसान महापंचायत में हिस्सा लेने के लिए मुज़फ़्फ़रनगर पहुंचेंगे. यह पूरा इलाक़ा उनके पिता महेंद्र सिंह टिकैत के असर वाला माना जाता है. लगभग दस महीनों के आंदोलन के बाद पहला मौक़ा होगा, जिसमें राकेश टिकैत और उनके भाई नरेश टिकैत एक साथ दिखेंगे.
महापंचायत में जाट किसानों के साथ मुस्लिम किसानों का भी साथ
इस महापंचायत में जाट किसानों के साथ मुस्लिम किसान भी नज़र आ रहे हैं. ग़ुलाम मोहम्मद जौला महेंद्र सिंह टिकैत के साथी रहे हैं. वर्तमान में ग़ुलाम मोहम्मद भारतीय किसान मज़दूर मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और क़रीब 24 गाँवों की खाप के चौधरी भी हैं. वह कहते हैं, “मैं बाबा महेंद्र सिंह टिकैत के साथ कईं वर्षों तक रहा हूँ.2013 के दंगों के बाद से भाकियू से अलग हो गया था, तभी मैंने भारतीय किसान मज़दूर मंच बनाया था. लेकिन जनवरी में एक महापंचायत में हमारे बीच गिले-शिकवे दूर हो गए.”मुज़फ्फरनगर महापंचायत को लेकर ग़ुलाम मोहम्मद जौला ने बताया, “राकेश टिकैत पूरी तरह किसानों के साथ खड़े हैं. वह अब भाजपा को चुनौती दे रहे हैं. 2022 में सरकार को हराने की बात कह रहे हैं. इसी को लेकर ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर जमे हैं और दूसरे प्रदेशों में भी पहुँच रहे हैं. हम भी रविवार को अपने हज़ारों साथी किसानों के साथ वहां, पहुंचेंगे. हर गाँव से ट्रैक्टर पहुंचेगा. महापंचायत बिल्कुल सफल होगी.”पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटों ने पिछले चुनावों में बीजेपी का साथ दिया है, ये बात राकेश टिकैत ख़ुद भी कई बार दोहरा चुके हैं कि उन्होंने भी बीजेपी को वोट दिया था. इस महापंचायत को यूपी विधानसभा चुनाव के नज़रिए से भी अहम माना जा रहा है.
किसान के सम्मान से सरकार को खतरा है: जयंत चौधरी
साल 2013 में हुए मुज़फ़्फ़रनगर दंगे के बाद से ही अस्तित्व तलाश रही राष्ट्रीय लोकदल को भी किसान आंदोलन से जैसे संजीवनी मिल गई है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क़रीब एक दर्जन ज़िलों में अच्छा-ख़ासा राजनीतिक प्रभाव रखने वाली इस पार्टी की अहमियत साल 2013 के बाद काफ़ी कम हो गई थी लेकिन किसान आंदोलन के बाद हुए पंचायत चुनाव में पार्टी की सफलता से इस बात के संकेत मिलते हैं कि इसका असर विधानसभा चुनाव में भी रहेगा. इसको लेकर जयंत चौधरी भी जोर लगा रहे। शनिवार को महापंचायत पर पुष्पवर्षा करने के लिए रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी को प्रशासन की तरफ से अनुमति नहीं दी गई, जिसके बाद उन्होंने ट्वीट कर कहा कि बहुत माला पहनी है मैंने, मुझे जनता ने बहुत प्यार और सम्मान दिया है। उन्होंने कहा कि मैं अन्नदाताओं पर पुष्पवर्षा कर किसानों को नमन और उनका सम्मान करना चाहता था। लेकिन प्रशासन ने इसके लिए अनुमति नहीं दी। इसके अलावा उन्होंने लिखा कि किसान के सम्मान से सरकार को खतरा है।
जब तक काले कानून वापसी नहीं तब तक घर वापसी नहीं- टिकैत
इस महापंचायत के कारण किसान नेता राकेश टिकैत का आज पूरे 10 महीने बाद मुजफ्फरनगर जाना होगा। महापंचायत शुरू होने से पहले उनका एक बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने कहा कि जब तक काले कानूनों की वापसी नहीं होगी तब तक वे घर वापसी नहीं करेंगे। टिकैत मुजफ्फरनगर के ही रहने वाले हैं। जब किसान आंदोलन शुरू हुआ है तब से टिकैत ने यहां कदम नहीं रखा है। महापंचायत शुरू होने से पहले टिकैत ने कहा, ‘जब से आंदोलन शुरू हुआ है तब से मैं पहली बार मुजफ्फरनगर जा रहा हूं और वो भी गलियारे से जाउंगा। वहां की जमीन पर कदम भी नहीं रखूंगा और अपने घर की तरह देख लूंगा, वहां के लोगों को देख लूंगा।’ उन्होंने कहा कि इसे आप जो भी मानें, लेकिन जब तक कानून वापसी नहीं होगी तब तक घर वापसी नहीं। जो लोग आजादी की लड़ाई के लिए लड़े, उन्हें काला पानी की सजा हुई तो वो कभी घर गए ही नहीं। ये भी एक प्रकार का काला कानून है और जब तक इसकी वापसी नहीं होगी तब तक घर नहीं जाएंगे।
यूपी पुलिस प्रशासन हाई-अलर्ट पर
किसानों की इस महापंचायत को देखते हुए यूपी पुलिस प्रशासन हाई-अलर्ट पर है। मुजफ्फरनगर और आस-पास के इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इतना ही नहीं प्रशासन ने मुजफ्फरनगर और उसके आसपास के जिलों में आईपीएस भेजे गए हैं। किसान महापंचायत स्थल राजकीय इंटर कॉलेज के लिए जाने वाले मार्गो के अलावा शहर की ओर अन्य मार्गों पर किसानों को जाने से रोकने के लिए प्रमुख चौराहों पर पुलिस पूरी तरह मुस्तैद है
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